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    पत्नी भी एक सम्मानजनक जीवन जीने की हकदार, अदालत ने इस मामले में की ये अहम टिप्पणी

    Updated: Fri, 01 Aug 2025 03:44 PM (IST)

    दिल्ली की अदालत ने कहा कि पत्नी को सिर्फ इसलिए भरण-पोषण से वंचित नहीं किया जा सकता क्योंकि वह शिक्षित है या कमा सकती है। अदालत ने पति की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें उसने पत्नी को दी गई भरण-पोषण राशि को अनुचित बताया था। अदालत ने साफ किया कि पत्नी को पति के समान जीवन जीने का अधिकार है और उसे गरीबी से बचाना जरूरी है।

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    अंतरिम भरण-पोषण के आदेश के खिलाफ पति की अपील खारिज। फाइल फोटो

    रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली। तीस हजारी स्थित विशेष न्यायाधीश की अदालत ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि पत्नी कमा सकती है या शिक्षित है, उसे भरण-पोषण देने से इनकार नहीं किया जा सकता है। विशेष न्यायाधीश भूपिंदर सिंह ने कहा कि पत्नी को न केवल जीने का अधिकार है, बल्कि अपने पति की सामाजिक स्थिति के अनुरूप एक सम्मानित जीवन जीने का अधिकार है।

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    विशेष न्यायाधीश भूपिंदर सिंह ने तलाक के मामले में अपनी पत्नी को दिए गए 6,022 रुपये की अंतरिम भरण-पोषण राशि को उचित ठहराते हुए पति की अपील खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि भरण-पोषण का उद्देश्य पत्नी को गरीबी से बचाना है न कि पति को दंडित करना।

    अदालत ने स्पष्ट किया कि पत्नी को प्रति माह 6,022 रुपये की अंतरिम भरण-पोषण राशि का भुगतान करने का आदेश न तो कानून के खिलाफ है और न ही अनुचित। अदालत ने स्पष्ट किया कि पत्नी को पति की जीवन शैली के अनुसार जीने का अधिकार है और यह उसकी कानूनी जिम्मेदारी है कि वह तब तक रखरखाव प्रदान करे जब तक कि पति यह साबित न कर सके कि पत्नी अपने खर्च खुद वहन कर सकती है।

    अदालत ने कहा कि अगर पत्नी कुछ कमाती है, तो उसे केवल इस आधार पर रखरखाव से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि वह अपनी जरूरतों को खुध पूरा कर सकती है। विशेष न्यायाधीश भूपिंदर सिंह ने कहा कि पत्नी की शिक्षा केवल नौवीं तक है और आय का कोई स्रोत साबित नहीं हुआ है।

    हालांकि, पति खुद को दिहाड़ी मजदूरी करने वाला बताता है। अदालत ने कहा कि दिल्ली में असंगठित क्षेत्र की मासिक आय असंगठित क्षेत्र के लिए निर्धारित न्यूनतम मजदूरी के आधार पर 18,066 रुपये मासिक मानते हुए 6,022 रुपये पत्नी को प्रतिमाह अंतरिम भरण-पोषण देने का आदेश दिया था।

    पीड़िता नबीलाला ने अपने पति मोहम्मद इरफान के खिलाफ घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज कराई थी और कहा था कि विवाह के बाद से उसे मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है।

    दोनों ने 20 फरवरी, 2021 को मुस्लिम तरीके से शादी की थी और उनके कोई बच्चा नहीं है। नबीला 11 सितंबर, 2023 से पति से अलग-अलग रह रही हैं। उसने घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत अंतरिम रखरखाव की मांग की थी।

    25 अप्रैल, 2025 को निचली अदालत ने दिल्ली में न्यूनतम मजदूरी के आधार पर इरफान की 18,066 रुपये की आय को देखते हुए पत्नी को 6,022 रुपये प्रति माह अंतरिम रखरखाव का भुगतान करने का आदेश दिया था। इरफान ने सत्र अदालत में अपील की थी और आदेश को मनमाना और कानून के खिलाफ बताया था।