बड़े हादसे की स्थिति में दिल्ली के अस्पतालों में आसान नहीं इलाज, भगदड़ के बाद चिकित्सा व्यवस्था पर उठे सवाल
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ के बाद राजधानी के अस्पतालों में चिकित्सा व्यवस्था की पोल खुल गई है। सामान्य दिनों में गंभीर मरीजों को इमरजेंसी की स्थिति में भी आसानी से बेड नहीं मिल पाता है। ऐसे में किसी बड़े हादसे की स्थिति में अस्पतालों में इलाज मिलना आसान नहीं है। जानिए दिल्ली के बड़े अस्पतालों में आपदा जैसी स्थिति से निपटने के लिए क्या इंतजाम हैं।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ के बाद अस्पतालों में चिकित्सा व्यवस्था को लेकर भी सवाल उठाए जाने लगे हैं। दिल्ली में सफदरजंग, आरएमएल, एम्स, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज , लोकनायक, जीटीबी, डीडीयू, अंबेडकर जैसे कुछ चुनिंदा बड़े अस्पतालों पर इमरजेंसी सेवाओं का दारोमदार है। इनमें से ज्यादातर अस्पतालों में गंभीर मरीजों को इमरजेंसी की स्थिति में भी आसानी से बेड नहीं मिल पाता।
मरीज इमरजेंसी में इलाज के लिए भटकने को मजबूर होते हैं। ऐसी स्थिति में किसी बड़े हादसे की स्थिति में अस्पतालों में इलाज मिलना आसान नहीं है। वैसे अस्पतालों में आपदा जैसी स्थिति से निपटने के लिए प्रोटोकॉल बना हुआ है। इस प्रोटोकॉल के तहत अस्पतालों में आपदा वार्ड चिह्नित हैं और घटना के आधे घंटे के अंदर आपदा वार्ड सक्रिय हो सकता है।
लोक नायक अस्पताल के बाहर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन में भगदड़ में मृतक के शोकाकुल स्वजन। जागरण
सफदरजंग अस्पताल में कितने हैं इमरजेंसी बेड?
सफदरजंग अस्पताल में दिल्ली ही नहीं, बल्कि देश का सबसे बड़ा इमरजेंसी ब्लॉक है। इसमें 500 बेड की सुविधा है। सफदरजंग अस्पताल प्रशासन ने बाकायदा 20 सदस्यीय आपदा प्रबंधन कमेटी बना रखी है। रैपिड रिस्पांस टीम भी है। जिसमें विभिन्न संकायों के विशेषज्ञ डॉक्टर शामिल होते हैं।
150 आपदा बेड निर्धारित हैं। अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि इमरजेंसी अलार्म बजते ही आधे घंटे में आपदा वार्ड सक्रिय हो जाएगा। जरूरत पर 100-150 अतिरिक्त बेड की व्यवस्था भी की जा सकती है। अस्पताल ने इमरजेंसी ब्लॉक के वार्ड ए व वार्ड बी को चिह्नित कर रखा है। जिसे आपदा की स्थिति में तुरंत खाली कराया जा सकता है।
एम्स ट्रामा सेंटर में भी रहती है आपदा जैसी स्थिति की तैयारी
ट्राली रिजर्व रहती है। इसकी संख्या इमरजेंसी में बढ़ाई जा सकती है। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन जैसे हादसे में ऑर्थोपेडिक, एनेस्थीसिया व सर्जरी के डॉक्टरों की जरूरत होती है। 264 बेड की क्षमता वाले एम्स ट्रामा सेंटर भी आपदा जैसी स्थिति से निपटने की तैयारी रहती है।
आरएमएल अस्पताल की इमरजेंसी में मेडिसिन, सर्जरी व पीडियाट्रिक इमरजेंसी के लिए करीब 200 बेड की सुविधा है। एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्रा ने कहा कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन जैसी घटना में हादसा पीडित जितनी देर में अस्पताल पहुंचते हैं तब तक कई पीड़ितों की मौत हो चुकी होती है।
सुबह कर दिए पोस्टमार्टम, तैनात रहा अर्द्धसैनिक बल
रविवार को साप्ताहिक अवकाश का दिन होने के बावजूद स्टेशन पर हुई भगदड़ में जान गंवाने वाले 18 लोगों के शवों का पोस्टमार्टम कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सुबह-सुबह कर दिया गया। तीन अलग-अलग अस्पतालों में शवों का पोस्टमार्टम हुआ। इसके बाद सुबह आठ से नौ बजे के बीच शव स्वजन को सौंप दिए गए।
हादसे में घायल 15 लोगों की हालत स्थिर बताई जा रही है। इनमें नौ पुरुष, पांच महिलाएं एक किशोरी शामिल हैं। इनमें से चार मरीज अभी अस्पताल में भर्ती हैं। लोकनायक अस्पताल में अधिक घायल लाए गए थे। यहां अर्द्धसैनिक बल तैनात रहा। घायल हुए ज्यादातर लोगों की हड्डियों में चोटें आई हैं। किसी की जांघ, किसी के कुल्हे, किसी के कंधे तो किसी की एंडी, पैर व सीने में चोट आई है।
अस्पताल से छुट्टी लिए बिना वापस जा चुके हैं ज्यादातर मरीज
लोकनायक में 13 घायलों को भर्ती कराया गया, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने इमरजेंसी में 12 घायलों के पहुंचने की बात कही है। इसमें दो मरीज डॉक्टरों को बिना बताए, कहीं दूसरी जगह चले गए। पांच मरीज डॉक्टरों की सलाह के बगैर अस्पताल से छुट्टी कराकर चले गए। दो मरीजों को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। मनीषा देवी व शिवम शुक्ला नामक के दो मरीज गंभीर चोट के कारण ऑर्थोपेडिक विभाग में भर्ती हैं।
खुशी नामक किशोरी लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के कलावती सरन अस्पताल में भर्ती है। इसके अलावा विकास नामक का एक युवक रेलवे अस्पताल में भर्ती है। लोकनायक में 15 शव पहुंचे थे। इस से अस्पताल की मार्चरी में जगह कम पड़ गई थी। लिहाजा, पांच शव पोस्टमार्टम के लिए आरएमएल अस्पताल भेजे गए। लोकनायक में 10 शवों का पोस्टमार्टम हुआ।
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