दिल्ली में आवारा कुत्तों को लेकर SC के फैसले को लागू करने की तैयारी, NCR के निगमों के साथ रणनीति बनाएगा MCD
सुप्रीम कोर्ट के आवारा कुत्तों पर नए दिशा-निर्देशों के बाद दिल्ली नगर निगम एनसीआर निगमों के साथ मिलकर कार्ययोजना बनाएगा। इसका उद्देश्य नियमों में एकरूपता लाना और बेहतर शेल्टर होम स्थापित करना है। महापौर राजा इकबाल सिंह ने बताया कि निगम खूंखार कुत्तों को शेल्टर होम में रखने के लिए एसओपी तैयार करेगा और इसके लिए दिल्ली सरकार से सहयोग लेगा।

निहाल सिंह, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर से आवारा कुत्तों को लेकर अब दिशा-निर्देश तय कर दिए हैं। ऐसे में ऐसी कई नई बाते निगमों के सामने चुनौती के तौर पर आ गई है जिसको लेकर एसओपी बनाने की जरुरत है।
इसको देखते हुए दिल्ली के महापौर राजा इकबाल सिंह ने एनसीआर के निगमों के साथ मिलकर इस कार्ययोजना पर काम करने का निर्णय लिया है।
इसके अनुसार सभी निगमों के चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ निगम आयुक्तों व पशु चिकित्सा से जुड़े डॉक्टरों व विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाएगा। जिसका उद्देश्य नियमों में एकरुपता के साथ ही शेल्टर होम बनाने एक माडल स्थापित करना होगा। ताकि शेल्टर होम में रखे जाने वाले कुत्तों को दिक्कत भी न हो।
दिल्ली के महापौर राजा इकबाल सिंह ने बताया हम सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हैं। निगम ने पूर्व में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद कुछ कार्य शुरू किया था। इसमें हमने प्राथमिकता पर खूंखार कुत्ते उठाने के साथ ही शेल्टर होम का निर्माण करने के लिए स्थान के चिह्नित करने की प्रक्रिया शुरू की थी।
हमने जो जो काम शुरू किया था शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश में लगभग वहीं काम करने के निर्देश एनसीआर के निगमों को दिए गए हैं लेकिन हम इसमें फिर भी पारदर्शिता से काम करना चाहते हैं। साथ ही जो भी मानक संचालक प्रक्रिया (एसओपी) बने वह समान रहे।
अगर, अलग-अलग तरीके से निगम काम करेंगे तो संभवत: कई कानूनी अचड़ने भी आ सकती है। इसलिए हम एनसीआर के निगमों के साथ बैठेंगे और शेल्टर होम, फीडिंग प्वाइंट, खूंखार कुत्तों को पकड़ने जैसे काम के एसओपी तैयार करेंगे।
महापौर ने बताया कि जब सभी निकाय एक साथ बैठेेंगे तो वह अपने-अपने अनुसार तैयारी की जानकारी देंगे तो जरुर ऐसी बातें निकलेगी जिससे इस काम को और बेहतर किया जा सकें। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश में कई चीजे नई आई हैं। जैसे खूंखार कुत्तों को शेल्टर होम में डालने की बात हैं, चाहे शेल्टर होम बनाने की बात है।
यह काम ऐसे हैं जो पूर्व में एनिमल बर्थ कंट्रोल नियमों के तहत प्रतिबंधित थे। इसलिए इस पर बड़ी ही गंभीरता और संवेदनशीलता से कार्य करना होगा। फीडिंग प्वाइंट बनाने के लिए पहले जहां एनिमल वेलफेयर बोर्ड को अधिकार था वह अब निगम के पास काम आ गया है। इसलिए निगमों की जिम्मेदारी बढ़ी है।
एक कुत्ते के रखरखाव पर एक दिन के लिए 110 रुपये का खर्च
दिल्ली नगर निगम ने एक दिन का कुत्ते का रखने का 110 रुपये का अनुमान लगाया है। ऐसे में अगर, दिल्ली के 10 लाख आवारा कुत्तों में 70-80 आवारा खूंखार कुत्तों को शेल्टर होम में डालने की जरुरत पड़ती है तो इसके लिए बड़ी मात्रा में फंड चाहिए होगा।
इसको लेकर निगम पशु प्रेमियों से भी संपर्क करेंगा साथ ही दिल्ली सरकार के सहयोग के साथ इस कार्य को करेंगे। निगम के एक वरिष्ठ अधिारी ने बताया कि फिलहाल हमे शेल्टर होम के निर्माण के लिए जो दो स्थान चिह्नित किए हैं इसमें एक द्वारका सेक्टर 29 और बेला रोड यहां पर शेल्टर होम बनाने के लिए फंड की आवश्यकता होगी।
जहां पर शेल्टर होम में कुत्तों के इलाज, खाने की व्यवस्था और उनके नाहने अन्य कार्यों की व्यवस्था करनी होगी। शुरुआती तौर पर 100 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। साथ ही जब कुत्तों को रखा जाएगा तो इसका कार्य भी स्वयंसेवी संस्थाओं को दिया जाएगा।
इसमें खूंखार कुत्तों को रखने के लिए फंड की 80 लाख रुपये प्रतिदिन और 26 करोड़ रुपये प्रतिमाह की जरुरत होगी। उल्लेखनीय है कि अभी दिल्ली नगर निगम के पशु चिकित्सा सेवा का बजट ही मात्र सालाना 108 करोड़ रुपये है।
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