सड़क के बीच पेड़ों से जहां हो रहीं दुर्घटनाएं; वहां तो हटाया नहीं, होटल के सामने से रातों रात काटे पेड़
दिल्ली के पीतमपुरा में होटल सिटी पार्क के सामने तीन पुराने पेड़ रातोंरात काट दिए गए। यातायात में बाधा का हवाला दिया गया पर पास ही सड़क के बीच खड़े खतरनाक पेड़ों पर पीडब्ल्यूडी की नजर नहीं गई। सवाल उठ रहे हैं कि हादसे की कम आशंका वाले स्थान से ही पेड़ क्यों हटाए गए। पीडब्ल्यूडी का कहना है कि नई एसओपी के तहत कार्यवाही की गई है।

जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली। शालीमार बाग विधानसभा क्षेत्र के पीतमपुरा में होटल सिटी पार्क के सामने तीन दशक पुराने छायादार तीन पेड़ काटे जाने का मामला गर्माता जा रहा है।
यातायात में खतरा बताते हुए इन तीन पेड़ों को रातों-रात काटा गया, लेकिन इस जगह से डेढ़ किलोमीटर के दायरे में रोड के बीचों-बीच खड़े पेड़ों पर पीडब्ल्यूडी की नजर नहीं पड़ी।
अहम बात यह भी सामने आई कि जहां तीन पेड़ काटे गए हैं, वहां सड़क हादसे की आशंका न्यूनतम हैं, जबकि अन्य जगहों पर कई हादसे हो चुके हैं।
बल्कि, एनडी-ब्लाॅक में डीएवी स्कूल के गेट के पास सड़क के बीच पेड़ राहगीरों के लिए कहीं ज्यादा खतरनाक है। जिस तरह से केवल इन तीन पेड़ों को हटाया गया है, इससे पीडब्ल्यूडी की तेजी सवालों के घेरे में आ गई है।
गजब बात यह है कि इन तीन पेड़ों की तरह ही 10 कदम दूरी पर सड़क के बीच में चौथे पेड़ को छोड़ दिया गया। पीडब्ल्यूडी का कहना है कि दिल्ली सरकार की नई एसओपी के तहत नियमानुसार पेड़ काटे गए हैं और काटने के बाद वन विभाग को सूचित भी किया गया है।
नई एसओपी के मुताबिक, विशेष परिस्थिति में पेड़ काटने के लिए वन विभाग की पूर्वानुमति की आश्यकता नहीं है।
शालीमार बाग से विधायक रहे तत्कालीन मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा ने लगभग 30 वर्ष पहले अपने विधानसभा क्षेत्र के पीतमपुरा में पौधारोपण किया था, अब ये पेड़ विशाल स्वरूप ले चुके हैं।
इन्हीं पेड़ों से केपी-ब्लाॅक के गोपाल मंदिर रोड पर होटल सिटी पार्क के सामने तीन छायादार पेड़ रातों-रात काट गए। बताया जाता है कि इनमें से एक पेड़ शीशम का भी था। इन पेड़ों के सुबह केवल तने ही देखने को मिले। यह रोड पीडब्ल्यूडी के अंतर्गत आता है।
इन पेड़ों के बारे में लोगों ने वन विभाग व अन्य संबंधित विभागों से संपर्क किया, लेकिन कहीं संतोषजनक जवाब नहीं मिला। 15 सितंबर को वन विभाग को ई-मेल भेजकर शिकायत भी की गई।
दैनिक जागरण ने इस मामले की पड़ताल की और पता चला कि ये पेड़ पीडब्ल्यूडी की ओर से कटवाए गए हैं। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पीडब्ल्यूडी के सिविल डिपार्टमेंट की ओर से बताया गया कि गोपाल मंदिर रोड पर सात पेड़ हैं।
जिनकी वजह से राहगीरों की जान खतरे में हैं। जांच में तीन पेड़ यातायात की दृष्टि से खतरनाक पाए गए हैं। इन पेड़ों को सेक्शन-8 के तहत काटा गया है। नियमन 24 घंटे के भीतर वन विभाग को सूचित किया गया।
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि होटल के सामने तो पेड़ रातों-रात हटा दिए गए और इस लोकेशन से महज एक किलोमीटर की दूरी पर दो जगह ऐसी हैं, जहां रोड के बीचों-बीच पेड़ हैं।
इनमें से एक, एनडी-ब्लाॅक स्थित डीएवी स्कूल के गेट के सामने पीडब्ल्यूडी के रोड पर बीचों-बीच पेड़ खड़ा है। पेड़ के कारण अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं। कोहरे के समय तो हर साल कई लोग चोटिल होते हैं।
इसी तरह, आर-पी ब्लाॅक में डिस्ट्रिक्ट पार्क के गेट के सामने रोड पर एक पेड़ राहगीरों के लिए परेशानी का सबब बना है। लेकिन, पीडब्ल्यूडी को ये पेड़ नजर नहीं आए।
पीडब्ल्यूडी की मंशा इसलिए भी सवालों के घेरे में है, जब तीन पेड़ काटे गए तो फिर 10 कदम की दूरी पर चौथा पेड़ क्यों नहीं हटाया गया?
आपात स्थिति के अलावा अनुमति आवश्यक
वन विभाग उत्तरी क्षेत्र से संबद्ध वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि आपात स्थिति को छोड़कर पेड़ काटने व छंटाई करने के लिए वन विभाग की अनुमति आवश्यक है, लेकिन नई एसओपी में आपात स्थिति में पेड़ काटने के लिए वन विभाग से पूर्वानुमति की आवश्यकता नहीं है।
पेड़ काटने के बाद सूचना देनी जरूरी है। पीतमपुरा में तीन पेड़ काटने के मामले में वन विभाग को सूचना मिल गई थी।
पार्षद ने कहा- पेड़ काटने की जानकारी नहीं
स्थानीय निगम पार्षद डाॅ. अमित नागपाल का कहना है कि पेड़ काटे जाने की जानकारी उन्हें नहीं है। अगर यातायात में व्यवधान के कारण पेड़ काटे गए हैं तो पीतमपुरा में कई ऐसे पेड़ हैं, जिन्हें रोड से तुरंत हटाया जाना चाहिए।
पार्षद के अनुसार, तत्कालीन मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के साथ वे भी अक्सर पौधारोपण कार्यक्रमों के हिस्सा लेते थे।
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