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    पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा को नहीं मिलेगा सेवा विस्तार, सेवानिवृत्ति का आदेश 50 दिन पहले ही जारी

    Updated: Thu, 12 Jun 2025 10:50 PM (IST)

    दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा को सेवा विस्तार नहीं मिलेगा वे 31 जुलाई को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। सरकार ने उनकी सेवानिवृत्ति से 50 दिन पहले ही आदेश जारी कर दिया है जिससे विभाग में कई अटकलें लग रही हैं। बताया जा रहा है कि अरोड़ा ने सेवा विस्तार के लिए अनुरोध किया था जिसे अस्वीकार कर दिया गया।

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    पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा को नहीं मिलेगा सेवा विस्तार।

    राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस के आयुक्त संजय अरोड़ा को सेवा विस्तार नहीं मिल सकेगा। तमिलनाडु काडर के 1988 बैच के आइपीएस संजय अरोडा को करीब तीन साल पहले एक अगस्त 2022 को दिल्ली पुलिस का आयुक्त बनाया गया था। 31 जुलाई को उनकी सेवानिवृत्ति थी, लेकिन सेवानिवृत्ति से 50 दिन पहले ही दिल्ली सरकार के उप गृह सचिव संजीव कुंडू ने आर्डर जारी कर बताया है कि संजय अरोड़ा 31 जुलाई को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। यानी उन्हें कोई सेवा विस्तार नहीं मिलेगा। सेवानिवृत्ति से 50 दिन पहले ही आयुक्त के बारे में इस तरह के आर्डर निकाले जाने से महकमे में अलग-अलग तरह के कयास लगने शुरू हो गए हैं।

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    वरिष्ठ आइपीएस लाबी की मानें तो यह पहला अवसर है जब दिल्ली पुलिस के किसी पुलिस आयुक्त के सेवानिवृत्त होने से इतने दिन पहले आर्डर निकाल दिया गया हो। कहा जा रहा है कि पुलिस आयुक्त की तरफ से गृह मंत्रालय को पत्र लिख सेवा विस्तार दिए जाने का अनुरोध किया गया हो। इसपर गृह मंत्रालय ने उप राज्यपाल से उन्हें सेवा विस्तार देने से मना कर दिया गया हाे।

    नाै जून को इस तरह का ऑर्डर निकाला गया

    तभी उप राज्यपाल के निर्देश पर गृह विभाग की ओर से बीते नाै जून को इस तरह का ऑर्डर निकाला गया। अरोड़ा से पहले गुजरात काडर के 1985 बैच के आइपीएस राकेश अस्थाना को गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस का आयुक्त बनाया था। वह पहले बीएसएफ में थे। वहां से सेवानिवृत्त होने से एक दिन पहले उन्हें दिल्ली पुलिस का आयुक्त बना दिया गया था। वह करीब एक साल आयुक्त रहे थे।

    उन्होंने भी सेवा विस्तार लेने की खूब कोशिश की थी किंतु उन्हें सेवा विस्तार न देकर अचानक संजय अरोड़ा को दिल्ली पुलिस का आयुक्त बना दिया गया था। पिछले चार साल तक गैर यूटी काडर के आइपीएस के दिल्ली पुलिस का आयुक्त होने पर यूटी काडर के कई आइपीएस को आयुक्त बनने का सपना अधूरा रह गया। इससे यूटी काडर के आइपीएस में कुछ समय तक मायूसी देखा गया।

    थानों में सीबीआई और विजिलेंस के छापे पड़ते रहे

    बताया जा रहा है कि गैर यूटी काडर के आइपीएस को दिल्ली पुलिस का आयुक्त बनाने पर पुलिस बल में कोई खास सुधार देखने को नहीं मिला। बल्कि भ्रष्टाचार बढ ही गया। पिछले चार साल में आए दिन थानों में सीबीआई और विजिलेंस के छापे पड़ते रहे। बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किए गए। इंस्पेक्टर तीन साल ही थाने में एसएचओ पद

    पर बने रहेंगे इस तरह का फैसला सबसे गलत रहा। जिससे इंस्पेक्टरों को थाने की जिम्मेदारी मिलते ही अधिकतर यह सोचकर भ्रष्टाचार में लिप्त हो गए कि उन्हें तीन साल बाद मौका नहीं मिलेगा। गैर यूटी काडर से कोई खास उपलब्धि हासिल न होने पर माना जा रहा है कि अरोड़ा के सेवा निवृत्त होने के बाद पहले की तरह यूटी काडर के आइपीएस को ही फिर से आयुक्त की जिम्मेदारी सौंपी जाए।