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    भूमाफियाओं ने कूड़े की आड़ में गायब कर दिया वजीराबाद क्षेत्र में यमुना किनारे का झरौदा वेटलैंड, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

    Updated: Sun, 20 Jul 2025 01:32 PM (IST)

    दिल्ली के वजीराबाद क्षेत्र में यमुना किनारे का वेटलैंड जो कभी जैव विविधता का खजाना था भूमाफियाओं ने गायब कर दिया है। अवैध कब्जे के कारण यह कंक्रीट के जंगल में बदल गया है जिससे पर्यावरणीय संकट उत्पन्न हो गया है। वेटलैंड को कूड़े से भरने के कारण मछलियां और पक्षी गायब हो गए हैं। एमसीडी महापौर ने जांच कराकर कार्रवाई करने की बात कही है।

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    भूमाफियाओं का खेल कूड़े की आड़ में गायब कर दिया झरौदा वेटलैंड। फोटो : जागरण

    अनूप कुमार सिंह, नई दिल्ली। दिल्ली के वजीराबाद क्षेत्र में झरौदा मेट्रो स्टेशन के पास यमुना किनारे का वेटलैंड जो कभी दिल्ली में जैव विविधता का खजाना व पर्यावरण की ढाल था, उसे भूमाफियाओं ने कूड़े की आड़ में ‘गायब’ कर कंक्रीट के जंगल में तब्दील कर दिया है। आरोप है कि हरियाली व विविध पारिस्थितिकी तंत्र के लिए जाना जाने वाले राष्ट्रीय राजधानी में यमुना के बाढ़ क्षेत्र (जीरो-जोन) की 9,700 हेक्टेयर भूमि में से 7,362 हेक्टेयर पर अवैध कब्जा कर वहां बड़ी-बड़ी इमारत, काॅलोनी, मकान और दुकान बना दी गई हैं, झरौदा यह क्षेत्र भी उसी का प्रमुख हिस्सा है।

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    इंसान से लेकर पशु-पक्षी तक प्रभावित

    मानव निर्मित यह पर्यावरणीय आपदा न केवल दिल्ली के जल संकट को गहरा रही है, बल्कि इसने प्रवासी पक्षियों, जलीय जीवों के प्राकृतिक बसेरे को भी खत्म कर दिया है।

    यह वेटलैंड बाढ़ नियंत्रण, भूजल, पुनर्भरण और जैव-विविधता संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था, प्रवासी पक्षियों, मछलियों और जलीय पौधों का घर था।

    हालांकि, अब इसकी जमीन पर अवैध काॅलोनियां, हजारों की संख्या में पक्के मकान, झुग्गी-झोपड़ियां, गोदाम, दुकानें, स्कूल, अस्पताल यहां तक कि पेट्रोल पंप तक बन गए हैं।

    करीब दस लाख की आबादी यहां निवास कर रही है, जिनमें प्रवासी मजदूर, छोटे व्यापारी और किराएदार शामिल हैं।

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    बेधड़क बहुमंजिला इमारतें बन रहीं

    यमुना की कीमती जमीन को खुलेआम प्लाॅटिंग और बिक्री के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। बाढ़ सुरक्षा दीवार (सेफ्टी वाल) तोड़कर सार्वजनिक रास्ते बना दिए गए हैं, बेधड़क बहुमंजिला इमारतें बन रही हैं। वर्तमान में यहां केवल घास के कुछ टुकड़े बचे हैं, उस पर भी कचरा जमा किया जा रहा है।

    आरोप है कि वेटलैंड की यह स्थिति भूमाफियाओं और भ्रष्ट अधिकारियों की सांठगांठ का परिणाम है। राजनीतिक दबाव, अवैध कालोनियों-निर्माण को नियमित करने की योजनाओं ने इसे बढ़ावा दिया।

    यही कारण है कि अतिक्रमण हटाने के दिल्ली हाइकोर्ट के निर्देशों के बावजूद अब तक केवल 700 हेक्टेयर क्षेत्र को ही मुक्त कराया जा सका है। यही स्थिति दिल्ली का जल संकट और पर्यावरणीय असंतुलन को और बढ़ देगी।

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    नागरीय सुविधा बढ़ने के साथ बढ़ा भूमाफियाओं का खेल

    स्थानीय निवासियों के अनुसार जैसे-जैसे इस क्षेत्र में नागरीय सुविधाओं का विकास हुआ, वैसे-वैसे भूमाफियाओं का दखल भी बढ़ता गया, जिससे इस क्षेत्र में जीनों की कीमतों में तेजी से इजाफा हुआ। पिछले दो वर्षों में सुनियोजित तरीके से इस क्षेत्र को कचरे के ढेर में बदल दिया, हालांकि दावा है कि यह कचरा ''इनर्ट'' है, यानी यह पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं है।

    नहीं दिखतीं मछलियां, पक्षी और जलीय जंतु

    बताया गया कि जबसे वेटलैंड को कूड़ा घर बना दिया गया है तब से इस क्षेत्र में रोहू, कतला और मृगल आदि मछली, पक्षियों और अन्य जलीय जीवों की प्रजातियां, जो पहले यहां पाई जाती थीं, अब दिखाई नहीं देतीं।

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    पर्यावरणीय कानूनों का उल्लंघन कर भर रहे कूड़ा

    स्थानीय नागरिक कैलाश, रानी, मुकेश और भारत ने इस प्राकृतिक विरासत की उपेक्षा के लिए दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) व दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की आलोचना की। कहाकि वेटलैंड को कूड़े से भरना पर्यावरणीय कानूनों का उल्लंघन है।

    एमसीडी करेगा कार्रवाई

    दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) माहपौर राजा इकबाल सिंह ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच करा कड़ी कार्रवाई करने की बात कही। इस बाबत् पूछे जाने पर उन्होंने कहाकि मामला उनके संज्ञान में आ गया है, सभी संबंधित विभागों व अधिकारियों से जानकारी लेकर उचित कदम उठाया जाएगा।

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