156 करोड़ के ओजेम्पिक घोटाले में विक्की रमांचा को दिल्ली हाई कोर्ट से अंतरिम राहत, नकली दवाओं का खुलासा
दिल्ली हाई कोर्ट ने 156 करोड़ रुपये के ओजेम्पिक घोटाले के मुख्य आरोपी विक्की रमांचा को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी है। अदालत ने 22 सितंबर तक कोई जबरन कार्रवाई न करने का आदेश दिया है। रमांचा को जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया गया है। पटियाला हाउस कोर्ट ने पहले उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। नकली दवाओं की आपूर्ति को स्वास्थ्य के लिए खतरा बताया था।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने 156 करोड़ रुपये (18.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर) के अंतरराष्ट्रीय ओजेम्पिक घोटाले के मुख्य आरोपित कारोबारी विक्की रमांचा को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दे दी है। अदालत ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई की तारीख 22 सितंबर तक उसके खिलाफ कोई भी जबरन कार्रवाई न की जाए।
स्वास्थ्य के लिए सीधा खतरा
न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने निर्देश दिया कि रमांचा जांच में सहयोग करें और 25 अगस्त को जांच अधिकारी के समक्ष पेश हो। इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट ने रमांचा की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ लालेर ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि भारत का फार्मा सेक्टर एक राष्ट्रीय संपत्ति है और नकली दवाओं की आपूर्ति सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए सीधा खतरा है।
पटियाला हाउस कोर्ट ने यह भी माना था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुए इस धोखाधड़ी में कई कानूनी पेचीदगियां हैं, जिनकी जांच विस्तार से करना आवश्यक है।
आपूर्ति के नाम पर धोखाधड़ी
अमेरिका की कंपनी अश्योर ग्लोबल एलएलसी ने रमांचा पर आरोप लगाया है कि उसने 1.25 लाख डोज एंटी-डायबिटिक दवा ओजेम्पिक की आपूर्ति के नाम पर धोखाधड़ी की। कंपनी का आरोप है कि रमांचा ने भारत में राजनीतिक संपर्क होने का दावा किया और चीन व हांगकांग की ओउची फार्मा से समझौते व चालान दिखाए, जिन्हें पटियाला हाउस कोर्ट में नोटरी भी कराया गया।
नकली और मिलावटी घोषित
कंपनी ने इन कागजों पर भरोसा कर 18.8 मिलियन अमेरिकी डाॅलर का भुगतान किया। लेकिन दवाओं की खेप अमेरिका पहुंचने पर एफडीए ने जब्त कर लिया और उन्हें नकली और मिलावटी घोषित किया।
मामला बाद में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडबल्यू) को सौंपा गया। अदालत के आदेश के बाद 29 मई को रंमाचा के खिलाफ आइपीसी की धारा 406 (विश्वासघात), धारा 420 (धोखाधड़ी) और धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई।
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