दिल्ली में बाढ़ के बाद कई इलाकों में लोगों की परेशानी बढ़ी, मोनेस्ट्री मार्केट खुलने से जगी उम्मीद
दिल्ली में यमुना का जलस्तर घटने के बाद बाढ़ प्रभावित इलाकों में हालात बदल रहे हैं। यमुना बाजार में गंदगी और बुनियादी सुविधाओं की कमी से लोग परेशान हैं जबकि मोनेस्ट्री मार्केट में व्यापारी नई शुरुआत कर रहे हैं। लोहे का पुल खुलने से राहत मिली है। सफाई और स्वास्थ्य सेवाओं की बहाली अभी भी एक चुनौती बनी हुई है। यमुना बाजार के लोग प्रशासनिक सुस्ती से परेशान हैं।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली में यमुना का जलस्तर कम होने के बाद बाढ़ प्रभावित इलाकों के हालात धीरे-धीरे बदल रहे हैं, कहीं जनजीवन सामान्य हो रहा है, तो कहीं मुश्किलें खत्म नहीं हो रही हैं। यमुना बाजार इलाके और मोनेस्ट्री मार्केट की तस्वीरें इस फर्क को साफ तौर पर दर्शा रही हैं।
यमुना बाजार इलाके में लोग अभी भी गंदगी, बिजली-पानी की कमी और प्रशासनिक लापरवाही से परेशान हैं, वहीं मोनेस्ट्री मार्केट में व्यापारी उम्मीद और मेहनत के साथ नई शुरुआत कर रहे हैं। साफ है कि राजधानी में बाढ़ का संकट भले ही कम हो गया हो, लेकिन अब असली लड़ाई साफ-सफाई, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं की बहाली को लेकर है।
इन सबके बीच राहत की बात यह है कि लोहे के पुल को यातायात के लिए फिर से खोल दिया गया है। बढ़ते जलस्तर के कारण इसे 2 सितंबर की शाम से यातायात के लिए बंद कर दिया गया था।
बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाके यमुना बाजार में ज्यादातर लोग राहत शिविरों से निकाले जाने के बाद अपने घरों को लौट चुके हैं। पानी कम होने के बाद गलियों में जमा गाद और गंदगी ने उनकी परेशानी बढ़ा दी है। लोगों ने अपने घर तो साफ कर लिए, लेकिन गलियों की सफाई कौन करेगा।
इन सड़कों से गुजरना मुश्किल है। प्रशासन द्वारा सफ़ाई में ढिलाई और कीटनाशकों का छिड़काव न करने से बीमारियों का ख़तरा मंडरा रहा है। बिजली और पानी की आपूर्ति भी पूरी तरह से बहाल नहीं हुई है, जिससे लोगों को पीने का पानी ख़रीदकर बाहर शौच के लिए जाना पड़ रहा है।
स्थानीय निवासी रमेश कुमार ने बताया कि हमने अपने घरों की सफ़ाई तो कर ली है, लेकिन गलियों में जमा गंदगी और गंदगी से जीना मुश्किल हो रहा है। प्रशासन को इलाक़े की सफ़ाई के लिए तुरंत क़दम उठाने चाहिए। हालात अभी भी असहनीय बने हुए हैं।
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