स्विमिंग पूल में हादसे के बाद नगर निगम पर उठे सवाल, खतरे में बच्चों की सुरक्षा; एक मासूम की गई थी जान
नई दिल्ली के पीतमपुरा में एक स्विमिंग पूल में बच्चे की मौत के बाद दिल्ली में सुरक्षा मानकों पर सवाल उठ रहे हैं। नियमों के उल्लंघन अपर्याप्त लाइफगार्ड और कोच की कमी के कारण अभिभावकों में चिंता है। कई पूल बिना लाइसेंस के चल रहे हैं जिससे बच्चों की सुरक्षा खतरे में है। अधिकारियों और पूल संचालकों को सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।

लोकेश शर्मा, नई दिल्ली। दिल्ली में पीतमपुरा स्थित नगर निगम के स्विमिंग पूल में एक बच्चे की मौत के बाद राजधानी में अभिभावकों के बीच गहरी चिंता का माहौल है। स्विमिंग पूल में बच्चों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं। बच्चों को तैराकी सिखाने वाले इन केंद्रों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी अब जानलेवा बनती जा रही है।
क्योंकि स्विमिंग पूल में ज्यादा मुनाफा कमाने में नियमों को नजरअंदाज किया जा रहा है और मानकों को पूरा नहीं किया जा रहा है। जहां 25 मीटर के स्विमिंग पूल में कम से कम दो लाइफ गार्ड, एक महिला व एक पुरुष कोच होना चाहिए लेकिन ज्यादातर स्विमिंग पूल में या तो एक ही कोच होता है या फिर एक ही लाइफ गार्ड होता है। जिससे यहां प्रशिक्षण लेने वाले बच्चों व लोगों की जान को जोखिम में डाला जाता है।
उल्लेखनीय है कि स्विमिंग का संचालन शुरू करने से पहले उसे कई स्तरों की अनुमति लेनी होती है। सबसे पहले स्पोर्ट्स अथारिटी आफ इंडिया (साई) द्वारा पूल का निरीक्षण किया जाता है। निरीक्षण के दौरान यह सुनिश्चित किया जाता है कि पूल परिसर में पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित लाइफगार्ड, महिला और पुरुष कोच, सेफ्टी इक्विपमेंट, लाइफ जैकेट और लाइफ बाय उपलब्ध हों। इसके पश्चात दिल्ली पुलिस और नगर निगम द्वारा अंतिम अनुमति दी जाती है।
दिल्ली सरकार के 26 स्विमिंग पूल संचालित होते हैं वहां पर भी संचालन मानकों पर खरा नहीं उतर रहा है। स्विमिंग पूलों न तो पर्याप्त कोच हैं और न ही पर्याप्त लाइफ गार्ड हैं। जहां पर हैं भी वहां पर हर वर्ष होने वाली इनकी नियुक्ति की प्रक्रिया भी अक्सर देरी भी होती है। एनडीएमसी के तीन स्विमिंग पूल में इस वर्ष स्विमिंग शुरू नहीं हो सके क्योंकि इसके संचालन और कोच व अन्य लोगों की नियुक्ति अनुबंध अभी तक हो ही नहीं सका है।
मध्य दिल्ली के करोल बाग में रहने वाले रजत बताते हैं कि स्विमिंग पूल में वह अपने बच्चों को गर्मियों की छुट्टी में प्रशिक्षण दिलाना चाहते थे लेकिन उन्होंने बच्चों की सुरक्षा की चिंता के चलते कदम पीछे खीच लिए। उन्होंने कहा कि चाहे अलीपुर वाटर पार्क की घटना हो या फिर पीतमपुरा एमसीडी स्विमिंग पूल की घटना हो इससे अभिभावकों की चिंता बढ़ गई हैं।
ये हैं बच्चों के लिए स्विमिंग पूल संचालन के नियम
नियमों के अनुसार 10 वर्ष से कम आयु के बच्चों को स्विमिंग पूल में तैरने की अनुमति नहीं होती। छोटे बच्चों के लिए अलग से 1.5 से 2.5 फुट गहरे किड्स पूल बनाए जाते हैं, जहां कोच और लाइफगार्ड की निगरानी में उन्हें तैरना सिखाया जाता है। किसी बच्चे को बिना अभिभावक की निगरानी के बड़े पूल में भेजना गंभीर लापरवाही मानी जाती है।
भारतीय स्विमिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष राजकुमार ने बताया कि अधिकांश प्राइवेट स्विमिंग पूल बिना वैध लाइसेंस के संचालित हो रहे हैं। 25 मीटर पूल में अधिकतम 25 लोगों को एक साथ तैरने की अनुमति होती है, लेकिन मुनाफा कमाने के लालच में कई पूल संचालक 100 से अधिक बच्चों को एक साथ बुला लेते हैं।
ऐसे में यदि किसी बच्चे के साथ दुर्घटना होती है तो उसकी जिम्मेदारी न केवल पूल संचालक की, बल्कि उस बच्चे को बिना निगरानी के भेजने वाले अभिभावकों की भी होती है। स्विमिंग पूल में बच्चों की सुरक्षा के लिए नियमानुसार लाइसेंस, स्टाफ और उपकरणों की उपलब्धता अनिवार्य है, वरना हादसों की पुनरावृत्ति से इनकार नहीं किया जा सकता। इनके अलावा प्राइवेट स्विमिंग पूल में लाइफगार्ड और कोच की भी कमी पाई जाती है।

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