नाले की बदबू से जीना मुहाल, NGT ने डिफेंस काॅलोनी-बारापुला नाले में गिरने वाले सभी नालों का मांगा रिकार्ड
डिफेंस कॉलोनी-बारापुला नाले से उठ रही दुर्गंध के मामले में एमसीडी और डीजेबी ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए हैं। एमसीडी ने डीजेबी पर गैर-शोधित सीवेज छोड़ने का आरोप लगाया जबकि डीजेबी ने अवैध कॉलोनियों में सीवर लाइन न होने की बात कही। एनजीटी ने दोनों एजेंसियों को व्यापक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है जिसमें सीवेज नालों का मानचित्रण और एसटीपी संबंधी जानकारी शामिल है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: डिफेंस काॅलोनी-बारापुला नाले से उठने वाली दुर्गंध से स्थानीय नागरिकों को हो रही परेशानी के बीच एजेंसियां एक दूसरे पर आरोप मढ़कर अपना पल्ला झाड़ रही हैं।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में दाखिल रिपोर्ट में दुर्गंध के लिए दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) की सीवर लाइन से बरसाती नाले में गैर-शोधित सीवेज छोड़ने का आरोप लगा है वहीं डीजेबी ने सौ से अधिक अवैध काॅलोनी में सीवर लाइन न होने को इसका कारण बताया।
यह भी कहा कि कुछ काॅलोनी वन विभाग की जमीन पर बसी हैं और उक्त कालोनी में सीवर लाइन डालने के लिए वन विभाग की अनुमति की जरूरत है।
चार सप्ताह में हलफनामा देने का आदेश
मामले में एजेंसियों के जवाब पर एनजीटी चेयरमैन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद एमसीडी व डीजेबी को चार सप्ताह के भीतर एक व्यापक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
एनजीटी ने सभी पक्षों को सुनने के बाद डीजेबी को एक व्यापक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
एजनीटी ने कहा कि इसमें बारापुला-डिफेंस कॉलोनी नाले में गिरने वाले सभी सीवेज नालों का पूर्ण मानचित्रण, प्रतिदिन निकलने वाला सीवेज, नालों के विशिष्ट स्थान और प्रस्तावित एसटीपी के संबंध में समयसीमा, खर्च और जिम्मेदार नामित अधिकारियों का ब्योरा दिया जाए।
20 जुलाई को होगी मामले में अगली सुनवाई
अदालत ने एमसीडी को इसके साथ ही नाले से गाद निकालने में तेजी लाने और ठोस अपशिष्ट के प्रवाह को रोकने के लिए अपस्ट्रीम बिंदु पर तार का जाल लगाने के संबंध में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। उक्त निर्देशों के साथ एनजीटी ने मामले की सुनवाई 20 अगस्त के लिए तय कर दी।
सुनवाई के दौरान आवेदनकर्ता निजामुद्दीन वेस्ट एसोसिएशन की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोन्साल्विस ने दलील दी है कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की स्थापना की जाए अनुपचारित सीवेज बरसाती नाले में न जाए और बरसाती नाले से गाद निकाली जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि बारापुला नाले में बहने वाले सीवेज का यमुना नदी में गिरने से ठीक पहले शोधन किया जाता है। इसलिए, गैर-शोधित सीवेज पूरी दिल्ली में बारापुला नाले के जरिये बहता है और इससे दुर्गंध फैलती है।
नाले में सीवर जाने से रोकना चाहिए
वहीं, हस्तक्षेपकर्ता व वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि डीजेबी को डिफेंस काॅलोनी नाले या बारापुला नाले में अनुपचारित सीवेज के बहाव को रोकने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए।
जब तक डीजेबी द्वारा यह कार्रवाई नहीं की जाती, एमसीडी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नालों की सफाई हो और बरसाती जल निकासी के किनारे गाद जमा न हो। उन्होंने अनुरोध किया कि एमसीडी को दीर्घकालिक समाधान लागू होने तक नालों से गाद निकालने और गाद जमा होने से रोकने का काम जारी रखना चाहिए।
31 जुलाई तक पूरा होगा नाले से गाद निकालने का काम
हलफनामा दाखिल कर एमसीडी ने एनजीटी को सूचित किया कि डिफेंस काॅलोनी नाले से गाद निकालने का 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और आश्वासन दिया कि शेष 20 प्रतिशत काम 31 जुलाई तक पूरा हो जाएगा।
एमसीडी ने यह भी बताया कि यह नाला मूल रूप से बरसाती पानी के लिए डिजाइन किया गया था, लेकिन अब इसमें गैर-शोधित सीवेज के अवैध रूप से छोड़े जाने के कारण यह प्रदूषित हो गया है। यह भी कहा कि सीवेज डीजेबी के अधिकार क्षेत्र में आता है।
इलाके की 129 अवैध कालोनी में नहीं है सीवेज लाइन
मामले में सुनवाई के दौरान वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए डीजेबी सीईओ कौशल राज ने एनजीटी के समक्ष कहा कि इलाके में 189 अनधिकृत कालोनियों का पानी बारापुला/डिफेंस कालोनी के नालों में गिरता है। इनमें से 129 में सीवर नहीं हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वन भूमि पर स्थित कालोनियों में सीवर लाइन बिछाने के लिए वन मंजूरी आवश्यक है।
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