यमुना में प्रदूषण पर लगेगी लगाम, नजफगढ़ के नालों का किया जा रहा ड्रोन से सर्वे
यमुना में प्रदूषण का मुख्य कारण नालों से आने वाला गंदा पानी है जिसमें नजफगढ़ और शाहदरा नाले प्रमुख हैं। इन नालों में मिलने वाले छोटे नालों को शोधित करने के लिए ड्रोन सर्वे किया जा रहा है। सर्वे के आधार पर विकेंद्रीकृत सीवरेज उपचार संयंत्र स्थापित करने की योजना है। इसके अतिरिक्त गाद निकालने और अपशिष्ट उपचार के भी प्रयास जारी हैं।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्लीः यमुना के प्रदूषण के लिए इसमें गिरने वाले नाले जिम्मेदार हैं। सबसे अधिक प्रदूषण नजफगढ़ व शाहदरा नाले से होता है। इनमें बड़ी संख्या में छोटे नाले मिलते हैं।
बड़े नालों के पानी को सीवरेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) से साफ करना मुश्किल है। इसमें मिलने वाले छोटे नालों के पानी को शोधित करने से समस्या दूर होगी।
इससे बड़े नालों के साथ ही यमुना को साफ करने में मदद मिलेगी। इसे ध्यान में रखकर बड़े नालों का ड्रोन से सर्वे किया जा रहा है।
जल मंत्री प्रवेश वर्मा ने नजफगढ़ नाला, शाहदरा नाला और सप्लीमेंट्री नाला में लगभग 300 छोटे नाले मिलते हैं। इन छोटे नालों से गंदा पानी बड़े नालों में जाता है।
बड़े नालों के माध्यम से यमुना में गंदा पानी गिरने से प्रदूषण बढ़ रहा है। ड्रोन सर्वे से छोटे नालों के उद्गम, उसकी लंबाई और बड़े नालों में मिलने का पूरी जानकारी उपलब्ध होगी।
इससे विकेंद्रीकृत सीवरेज उपचार संयंत्र (डीएसटीपी) स्थापित कर उन नालों के पानी को शोधित किया जाएगा। शोधित पानी बड़े नालों में गिरेगा। इससे यमुना को साफ करने में मदद मिलेगी।
सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग तथा दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) बड़े नालों से गाद निकालने तथा उनमें बहने वाले अपशिष्ट का उपचार करने पर काम कर रहे हैं। 40 डीएसटीपी लगाने की योजना है। इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
यमुना नदी की सफाई के लिए दिल्ली सरकार की पूर्व में घोषित 45-सूत्रीय कार्ययोजना में इस वर्ष के अंत तक इंटरसेप्टर सीवर परियोजना (आइएसपी) को पूरा करना शामिल है। इस परियोजना में सभी नालों को एसटीपी से जोड़ा जाना है।
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