Delhi से चौंकाने वाली रिपोर्ट, न वेतन न मिलती सुरक्षा; फिर भी जान जोखिम में डाल निकाले 102 शव
नई दिल्ली में गोताखोर बिना सुरक्षा उपकरणों और वेतन के जहरीले नालों और यमुना नदी में डूबने वालों की जान बचाने और शव निकालने का जोखिम उठाते हैं। इस साल उन्होंने 102 शव निकाले हैं। सरकार से समर्थन की कमी के बावजूद वे दिल्ली पुलिस अग्निशमन विभाग और एनडीआरएफ की मदद करते हैं। वे नज़फगढ़ ड्रेन और यमुना जैसे खतरनाक जलाशयों में गोता लगाते हैं।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सुरक्षा उपकरण और वेतन के बिना जान जोखिम में डाल जहरीले नालों और प्रदूषित यमुना नदी में गोता लगा डूबने वालों की प्राण रक्षा करने के साथ ही डूब चुके लोगों के शव निकाल कर उनके स्वजनों को उनकी अंतिम क्रिया का मौका देने और पुलिस की जांच में सहायता प्रदान करने की जनसेवा कर रहे हैं।
बताया गया कि 15-16 गोताखोरों की टीम ने इस वर्ष अब तक 102 शव दिल्ली के जहरीले नालों (27) और प्रदूषित यमुना (75) से निकाले हैं। इन्हें सरकार या प्रशासन कोई सुविधा या वेतन नहीं देता। यहां तक कि मास्क और ऑक्सीजन भी नहीं। पर, आत्महत्या या हत्या कर नालों व यमुना में फेंके गए शव निकालने में उनकी सेवा बखूबी लेता है।
यह उनकी दयालुता है कि वह इसे अपना कर्तव्य मान दिल्ली पुलिस, अग्निशमन विभाग और एनडीआरएफ की मदद को जहरीले पानी और रासायनिक कचरे की परवाह किए बगैर बिना सुरक्षा उपकरणों और ऑक्सीजन के ही गोता लगा देते हैं।
गोताखोरों की टीम के 15-16 दिल्ली के सबसे खतरनाक जलाशयों जिनमें नज़फगढ़ ड्रेन (ववुणा नहर), यमुना नदी और आसपास के तालाब शामिल हैं, में गोता लगाते है, जहां जहरीले पानी और प्रदूषण की वजह से अन्य लोग जाने से कतराते हैं। ये गोताखोर नंगे पैर और बिना किसी बचाव उपकरण के काम करते हैं।
दिल्ली पुलिस, अग्निशमन विभाग और एनडीआरएफ ज्यादातर इन गोताखोरों पर निर्भर रहते हैं, खासकर तब जब बच्चों या हत्या के शिकार लोगों के शवों को निकालना हो। ये लोग तुरंत मौके पर पहुंचकर सहायता करते हैं।
हाल की घटनाएं
22 मई: मूनक नहर में डूबने से चार बच्चों की मौत
13 अप्रैल: बक्करवाला में 40 साल के एक व्यक्ति का शव नहर से बरामद हुआ।
27 मार्च: बवाना में नहर में डूबने से दो बच्चों की मौत।
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