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    नए डिजाइन में दिखेंगे एनडीएमसी में लगे कियोस्क, डिजिटल बोर्ड के साथ विज्ञापन के लिए भी होगी जगह

    Updated: Mon, 28 Jul 2025 07:42 AM (IST)

    लुटियंस दिल्ली में सड़कों के किनारे बने कियोस्क अब नए डिजाइन में दिखेंगे। इन कियोस्क में लाल पत्थर का उपयोग किया गया है और डिजिटल विज्ञापन के लिए स्क्रीन भी लगाई गई है। एनडीएमसी शुरुआत में 50 कियोस्क बना रही है जो हर मौसम के अनुकूल होंगे। इससे लोगों को दैनिक उपयोग की वस्तुएं आसानी से मिल सकेंगी और एनडीएमसी का राजस्व भी बढ़ेगा।

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    पेशवा रोड पर एनडीएमसी द्वारा बनी कियोस्क। जागरण

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। लुटियंस दिल्ली में जरुरी वस्तुओं के लिए सड़कों के किनारे लगे कियोस्क अब नए डिजाइन में नजर आएंगे। इन कियोस्क को आकर्षित डिजाइन दिया गया है। साथ ही इसके निर्माण में लाल पत्थर का उपयोग भी किया गया है।

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    बाहरी हिस्से में कियोस्क के ऊपर डिजीटल स्क्रीन होगी। जबकि दोनों तरफ विज्ञापन लगाने के लिए भी स्थान होगा। ताकि एनडीएमसी का राजस्व भी बढ़ सके। शुरुआती तौर पर एनडीएमसी ऐसे 50 कियोस्क प्रयोग के तौर पर बना रही है। इसके बाद 250 कियोस्क को नया डिजाइन दिया जाएगा।

    आसानी से मिल सकेंगी दैनिक उपयोग की वस्तुएं

     एनडीएमसी के उपाध्यक्ष कुलजीत चहल ने कहा कि नए भारत की नई एनडीएमसी में सभी सुविधाओं में सुधार कर रही है। इसके तहत पारंपरिक कियोस्क जिसमें टीन आदि का उपयोग हो रखा होता है उसको हटाकर नए डिजाइन के कियोस्क होंगे।

    फिलहाल के यह कियोस्क वर्षा और गर्मी को झेलने वाले नहीं है। क्योंकि इसमें गर्मी में अत्याधिक गर्मी होने पर टीन गर्म होने से दुकानदारों को दिक्कत होती है जबकि वर्षा में पानी भी टीन के होने के कारण अंदर चला जाता है। जबकि नए डिजाइन को सभी मौसम के अनुकुल तैयार किया गया है। इसमें वैलटीलेशन का ध्यान रखा गया है।

    हर मौसम के अनुकूल होंगे कियोस्क

    साथ ही वर्षा और गर्मी में दुकानदार को कोई दिक्कत न हो इसके लिए भी पूरा ध्यान रखा गया है। इसकी छत का डिजाइन झोपड़ी नूमा है। जो वर्षा में पानी भी अंदर नहीं जाने देगा।

    उल्लेखनीय है कि यह कियोस्क एनडीएमसी इलाके में खास तौर पर उन लोगों के लिए उपयोगी है जो घर की जरूरी वस्तुओं के लिए दूर दुकानों पर नहीं जाना चाहते है। क्योंकि यह इलाका पूरी तरह नियोजित है।

    इसलिए गली मोहल्लों में दुकानें नहीं है। लोग गोल मार्केट या फिर बंगाली मार्केट के साथ कनाट प्लेस जैसी मार्केट में अपनी जरूरत का सामान लेने जाते हैं। जबकि इनमें दैनिक उपयोग होने वाली वस्तु घर के पास ही आसानी से मिल जाती है।