Delhi Government Arbitration Cases: दिल्ली सरकार मध्यस्थता मामलों की कराएगी जांच, 20 सालों का मांगा डेटा
Delhi government financial loss दिल्ली सरकार ने पुराने मध्यस्थता मामलों की जांच शुरू कर दी है। पिछले 20 सालों में 1 करोड़ से ज़्यादा के मामलों की जानकारी मांगी गई है। सरकार यह पता लगाना चाहती है कि विभागों को कानूनी मामलों में कितना नुकसान हुआ। सरकार ने यह भी कहा है कि कानूनी प्रक्रिया पूरी होने तक ठेकेदारों को भुगतान नहीं किया जाएगा।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार पूर्व के मध्यस्थता (आर्बिट्रेशन) मामलों की भी जांच कराने जा रही है। सरकार ने 20 वर्षों के 1 करोड़ से अधिक के सभी मध्यस्थता मामलों का ब्यौरा मांगा है।
जिन विभागों का ब्यौरा मांगा गया है उनमें लोक निर्माण विभाग, जल बोर्ड और सिंचाई एवं बाढ़ु नियंत्रण विभाग शामिल है। सरकार ने कहा है कि इस व्यापक ऑडिट का उद्देश्य यह जानना है कि विभागों को कानूनी मामलों में कितना वित्तीय नुकसान हुआ और किस तरह से सार्वजनिक धन खर्च या व्यर्थ हुआ।
इसके साथ ही सरकार ने यह भी व्यवस्था बना दी है कि जब तक सरकार के खिलाफ आए किसी मध्यस्थता निर्णय में सभी कानूनी उपाय पूरे नहीं हो जाते और विधि विभाग से औपचारिक मंज़ूरी प्राप्त नहीं हो जाती है तक तक ठेकेदारों को कोई भुगतान नहीं किया जाएगा।
यह कार्रवाई ऐसे समय में की गई है जब सरकार को बार-बार कानूनी मामलों में हार का सामना करना पड़ रहा है, खासकर निर्माण और सिविल वर्क्स से जुड़े मामलों में भारी-भरकम भुगतान ठेकेदारों को करना पड़ा है।
इस 20 वर्षीय समीक्षा और अनुशासनात्मक प्रक्रिया के ज़रिए दिल्ली सरकार ठेके व्यवस्था में संरचनात्मक सुधार लाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है, जिससे भविष्य में वित्तीय नुकसान को रोका जा सके और शासन में जनता का विश्वास और मज़बूत हो।
'वर्षों से विभाग बिना कानूनी लड़ाई लड़े मध्यस्थता से दावे सुलझाए'
सरकारी धन जनधन है, और उसे सोच समझकर ही खर्च किया जाना चाहिए। वर्षों से विभाग बिना कानूनी लड़ाई लड़े मध्यस्थता से दावे निपटाते रहे हैं, अब यह नहीं चलेगा। हम बीते 20 वर्षों के हर मध्यस्थता मामले की जांच कर रहे हैं। यह जानने के लिए कि ज़िम्मेदार कौन था और किसने बिना लड़े हार मानी। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि पीडब्लूडी के सभी नए ठेकों से मध्यस्थता क्लाज़ हटा दिया गया है। अब जो भी विवाद होगा, वह अदालत में जाएगा। मध्यस्थता के ज़रिए अब किसी को आसानी से पैसा नहीं मिलेगा।
प्रवेश वर्मा, कैबिनेट मंत्री, दिल्ली सरकार
विभागों को उपलब्ध करानी होगी यह जानकारी
- एक करोड़ रुपये से अधिक की कुल मध्यस्थता मामलों की संख्या
- वे मामले जिनमें निर्णय सरकार के विरुद्ध आया, साथ में संक्षिप्त विवरण
- ऐसे मामलों में भुगतान की गई राशि या हुआ नुकसान
- भुगतान से पहले कितने मामलों में अपील की गई
हाल में मध्यस्थता के दो बड़े मामले आए हैं सामने
- एक मामला बालापुरा एविवेटेड कारिडोर का है जिसमें 35 करोड़ रुपये के भुगतान की राशि बढ़कर मध्यस्थता में 120 करोड़ निर्धारित हुई। हालांकि पूर्व की आप सरकार ने इसका भुगतान नहीं किया और मामला हाई कोर्ट में जाने पर कोर्ट के आदेश पर 175 का कंपनी को भुगतान किया गया।
- दूसरा मामला लोकनायक अस्पताल में बन रही 22 मंजिला इमारत से संबंधित है। इस इमारत से सबंधित भुगतान को लेकर विवाद मध्यस्थता सिस्टम में गया था, इस मामले में सरकार ने कंपनी को 95 करोड़ का भुगतान किया था।
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