हॉकी दिल्ली की महिला टीम का राष्ट्रीय चैंपियनशिप में खेलने का रास्ता साफ, दिल्ली हाई कोर्ट मिली अनुमति
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली हॉकी से जुड़े खिलाड़ियों को राष्ट्रीय चैंपियनशिप में खेलने की अनुमति दी है। हॉकी इंडिया ने अदालत को बताया कि दिल्ली की टीम को ऑनलाइन पोर्टल से हटा दिया गया था लेकिन अब उन्हें शामिल किया जाएगा। छूटे हुए मैच 10 जुलाई को होंगे और टूर्नामेंट का कार्यक्रम दिल्ली टीम की भागीदारी के अनुसार बदला जाएगा। खिलाड़ियों की यात्रा का खर्च हॉकी इंडिया वहन करेगी।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने 15वीं हाॅकी इंडिया सब-जूनियर महिला राष्ट्रीय चैंपियनशिप 2025 में दिल्ली हाॅकी से संबद्ध खिलाड़ियों को खेलने की अनुमति दे दी है।
हाॅकी इंडिया ने अदालत को सूचित किया कि रांची में चल रही चैंपियनशिप के कार्यक्रम में बदलाव कर दिल्ली टीम को शामिल किया जाएगा।
हॉकी इंडिया के पोर्टल से हटा दी गई थी दिल्ली
चैंपियनशिप तीन जुलाई से शुरू हुई थी और 14 जुलाई तक चलेगी। अदालत को बताया गया कि दिल्ली टीम को हाॅकी इंडिया के पोर्टल से हटाए जाने से उनकी भागीदारी रद कर दी गई थी।
हालांकि, बाद में हाॅकी इंडिया की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि मौजूदा चरण में भी दिल्ली हाॅकी से संबद्ध खिलाड़ियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
वकील ने यह भी बताया गया कि दिल्ली की टीम आठ और नौ जुलाई के मैच नहीं खेल सकी, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ये मुकाबले 10 जुलाई को फिर से आयोजित हो।
खिलाड़ियों और पैरेंट्स ने दायर की थी याचिका
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने हाॅकी इंडिया के इस रुख की सराहना करते हुए कहा कि पूरे टूर्नामेंट का कार्यक्रम दिल्ली टीम की भागीदारी के अनुसार बदला जाएगा। याचिका दिल्ली हाॅकी टीम की सब-जूनियर महिला खिलाड़ियों और उनके अभिभावकों ने दायर की थी।
उन्होंने कहा कि उन्हें हाॅकी इंडिया और दिल्ली हाॅकी के बीच विवाद की जानकारी नहीं थी और वे लगातार प्रशिक्षण और ट्रायल में भाग लेते रहे।
पोर्टल से हटने के कारण नहीं कर सके थे पंजीकरण
बाद में उन्हें पता चला कि हाॅकी इंडिया के पोर्टल से दिल्ली हाॅकी को हटा दिया गया है, जो खिलाड़ियों, कोचों और अधिकारियों के पंजीकरण के लिए आवश्यक होता है।
अदालत में यह भी सहमति बनी कि खिलाड़ियों की यात्रा की व्यवस्था दिल्ली हाॅकी द्वारा की जाएगी और खर्च की राशि हाकी इंडिया बाद में चुका देगा। अदालत ने कहा कि इस व्यवस्था से याचिकाकर्ताओं की शिकायत का समाधान हो गया है।
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