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    दिल्ली में अंतिम संस्कार के लिए 20 प्रतिशत उपलों का उपयोग जरूरी करने की तैयारी में निगम

    Updated: Thu, 24 Jul 2025 08:49 PM (IST)

    दिल्ली में पर्यावरण संरक्षण के लिए एमसीडी अंतिम संस्कार में लकड़ी का उपयोग घटाने की तैयारी में है। अब 20% उपलों का इस्तेमाल अनिवार्य होगा। इसके लिए निगम गौशालाओं से गोबर और खेतों से पराली लाकर उपले बनाने को बढ़ावा देगी। निगम बोध घाट संचालन समिति ने इस कदम का स्वागत किया है और सहयोग करने की बात कही है। कोरोना काल में भी यह प्रयोग किया गया था।

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    अंतिम संस्कार के लिए 20 प्रतिशत उपलों का उपयोग जरुरी करने की तैयारी में निगम।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में पर्यावरण संरक्षण के मद्देनजर एमसीडी ने अंतिम संस्कारों में लकड़ी के उपयोग को कम करने के लिए 20 प्रतिशत उपलों के उपयोग को बाध्य करने की तैयारी शुरू कर दी है।

    इसके लिए निगम ने एक चरण की बैठक श्मशान घाट संचालक समितियों के साथ ही उद्यान विभाग और पशु चिकित्सा सेवाएं विभाग के साथ ही गौशालाओं के संचालकों के साथ बैठक की है। बैठक में इस बात पर विचार किया गया है कि जब 20 प्रतिशत उपलो के उपयोग को जरूरी कर दिया जाए तो उसकी आपूर्ति कैसे होगी।

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    निगम के जन स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एक अंतिम संस्कार में औतसन 400 किलो लकड़ी लगती है। दिल्ली में जबकि औसतन प्रतिदिन 1200 के करीब अंतिम संस्कार होते हैं। ऐसे में अगर, 20 प्रतिशत उपलों के उपयोग को जरूरी कर दिया जाए तो करीब 10 हजार किलो लकड़ी का उपयोग प्रतिदिन बचेगा। इससे पेड़ों को काटने से रोकने में भी मदद मिलेगी।

    अधिकारी ने बताया कि हमने प्रारंभिक तौर पर इसकी तैयारी शुरू की है। हम दिल्ली के साथ ही एनसीआर की गौशालाओं से गोबर व खेतों से पराली लाकर उसके उपले बनवाने को प्रोत्साहित करवाने पर भी काम कर रहे हैं। हम सभी श्मशान घाट संचालक समितियों को इसकी व्यवस्था करने के लिए भी कहेंगे। लेकिन फिलहाल हम तैयारी कर रहे हैं। चूंकि इस समय वर्षा हो रही है तो उपलों को बनाना आसान नहीं है। इसलिए इसे लागू सभी तैयारी करने के बाद किया जाएगा।

    अधिकारी ने बताया कि कोरोना में 2020-21 में जब शवदाह के लिए लकड़ियों की ज्यादा जरुरत हो रही थी तब यह प्रयोग शुरू किया गया था। उल्लेखनीय है कि दिल्ली में 59 शवदाह संस्कार स्थल है। बाकि ग्रामीण इलाकों में भी लोगों द्वारा स्वयं संचालित होने वाले अलग हैं।

    निगम का यह कदम स्वागत योग्य है। हम पहले से ही यह कार्य कर रहे हैं। लकड़ी के साथ हम 10 किलो उपले लोगों को मुफ्त देते हैं। ताकि गौशालाओं के गोबर का उपयोग किया जा सके। अगर, निगम इसे बाध्य कर देगा तो हम इसे 20 प्रतिशत लागू कर देंगे। - सुमन गुप्ता, महामंत्री, निगम बोध घाट संचालन समिति