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    दिल्ली के 300 स्थानों पर डीडीए की जमीनों पर बसी है झुग्गियां; अधिकारियों और कर्मचारियों ने किया बंदरबाट

    Updated: Sun, 08 Jun 2025 10:50 PM (IST)

    दिल्ली में डीडीए की जमीनों पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हुआ है। लगभग 300 स्थानों पर झुग्गियां बन चुकी हैं जिनमें पक्के मकानों का निर्माण हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि डीडीए अधिकारियों पुलिस और जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं है। इन जमीनों पर दिल्ली वालों के लिए स्कूल और पार्क जैसी सुविधाएं होनी चाहिए लेकिन अब ये गंदगी और अव्यवस्था का कारण बन गई।

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    दिल्ली के 300 स्थानों पर डीडीए की जमीनों पर बसी है झुग्गियां।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जहां पर डीडीए अधिकारियों व कर्मचारियों ने जमीनों का बंदरबांट न किया हो। एक आंकड़े के अनुसार दिल्ली में डीडीए की जमीनों में से कम से कम 300 स्थानों पर झुग्गियों का निर्माण हो चुका है। सैकड़ों एकड़ बहुमूल्य जमीनें अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुकी है, जिसमें हजारों मकान बन चुके हैं।

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    इसमें से कई झुग्गियाें का अस्तित्व तो 50 वर्ष से भी अधिक से है, लेकिन इनकी तरफ से डीडीए आंखें मूंदे है। पुरानी दिल्ली, नई दिल्ली हो या दक्षिणी दिल्ली हर जगह झुग्गियां बस गई है। झुग्गियों में तीन से चार तल के पक्के निर्माण अब भी बदस्तूर जारी है। फ्लैट निकल रहे हैं, जिसकी बिक्री तक हो रही है। बिजली, पानी का कनेक्शन है। आधार कार्ड और वोटर आईडी तक बने है, जिसके आधार पर डीडीए की संपत्तियों के कब्जेदारों द्वारा खुद के होने का दावा किया जाता है।

    बिना संरक्षण के अवैध कॉलोनियों का पनपना असंभव

    जानकार कहते हैं कि बिना डीडीए अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत, दिल्ली पुलिस और जनप्रतिनिधियों के संरक्षण के इसे बसना असंभव है। तो दिल्ली के लोगों के भविष्य और उनकी सुविधाओं पर डाका डालकर इस खेल में सभी लाभ कमा रहे हैं। कब्जा की गई जमीनों पर स्कूल, कॉलेज, पार्क और सामुदायिक भवन जैसे दिल्ली वालों के सहूलियत की व्यवस्था होनी थी। उल्टे में ये गंदगी, अतिक्रमण और अवस्था के रोल मॉडल बन गए हैं।

    बात चाहे कोटला किला और स्टेडियम के नजदीक बसी झुग्गियां हो या मीर दर्द, सिविक सेंटर के बगल में, हरी नगर स्थित इंदिरा कैंप हो या मजनू का टीला स्थित तिब्बती कैंप ये कुछ उदाहरण है।