दिल का मरीज बनकर अस्पताल पहुंची पुलिस, आरोपी डॉक्टर को दबोचा; नवजात बच्चों की तस्करी मामले में बड़ी कामयाबी
दक्षिणी दिल्ली पुलिस ने नवजात बच्चों की तस्करी के मामले में डॉ. कमलेश कुमार को गिरफ्तार किया। पुलिस ने मरीज बनकर क्लीनिक में प्रवेश किया और डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में पता चला कि डॉ. कमलेश नवजात बच्चों की खरीद-बिक्री करते थे। पुलिस ने छह बच्चों को बरामद किया और उन्हें बाल कल्याण समिति को सौंप दिया। गिरोह पिछले तीन साल से सक्रिय था।

अमित भाटिया, दक्षिणी दिल्ली। नवजात बच्चों की तस्करी के मामले में पकड़े गए गिरोह की एक मुख्य कड़ी डॉ. कमलेश कुमार को पुलिस ने नाटकीय अंदाज में गिरफ्तार किया। पुलिस दिल की मरीज बनकर क्लीनिक में पहुंची। जब डॉक्टर कमलेश, मरीज बनकर अस्पताल पहुंचे स्पेशल स्टाफ के प्रभारी राजेंद्र डागर को देखने उनके पास आए तब पुलिसकर्मियों ने अपना परिचय देकर उसे गिरफ्तार कर लिया।
सराय काले खां बस अड्डे से चोरी नवजात की तलाश करते हुए पुलिस टीम ने फतेहाबाद निवासी वीरभान, कालीचरण और रामबाबू से पूछताछ की ताे उन्होंने बताया कि बच्चे को उन्होंने गांव उझावली, फतेहाबाद में केके अस्पताल के संचालक डॉ. कमलेश कुमार को बेच दिया है।
पुलिस टीम डा. के नर्सिंग होम में पहुंची तब रात के दो बजे थे। पुलिस टीम डाक्टर को पहचानती नहीं थी। ऐसे में डर था कि सीधे रेड करने पर डाक्टर कहीं चकमा देकर भाग न जाए। इस पर इंस्पेक्टर ने मरीज बनकर डाक्टर की पहचान करने का नाटक रचा।
इंस्पेक्टर राजेन्द्र डागर ने दिल में दर्द होने का नाटक किया। उनके साथ एसआइ शुभम और मुनेश उनके सहायक बनकर उन्हें अस्पताल लेकर पहुंचे। इस दौरान इंस्पेक्टर डागर को वहां तैनात एक स्टाफ ने जांचना शुरू किया, मगर पुलिस टीम ने सिर्फ डॉ. कमलेश को ही दिखाने की जिद की।
इस पर क्लीनिक में ही बने एक कमरे में सो रहे डा. कमलेश को उठाया गया। जब वह मरीज को देखने पहुंचे तो पुलिस टीम ने बातों बातों में उनका नाम पूछा। इसके बाद बाहर मौजूद टीम के अन्य सदस्यों पकड़े गए वीरभान और रामबाबू को बाहर से ही डा. का चेहरा दिखाकर पुष्टि करने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तार आरोपितों के प्रोफाइल
- डॉ. कमलेश कुमार: गांव उझावली, फतेहबाद। डा. कमलेश नवजात बच्चों की खरीद व बिक्री के साथ ही संतान न चाहने वाली युवतियों की डिलीवरी करवाकर उन बच्चों को निसंतान दंपतियों को बेचता था।
- सुंदर: नई आबादी, रामनगर, फिरोजाबाद। सुंदर मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव है और इस पूरे गिरोह का मास्टरमाइंड है।
- कृष्णा व प्रीति: राजनगर कालोनी, शाहदरा, कुबेरपुर, आगरा। दोनों सगी बहनें हैं। कृष्णा बीएमएस की डिग्री हासिल कर चुकी है, प्रीति अभी बीएमएस अंतिम वर्ष की छात्रा है।
- वीरभान: गांव पिनाहट, आगरा और कालीचरण (फतेहाबाद) ने सराय काले खां बस अड्डे से नवजात बच्चे को चुराया था। कालीचरण, वीरभान का ससुर है।
- रितु: निवासी राधे गोपाल रेजीडेंसी, आगरा। नवजात बच्चों को बेचने के लिए ग्राहक की तलाश करती थीं।
- ज्योत्सना: वेलकम प्लेस हरि नगर, बालगंज। नवजात बच्चों को बेचने के लिए ग्राहक की तलाश करती थीं।
- रुबीना अग्रवाल उर्फ रचिता: 135 फेज-दो, कावेरी कुंज, कमला नगर, बेलनगंज, आगरा। नवजात बच्चों को बेचने के लिए ग्राहक की तलाश करती थीं।
- निखिल कुमार: गली नंबर चार, फिरोजाबाद। नवजात बच्चों को बेचने के लिए ग्राहक की तलाश करता था।
पुलिस ने जिन छह बच्चों को बरामद किया उन्हें बाल कल्याण समिति को सौंप दिया गया है। इनमें चार मेल व दो फिमेल है। इन्हें बाल सुधार गृह में रखवा दिया गया है। वहां से कोई नि:संतान दंपती कानूनी प्रक्रिया अपना कर उक्त बच्चे को प्राप्त कर सकेंगे।
तीन साल में यूपी पुलिस नहीं पकड़ पाई बच्चा तस्करों को
नवजात बच्चों की तस्करी का मुख्य आरोपित सुंदर पिछले तीन साल से डा. कमलेश व अन्य लोगों के साथ मिलकर गिरोह चला रहा था, लेकिन यूपी पुलिस नहीं पकड़ पाई। गिरोह से जुड़ी राधे गोपाल रेजीडेंसी, आगरा निवासी रितु के खिलाफ 2023 में थाना कोतवाली में बच्चों को खरीदने व बेचने का मामला दर्ज हुआ था।
उस दौरान भी रितु ने इंटरनेट मीडिया पर बच्चे को बेचने के लिए एक पोस्ट डाली थी, जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। वहीं गिरोह के मास्टरमाइंड सुंदर के खिलाफ 2024 में धोखाधड़ी के तहत मामला दर्ज है। इस दौरान भी यूपी पुलिस इस गिरोह के बारे में कोई सुराग नहीं लगा पाई।
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