दिल्ली में बनेगा देश का पहला E-Waste Eco Park, राजधानी के कुल ई-वेस्ट का 25 प्रतिशत हिस्सों का होगा इस्तेमाल
दिल्ली में देश का पहला ई-वेस्ट इको पार्क बनेगा। उद्योग मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा की अध्यक्षता में हुई बैठक में डीएसआइआइडीसी को टेंडर जारी करने का निर्देश दिया गया। 11.4 एकड़ में बनने वाला यह पार्क पीपीपी मॉडल पर आधारित होगा और हर साल 51000 मीट्रिक टन ई-वेस्ट का प्रोसेसिंग करेगा। इससे 350 करोड़ का राजस्व उत्पन्न होने की संभावना है और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। सालों से कागजों में ही बन रहे देश के पहले अत्याधुनिक ई-वेस्ट इको पार्क के निर्माण की दिशा में भाजपा सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। होलंबी कलां में बनने जा रहे इस इको पार्क के लिए सोमवार को उद्योग एवं पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक हुई। इसमें दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं ढांचागत विकास निगम (डीएसआइआइडीसी) को ग्लोबल टेंडर (अनुरोध प्रस्ताव) जारी करने का निर्देश दे दिया गया।
11.4 एकड़ में बनने वाले इस पार्क का निर्माण, डिजाइन, बिल्ड, फाइनेंस, आपरेट, ट्रांसफर (डीबीएफओटी) माडल के तहत पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के आधार पर किया जाएगा। इसकी रियायत अवधि 15 वर्ष होगी। यह पार्क हर साल 51,000 मीट्रिक टन ई-वेस्ट का प्रोसेसिंग करेगा, जिसमें ई-वेस्ट मैनेजमेंट नियम 2022 के तहत सूचीबद्ध सभी 106 श्रेणियां शामिल होंगी। इससे अनुमानित 350 करोड़ का वार्षिक राजस्व उत्पन्न होने की संभावना है।
निर्माण कार्य 18 महीनों में पूरा करने का लक्ष्य
इसका निर्माण कार्य 18 महीनों में पूरा करने का लक्ष्य है। पूरी तरह से चालू होने के बाद, यह इको पार्क अगले पांच वर्षों में दिल्ली के कुल ई-वेस्ट का लगभग 25 प्रतिशत प्रोसेस करेगा। डीएसआइआइडीसी इस प्रोजेक्ट की नोडल एजेंसी होगा।
देश की बढ़ती ई-वेस्ट समस्या का समाधान
भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा ई-वेस्ट उत्पादक देश है, जहां हर साल 16 लाख मीट्रिक टन से अधिक ई-वेस्ट उत्पन्न होता है। इसकी वृद्धि दर 23 प्रतिशत प्रतिवर्ष है। दिल्ली अकेले देश के कुल ई-वेस्ट में लगभग 9.5 प्रतिशत का योगदान करती है। वहीं वैश्विक स्तर पर केवल 17.4 प्रतिशत ई-वेस्ट ही रिसायकल किया जाता है, जिससे लगभग 57 बिलियन डालर मूल्य के तांबा, लिथियम व अन्य दुर्लभ धातुएं नष्ट हो जाती हैं।
लोगों को सशक्त बनाना, पर्यावरण की रक्षा करना
ई-वेस्ट रीसाइक्लिंग के अलावा इको पार्क में डिस्मेंटलिंग, रिफर्बिशिंग, कंपोनेंट टेस्टिंग, प्लास्टिक रिकवरी और सेकंड हैंड इलेक्ट्रानिक्स मार्केट के लिए अलग-अलग ज़ोन भी होंगे। साथ ही असंगठित क्षेत्र के हज़ारों कामगारों को औपचारिक रूप से प्रशिक्षित करने हेतु स्किलिंग व ट्रेनिंग सेंटर भी स्थापित किए जाएंगे।
सिरसा ने कहा, “इस पार्क से हज़ारों ग्रीन जाब्स का सृजन होगा। अनौपचारिक क्षेत्र के रीसायकलिंग करने वालों को औपचारिक व्यवस्था में लाकर हम न केवल उनकी आय बढ़ाएंगे, बल्कि पूरी प्रणाली को और अधिक सुरक्षित, स्वच्छ व तकनीकी रूप से उन्नत बनाएंगे।”

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