Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जामा मस्जिद दंगा मामले में बड़ा फैसला, कोर्ट ने 16 आरोपियों को किया बरी

    Updated: Mon, 29 Sep 2025 08:06 PM (IST)

    दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने 2012 के दंगा और आगजनी के एक मामले में 16 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। अदालत ने अभियोजन पक्ष के दावों पर संदेह व्यक्त करते हुए कहा कि गवाह आरोपियों की पहचान करने में विफल रहे। जांच अधिकारी सीसीटीवी फुटेज भी नहीं जुटा पाए। आरोपियों पर गैरकानूनी रूप से जमा होने पथराव करने और चोरी करने का आरोप था।

    Hero Image
    अदालत ने दंगा और आगजनी के एक मामले में 16 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। तीस हज़ारी अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत ने 2012 के एक मामले में दंगा, आगजनी और गैरकानूनी तरीके से जमावड़ा लगाने सहित विभिन्न आरोपों से 16 आरोपियों को बरी कर दिया।

    अदालत ने अभियोजन पक्ष के दावे पर गंभीर संदेह व्यक्त किया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार खरता ने कहा कि कई गवाह किसी भी आरोपी की पहचान करने या उनकी भूमिका का खुलासा करने में विफल रहे, जिससे अभियोजन पक्ष के दावे पर गंभीर संदेह पैदा होता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अदालत ने कहा कि जांच अधिकारी (आईओ) अपराध स्थल या उस क्षेत्र का सीसीटीवी फुटेज प्राप्त करने में असमर्थ रहा जहां से दंगाई भीड़ गुजरी होगी। आरोपियों पर 21 जुलाई, 2012 की देर रात जामा मस्जिद के पास उर्दू बाज़ार इलाके में गैरकानूनी तरीके से जमावड़ा लगाने, पथराव करने, दंगा और आगजनी करने, एक पुलिस थाने में आग लगाने और चोरी करने का आरोप था।

    आरोपों को साबित करने के लिए कोई स्वतंत्र गवाह नहीं था। अदालत ने कहा कि आरोपियों की सही पहचान न कर पाने के कारण अभियोजन पक्ष का मामला कमज़ोर हो गया।

    पुलिस गवाहों के बयानों के संबंध में, अदालत ने पाया कि शिकायतकर्ता और अन्य लोगों के बयान विरोधाभासी थे और किसी भी ठोस सबूत से समर्थित नहीं थे। अदालत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि घटना वर्णित अनुसार नहीं हुई थी। पुलिस गवाहों के बयान अपराध सिद्ध करने के लिए अपर्याप्त थे। आरोपियों में इमरान, बिलाल, शमीम और अन्य शामिल थे।