MCD में अब गठित होगीं तदर्थ और विशेष समितियां, चेयरमैन-डिप्टी चेयरमैन के चुनाव की प्रक्रिया 15 जुलाई तक होगी पूरी
दिल्ली नगर निगम में वार्ड और स्थायी समितियों के बाद अब तदर्थ और विशेष समितियों के गठन की प्रक्रिया शुरू होगी। 15 जुलाई तक सदस्यों की नियुक्ति और चुनाव होंगे। ढाई साल से समितियों का गठन रुका हुआ था जिससे दफ्तर खाली थे। ये समितियां लाइसेंस संपत्ति कर जैसी सेवाओं पर नीतियां बनाती हैं जिन्हें स्थायी समिति और सदन मंजूरी देते हैं।

निहाल सिंह, नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम की वार्ड कमेटियों के साथ ही सर्वोच्च स्थायी समिति के गठन के बाद अब तदर्थ और विशेष समितियों के गठन की प्रक्रिया शुरू होगी। एमसीडी में 12 के करीब विशेष तो 13 के करीब तदर्थ समितियां हैं।
इन समियों के गठन के लिए सदस्यों की नियुक्ति के साथ ही चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन के चुनाव की प्रक्रिया 15 जुलाई तक पूरी हो जाएगी। दिल्ली नगर निगम के एकीकरण के बाद ढाई वर्ष इन समितियों का गठन नहीं हो सका है। जिसकी वजह से इन समितियों के लिए निगम मुख्यालय में बनाए गए दफ्तर भी खाली पड़े हैं।
स्थायी समिति और फिर सदन में मंजूरी देकर लागू किया जाता
दिल्ली नगर निगम के लिए इन समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि लाइसेंस, संपत्तिकर, बाढ़ एवं नियंत्रण मलेरिया, स्वास्थ्य, तहबाजारी आदि निगम की सेवाओं से संबंधित यह कमेटियां नीतियां तैयार करती हैं। इन नीतियों स्थायी समिति और फिर सदन में मंजूरी देकर लागू किया जाता है।
खास बात यह है कि इन समितियों पर अपने विषय से संबंधित नीतियां बनाने और चर्चा के लिए बैठकें बुलाने के साथ अधिकारियों के साथ निरीक्षण करने का भी अधिकार होता है। दिल्ली नगर निगम के महापौर राजा इकबाल सिंह ने बताया कि आप सरकार ने जानबूझकर पहले एक साल वार्ड कमेटियों का कमेटियों का गठन रोके रखा और ढाई साल से स्थायी समिति का गठन नहीं होने दिया गया।
भाजपा की सरकार आते ही वार्ड कमेटियों का गठन शांतिपूर्वक हुआ तो वहीं स्थायी समिति का भी हमने गठन कर दिया है। हम अन्य तदर्थ और विशेष समितियों का गठन कर देंगे।
ऐसे होगा समितियों का गठन
- महापौर द्वारा विभिन्न समितियों में सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी
- सदस्यों की नियुक्ति का प्रस्ताव को सदन में मंजूर किया जाएगा
- समितियों के चुनाव की अधिसूचना होगी
- नामांकन के बाद निश्चित तारीख पर चुनाव कराएं जाएंगे।
आइवीपी बिगाड़ेगी आप का गणित
समितियों में सदन में संख्या बल के अनुपात के हिसाब से सदस्यों की नियुक्ति की जाती है। 15 पार्षदों वाली इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी(आइवीपी) के चलते आप का खेल बिगड़ जाएगा। जिस प्रकार वार्ड कमेटियों के चुनाव में आइवीपी और भाजपा ने अघोषित गठबंधन किया था वैसा ही गठबंधन वहां हुआ तो आप के हाथ से सभी समितियों की सत्ता निकल जाएगी।
संभवत: आइवीपी के पार्षदों को कई समितियों में चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन बनने का मौका मिल जाए। उल्लेखनीय है कि इन समितियों में 15 से लेकर 40 तक सदस्यों की नियुक्ति होती है। सदन में 238 सदस्य हैं। इसमें भाजपा के पास 117 तो आइवीपी के पास 15, कांग्रेस के पास आठ तो आप के पास 96 जबकि दो पार्षद निर्दलीय हैं।
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