Email और Pen drive से भी उपलब्ध कराएं RTI की जानकारी, दिल्ली हाई कोर्ट का केंद्र सरकार को आदेश
दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी ईमेल और पेनड्राइव में देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सूचना उसी रूप में दी जाए जैसे मांगी गई है। यह फैसला आदित्य चौहान की याचिका पर आया जिसमें इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से जानकारी देने की मांग की गई थी। कोर्ट ने वाट्सएप और ईमेल से मध्यस्थता समझौते को भी वैध माना है।

विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली: सूचना का अधिकार (RTI) के तहत सूचना प्राप्त करने के लिए अब आपको हजारों रुपये नहीं खर्च करने होंगे।
आपको ये जानकारी ईमेल या पेनड्राइव में भी उपलब्ध हो सकेगी। इलेक्ट्राॅनिक रूप में सूचना उपलब्ध कराने की मांग को लेकर दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने ये अहम निर्णय पारित किया है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को आरटीआई अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी ईमेल और पेनड्राइव देने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने दिया इसके लिए सुरक्षा नियम बनाने का निर्देश
मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने साथ ही पर्याप्त सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने के लिए इस बाबत नियम बनाने के निर्देश जारी करने का भी आदेश दिया।
इसके साथ ही दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार के सक्षम प्राधिकारी को तीन महीने के भीतर इस मुद्दे पर निर्णय लेने का भी निर्देश दिया।
पीठ ने रिकार्ड पर लिया कि आरटीआई अधिनियम के तहत मांगी गई कोई भी जानकारी ईमेल और पेनड्राइव सहित सभी संभव इलेक्ट्रानिक तरीकों से सूचना चाहने वाले को प्रदान की जानी चाहिए।
हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि सूचना उसी रूप में प्रदान की जाएगी, जिस रूप में मांगी गई है।
अदालत ने उक्त आदेश आदित्य चौहान और एक अन्य व्यक्ति द्वारा दायर जनहित याचिका पर दिया। याचिका में जन सूचना अधिकारियों और अन्य संबंधित प्राधिकारियों द्वारा आरटीआई अधिनियम के तहत आधुनिक इलेक्ट्राॅनिक मोड सूचना उपलब्ध कराने का निर्देश देने की मांग की थी।
फ्लाॅपी, डिस्क या वीडियो कैसेट से सूचना देने का प्रविधान है
याचिका के अनुसार आरटीआई अधिनियम में इलेक्ट्राॅनिक तरीकों से जानकारी मांगने का अधिकार देने के लिए पर्याप्त प्रविधान हैं, लेकिन अधिकारी अक्सर ईमेल और पेनड्राइव में सूचना उपलब्ध नहीं करा रहे हैं।
यह भी तर्क दिया गया कि 2012 के आरटीआई नियमों में अपेक्षित ढांचे का अभाव है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मांगी गई जानकारी आधुनिक इलेक्ट्राॅनिक तरीकों से दी जाए।
केंद्र सरकार ने पीठ को सूचित किया कि अधिनियम में फ्लाॅपी, डिस्क या वीडियो कैसेट के साथ ही इलेक्ट्राॅनिक तरीकों से भी सूचना देने का प्रविधान है।
वाट्सएप और ईमेल से हुआ मध्यस्थता समझौता वैध : कोर्ट
मध्यस्थता से जुड़े एक अन्य मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने माना है कि औपचारिक रूप से हस्ताक्षरित अनुबंध की गैरमौजूदगी में भी, वाट्सएप और ईमेल संचार के माध्यम से मध्यस्थता समझौता किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने एक मामले में निर्णय सुनाया कि बेल्वेडियर रिसोर्सेज डीएमसीसी और एसएम निर्यात के बीच एक वैध मध्यस्थता समझौता मौजूद था क्योंकि मध्यस्थता समझौता ईमेल और वाट्सएप संचार के आदान-प्रदान में था।
यह मामला सितंबर 2022 के अंत में शुरू किए गए एक लेनदेन से शुरू हुआ था। दोनों पक्षों ने वाट्सएप और ईमेल पर बातचीत की और अक्टूबर 2022 तक बेल्वेडियर ने समझौते की शर्तों को साझा किया था।
हालांकि, बार-बार अनुरोध के बावजूद एसएम निर्यात अग्रिम भुगतान करने में विफल रहा और 15 नवंबर 2022 को अचानक सौदे को रद कर दिया।
इसके बाद बेल्वेडियर ने जून 2024 में सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (एसआईएसी) के समक्ष मध्यस्थता का आह्वान किया और याचिका दायर कर ओसीएल और उसकी सहायक कंपनियों को लगभग 23.34 करोड़ की दावा की गई राशि को सुरक्षित करने का निर्देश देने की मांग की थी।
प्रतिवादियों ने तर्क दिया था कि कोई वैध मध्यस्थता समझौता मौजूद नहीं था। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि हर्जाना अभी तक चुकाया नहीं गया था।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।