दिल्ली को जलभराव से मुक्ति दिलाने के लिए नया ड्रेनेज मास्टर प्लान, पुरानी योजना से इतने गुना बेहतर
दिल्ली में जलभराव की समस्या से निपटने के लिए पीडब्ल्यूडी ने नया ड्रेनेज मास्टर प्लान बनाया है। यह 70 मिमी प्रति घंटा तक की बारिश में भी जल निकासी कर सकेगा जबकि पुराना प्लान केवल 25-30 मिमी तक ही सक्षम था। इस योजना में मौजूदा नालों और जलाशयों को एकीकृत किया जाएगा जलवायु परिवर्तन का ध्यान रखा जाएगा और बाढ़ नियंत्रण के लिए बेहतर तकनीक का इस्तेमाल होगा।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा तैयार किया गया नया ड्रेनेज मास्टर प्लान 70 मिमी प्रति घंटा बारिश होने तक सामान्य रूप से जल निकासी कर सकेगा। जबकि 1976 में लागू किया गया पिछला ड्रेनेज मास्टर प्लान 25 से 30 मिमी प्रति घंटा बारिश होने पर भी सामान्य रूप से जल निकासी करने में सक्षम था, जो अभी भी जारी है।
जल निकासी की क्षमता कम होने के कारण दिल्ली में जलभराव लगातार बढ़ रहा है। अब नए ड्रेनेज मास्टर प्लान का मसौदा प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर जारी किया जाएगा।
पीडब्ल्यूडी ने कुछ सप्ताह पहले सरकार को मसौदा रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें अगले 30 वर्षों के लिए जलभराव की समस्या के समाधान की योजना तैयार की गई है।
इसका लक्ष्य तेजी से बढ़ते शहरीकरण और लगातार जलभराव की समस्या के बीच वर्तमान चुनौतियों और भविष्य की जरूरतों का समाधान करना है। मसौदा रिपोर्ट में तीन प्रकार की योजनाओं का सुझाव दिया गया है।
मसौदा रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
सभी मौजूदा नालों, जलाशयों, हरित पार्कों को एकीकृत करने के लिए अत्याधुनिक उपकरणों का उपयोग करके वर्षा जल निकासी की डीपीआर तैयार की गई है ताकि मौजूदा बुनियादी ढांचे का उपयोग किया जा सके और सड़कों, यातायात, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा आदि के रूप में आजीविका में सुधार किया जा सके।
- प्रस्तावित जल निकासी व्यवस्था के कार्यान्वयन के लिए अंतर-विभागीय समन्वय समिति का गठन किया जाएगा।
- जलवायु परिवर्तन वर्तमान में एक प्रमुख चिंता का विषय है, जिसे इस अध्ययन में ध्यान में रखा गया है।
- जल निकासी डिज़ाइन के लिए वर्षा की तीव्रता में 11% वृद्धि को अपनाकर जलवायु-अनुकूल बुनियादी ढाँचा तैयार किया गया है।
- भूमि उपयोग: 1976 में अंतिम जल निकासी मास्टर प्लान तैयार होने के बाद से पिछले 50 वर्षों में पूरी दिल्ली का भूमि आवरण बदल गया है।
- दिल्ली में तेज़ी से हो रहे शहरीकरण के कारण निर्मित क्षेत्र में वृद्धि हुई है, जिसके कारण नालों में पानी के अतिप्रवाह की समस्या ध्यान में आई है।
- सलाहकारों ने भविष्य के मास्टर प्लान के अनुसार सभी पहलुओं पर विचार करते हुए डीपीआर तैयार किया है।
- प्रकृति-आधारित और हरित अवसंरचना समाधान मुख्य रूप से मौजूदा झीलों, हरित पार्कों, आर्द्रभूमि और वर्षा जल संचयन प्रणालियों के पुनरुद्धार पर केंद्रित होंगे, जिससे जैव विविधता और भूजल पुनर्भरण को बढ़ावा मिलेगा।
- बाढ़ की रोकथाम और शहरी लचीलेपन का उद्देश्य बेहतर जल निकासी क्षमता, पंपिंग स्टेशनों और बेहतर रखरखाव प्रोटोकॉल के माध्यम से निचले इलाकों में जलभराव और शहर में जलभराव को कम करना होगा।
- समुदाय-केंद्रित दृष्टिकोण में सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग, लोक निर्माण विभाग, एमसीडी, दिल्ली जल बोर्ड, डीडीए, एनडीएमए और आरडब्ल्यूए को जन भागीदारी, जागरूकता अभियान और हितधारकों की सहभागिता में शामिल किया जाएगा ताकि स्थिरता और स्वामित्व सुनिश्चित किया जा सके।
- जल स्तर और जल निकासी के लिए स्मार्ट तकनीकों के उपयोग का सुझाव दिया गया है।
- नया मास्टर प्लान जलभराव के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान को कम करेगा।
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