अपने ऊपर लगे प्रतिबंध के खिलाफ PFI पहुंचा दिल्ली हाई काेर्ट, केंद्र सरकार ने कहा- विचार करने लायक नहीं याचिका
केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय में पीएफआई की याचिका पर विचार करने पर आपत्ति जताई। पीएफआई ने ट्रिब्यूनल के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें उस पर लगे पांच साल के प्रतिबंध को बरकरार रखा गया था। केंद्र का कहना है कि ट्रिब्यूनल का नेतृत्व उच्च न्यायालय के न्यायाधीश कर रहे हैं इसलिए याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता। मामले की अगली सुनवाई 7 अगस्त को होगी।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: पांच साल का प्रतिबंध बरकरार रखने के गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम ट्रिब्यूनल के 21 मार्च 2024 के आदेश को चुनौती पीएफआई ने चुनौती दी।
पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की याचिका पर सोमवार को केंद्र सरकार की ओर से दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष आपत्ति जताई गई है।
केंद्र सरकार की तरफ से पेश एडिशनल साॅलिसिटर जनरल एसवी राजू ने मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ को सूचित किया कि याचिका विचारणीय नहीं है क्योंकि ट्रिब्यूनल का नेतृत्व हाई कोर्ट के एक वर्तमान न्यायाधीश कर रहे हैं।
ऐसे में संबंधित आदेश को संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत चुनौती नहीं दी जा सकती है। एएसजी एसवी राजू ने कहा कि रिट याचिका पर विचार किए जाने पर प्रारंभिक आपत्ति है, क्योंकि संविधान के तहत कोई उपाय उपलब्ध नहीं है।
उन्होंने कहा कि ट्रिब्यूनल में इस हाई कोर्ट के एक वर्तमान न्यायाधीश कार्यरत हैं और हाई कोर्ट का न्यायाधीश इस अदालत के अधीनस्थ नहीं होता और अनुच्छेद 227 अधीनस्थ न्यायालयों पर लागू होता है। मामले की संक्षिप्त सुनवाई कर पीठ ने इसे सात अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया।
अदालत ने अभी तक इस मामले में औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया है। पीएफआई ने पीएमएलए के आदेश को चुनौती दी है। इसमें केंद्र के 27 सितंबर 2022 के प्रतिबंध के फैसले की पुष्टि की गई थी।
केंद्र ने आईएस जैसे वैश्विक आतंकवादी संगठनों के साथ संबंधों और देश में सांप्रदायिक नफरत फैलाने की कोशिश के लिए पीएफआ पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया था।
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