कुत्तों के बाद क्या अब इस जानवर पर भी लिया जाएगा एक्शन? सरकार को नहीं मिली खास कामयाबी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली में आवारा कुत्तों को हटाने की तैयारी चल रही है। हालांकि दिल्ली सरकार अभी तक सड़कों से बेसहारा पशुओं को हटाने में सफल नहीं हुई है। अवैध डेयरियों के कारण सीवर जाम और दुर्घटनाओं की समस्या बनी हुई है। एमसीडी गोवंश को गौशालाओं में छोड़ने का दावा करती है लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है।

नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली की सड़कों को आवारा कुत्ता मुक्त करने की तैयारी जोरशोर से चल रही है। यह अभियान ऐसे समय में शुरू हो रहा है।
जब दिल्ली सरकार व सिविक एजेंसियां तमाम प्रयासों व बजट आवंटन के बावजूद दिल्ली की सड़कों को बेसहारा पशु (गो वंश) मुक्त नहीं कर पाई हैं। एमसीडी के चंद गोशालाओं में निर्धारित क्षमता से कहीं अधिक पशु रखे गए हैं।
उनके लिए भी चारा व इलाज के इंतजाम में किल्लत रहती है। वैसे, दिल्ली की सड़कों को बेसहारा पशु मुक्त करने का अभियान दशकों से चल रहा है, लेकिन उसमें आज तक सफलता नहीं मिली है।
अप्रैल माह में ही मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के काफिले को शालीमार बाग में गोवंश ने काफी देर तक रोके रखा था, जबकि, फरवरी में आया नगर में गोवंश के झुंड ने बुर्जुग महिला को गंभीर रूप से घायल कर दिया था।
सदर बाजार मुख्य मार्ग पर बेसहारा पशु। जागरण
मार्च में अलीपुर में 62 वर्षीय व्यक्ति की मौत सांड़ के हमले से हो गई थी। पिछले वर्ष फरवरी में खानपुर में बेसहारा पशुओं के हमले से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। अक्सर ऐसी घटनाएं होती है जिसमें बच्चों, बुजुर्गों व महिलाओं पर ये जानवर अचानक हमला कर देते हैं।
साड़ों की लड़ाई में यातायात बाधित होने, वाहनों व सामानों को नुकसान पहुंचने की भी घटनाएं अक्सर होती है। इस समस्या की प्रमुख वजह एमसीडी, पुलिस की मिलीभगत से रिहायशी इलाकों में अवैध डेरियाें का संचालन है, जो दूध निकालकर कर गाय काे सड़कों पर छोड़ देते हैं। जबकि मवेशी (सांड) भी इसी तरह घूमते रहते हैं।
सीवर जाम होने का बड़ा कारण
रिहायशी इलाकों में चल रही अवैध डेरी से निकले गोबर से सीवर व नालियां जाम होने की समस्या होती है। जब वर्षा होती है तो उन इलाकों में जलभराव की विकट समस्या हो जाती है। इसी, तरह गोबर से गलियां गंदी होती हैं।
इन रिहायशी इलाकों में चल रही है अवैध डेरी
मंडावली, विनोद नगर, त्रिलोकपुरी, कल्याणपुरी, अशोक नगर, गाजीपुर, विश्वास नगर, जोशी कालोनी, बदरपुर, महरौली, छतरपुर, संगम विहार, दक्षिणपुरी, पालम, उत्तम नगर।
महावीर एन्कलेव, करोल बाग, पहाड़गंज, नारायणा, इंद्रपुरी, वजीरपुर, अशोक विहार, शास्त्री नगर, किशनगंज, गुलाबी बाग, सदर बाजार, जहांगीरपुरी, भलस्वा, तिमारपुर, रोहिणी, बुराड़ी, किराड़ी और बवाना ।
गौशालाओं से भी गाय की हो जाती है वापसी
एमसीडी गोवंश को पकड़कर गौशाला ले जाती है। कई मामलों में आरोप लगते हैं कि डेरी वाले गौशाला संचालकों से मिलीभगत कर गाय छुड़ा लाते हैं। वैसे, एमसीडी हर वर्ष करीब 10 हजार गाय को पकड़कर गौशालाओं में छोड़ने का दावा करती है। बावजूद इसके सड़कों से गोवंश कम नहीं हो रहे हैं।
दिल्ली में पशु पालन विभाग द्वारा चार गौशालाओं का संचालन किया जाता है, जिनमें निर्धारित 15,300 की क्षमता से अधिक 18 हजार गोवंश है। दिल्ली सरकार द्वारा कुछ माह पूर्व से हर जिले में गोशाला स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है। उम्मीद है कि ये प्रक्रिया पटरी से नहीं उतरती है तो बेसहारा पशुओं से कम से कम दिल्ली वालों को राहत मिल जाएगी।
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