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    दिल्ली में आधार कार्ड बनवाना नहीं होगा आसान, LG सक्सेना ने नियम सख्त करने के दिए निर्देश

    Updated: Fri, 11 Jul 2025 07:59 PM (IST)

    दिल्ली के उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव को आधार कार्ड जारी करने के नियमों को सख्त करने का आदेश दिया है। यह फैसला घुसपैठियों द्वारा गलत तरीके से आधार कार्ड ...और पढ़ें

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    दिल्ली में आधार कार्ड बनवाने के लिए नियम को सख्त करने के एलजी सक्सेना ने दिए निर्दे।

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। एलजी वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव धर्मेंद्र कुमार को पत्र लिखकर दिल्ली में आधार कार्ड जारी करने के लिए सख्त नियम लागू करने का आदेश दिया है। यह आदेश मुख्य रूप से घुसपैठियों द्वारा बड़ी संख्या में आधार कार्ड प्राप्त किए जाने के मद्देनजर किया गया है।

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    दिल्ली में घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर इससे पहले भी एलजी ने मुख्य सचिव को आदेश दिया था कि वह सभी जिला में इसके लिए सघन अभियान चलाएं। इसके लिए दिल्ली पुलिस की भी मदद लेने की बात कही थी। तब से लगातार घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई जारी है।

    एलजी कार्यालय ने मुख्य सचिव को कार्रवाई करने को कहा

    अब इस समय बिहार में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर वहां जो मतदाता सूची में संशोधन का काम चल रहा है, वोटर कार्ड और आधार कार्ड के मसले पर विवाद खड़ा हुआ, तब उपराज्यपाल कार्यालय ने मुख्य सचिव को भी इस दिशा में कार्रवाई करने को कहा है।

    मुख्य सचिव धर्मेंद्र कुमार को लिखे पत्र में एलजी के प्रधान सचिव ने लिखा है, ध्यान में लाया गया है कि सुरक्षा समीक्षा बैठकों के दौरान कई मामलों में घुसपैठिए झूठे दस्तावेजों या गलत बयानी के आधार पर आधार कार्ड हासिल करने में कामयाब रहे हैं। इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है, ऐसे व्यक्ति राष्ट्रीयता प्रमाणित करने वाले दस्तावेज, जैसे पासपोर्ट और मतदाता पहचान पत्र, हासिल कर लेते हैं।

    स्थानीय रोजगार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है

    इसमें कहा गया कि वे केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी उठाते हैं। आधार दस्तावेज हासिल करने के बाद, यह घुसपैठिए नौकरियां हासिल कर लेते हैं, जिससे स्थानीय श्रम बाजार में मंदी आती है। स्थानीय रोजगार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी व्यापक प्रभाव पड़ता है।

    पत्र में यह भी जिक्र है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार में आधार (नामांकन और संशोधन) नियम, 2016 के अंतर्गत रजिस्ट्रारों को सौंपी गई जिम्मेदारियों पर नए सिरे से विचार करने की आवश्यकता है। विशेष रूप से क्षेत्र-स्तरीय कार्यान्वयन, निगरानी और सत्यापन प्रक्रियाओं के संबंध में।

    बताया गया है कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्वारा 14 अक्टूबर 2022 को जारी कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है कि, राज्य सरकार को आउटसोर्स के तहत काम कर रहे रजिस्ट्रार/नामांकन एजेंसियों को 31 मार्च, 2023 तक इन-हाउस मॉडल में स्थानांतरित करने के निर्देश जारी किए गए थे. लेकिन यह प्रणाली आज तक लागू नहीं की गई है।

    इन-हाउस मॉडल पर स्विच करने के लिए स्पष्ट निर्देश जारी हों

    मुख्य सचिव से कहा गया है कि वे निर्देश दें कि सभी रजिस्ट्रारों को आधार (नामांकन और संशोधन) नियम, 2016 के प्रावधानों का सख्ती से पालन करने और दो महीने के भीतर आधार नामांकन के इन-हाउस मॉडल पर स्विच करने के लिए स्पष्ट निर्देश जारी किए जाएं। साथ ही स्थानीय नगर निकायों सहित राज्य सरकार द्वारा स्थापित सभी नामांकन केंद्रों का व्यापक विवरण, उनकी वर्तमान कार्यप्रणाली सहित, 15 जुलाई, 2025 तक प्रस्तुत किया जाए।

    उपराज्यपाल की तरफ से जारी पत्र में कहा गया है कि आधार नामांकन एक संवेदनशील प्रक्रिया है और आधार जारी करने से पहले डेटा एकत्र करने वाले व्यक्ति की ज़िम्मेदारी तय करना ज़रूरी है ताकि किसी भी चूक की स्थिति में जवाबदेही तय की जा सके। इसके अलावा, यूआईडीएआई ने विभिन्न आयु समूहों (जैसे 0-5 वर्ष, 5 वर्ष से अधिक और 18 वर्ष से अधिक) के आधार नामांकन के लिए आवश्यक दस्तावेज़ों के लिए विस्तृत निर्देश जारी किए हैं।

    पंजीकरण विभाग को आपरेटरों और कर्मचारियों को यूआईडीएआई द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार आधार नामांकन और अद्यतनीकरण के लिए दस्तावेज़ एकत्र करने के लिए संवेदनशील बनाना चाहिए।