कोरोना काल में DMC ने ऑफिस की साज-सज्जा पर कर दिए 3.50 करोड़ खर्च, जांच में जुटी दिल्ली सरकार
कोरोना काल में दिल्ली मेडिकल काउंसिल (डीएमसी) के नए कार्यालय की साज-सज्जा पर लगभग साढ़े तीन करोड़ रुपये खर्च किए जाने पर सवाल उठ रहे हैं। दिल्ली सरकार की जांच समिति इस मामले की जांच कर सकती है। डीएमसी के तत्कालीन उपाध्यक्ष ने अनियमितता से इनकार किया है लेकिन डीएमसी के सदस्य ने इसे सरकारी फंड का दुरुपयोग बताया।
रणविजय सिंह, नई दिल्ली। कोरोना काल में लॉकडाउन में जब ढांचागत परियोजनाएं प्रभावित थीं, उस दौरान दिल्ली मेडिकल काउंसिल (डीएमसी) के नए कार्यालय का करीब साढ़े तीन करोड़ की लागत से साज सज्जा से संबंधित कार्य कराए गए। किराये के इस कार्यालय के इंटीरियर डिजाइन पर भारी भरकम रकम खर्च करने को लेकर अब सवाल उठाए जा रहे हैं।
ऐसे में दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा हाल ही में गठित जांच समिति के दायरे में यह मामला भी आ सकता है। वैसे डीएमसी के तत्कालीन उपाध्यक्ष ने कार्यालय के इंटीरियर डिजाइन के कार्य मेंं किसी प्रकार के अनियमितता से इन्कार किया है।
डीएमसी का अपना अब तक अपना भवन नहीं
डीएमसी का अपना अब तक अपना भवन नहीं है। इस वजह से पहले डीएमसी का कार्यालय मौलाना आजाद मेडिकल कालेज (एमएएमसी) के भवन में चलता था, जहां जगह कम पड़ रही थी। इस वजह से डीएमसी ने काेरोना के दौर में शास्त्री पार्क स्थित दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) के आइटी पार्क में कार्यालय स्थानांतरित किया।
22 दिसंबर 2019 को इस कार्यालय के इंटीरियर डिजाइन से संबंधित कार्य के लिए टेंडर जारी किया गया था। दो माह से भी कम समय में टेंडर प्रक्रिया पूरी कर एक निजी एजेंसी को तीन करोड़ 49 लाख 43 हजार 600 रुपये में यह कार्य करने की जिम्मेदारी दी गई।
भवन समिति ने चार फरवरी 2020 को इसे स्वीकृति दी
डीएमसी के भूमि व भवन समिति ने चार फरवरी 2020 को इसे स्वीकृति दी। इसके बाद 28 फरवरी 2020 को काउंसिल की बैठक में डीएमसी ने भी इसे स्वीकृति दे दी थी। इस तरह टेंडर प्रक्रिया कोरोना का संक्रमण शुरू होने से पहले पूरी हो गई थी लेकिन कार्य कोरोना काल में हुआ।
डीएमसी के तत्कालीन सदस्य डा. हरीश गुप्ता ने कहा कि डीएमसी के पास 22 करोड़ का फंड है। फिर भी अपना कार्यालय नहीं बना सका। इसके लिए लंबे समय से मांग की जाती रही है। करीब 17 लाख रुपये प्रति माह किराए पर लिए गए कार्यालय के इंटीरियर कार्य पर भारी भरकम रकम खर्च करना सरकारी फंड का दुरुपयोग है।
डीएमसी प्रबंधन का सरकार से बेहद नजदीकियां थी
यह भी तब जब तत्कालीन डीएमसी प्रबंधन का उस वक्त की सरकार से बेहद नजदीकियां थी। इस मामले पर डीएमसी के तत्कालीन उपाध्यक्ष डॉ. नरेश चावला ने कहा कि नया कार्यालय 7000-8000 वर्ग फुट में है। जहां काउंसिल की बैठक के लिए बड़ा हाल, सभागार, डाक्टरों के बैठने की व्यवस्था सहित सभी आवश्यक सुविधाएं हैं।
इसके इंटीरियर डिजाइन के कार्य में किसी प्रकार की अनियमितता नहीं हुई थी। उल्लेखनीय है कि डीएमसी में अनियमितताओं के कारण हाल में इसकी कार्यकारी समिति भंग कर दी गई है। साथ ही अनियमितताओं की जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक कमेटी गठित की है।
कहां कितना खर्च
- सिविल कार्य : 43 लाख रुपये
- फर्निशिंग : एक करोड़ 30 लाख 55 हजार 950
- प्लंबिंग कार्य: तीन लाख 10 हजार 350 रुपये
- बिजली के कार्य : 47 लाख आठ हजार 35 रुपये
- फायर सेफ्टी उपकरण : 11 लाख 52 हजार 575 रुपये
- एयर कंडिशन : 19 लाख 24 हजार 400 रुपये
- आडियो वीडियो उपकरण : 30 लाख रुपये
इसके अतिरिक्त भी कुछ राशि अन्य कार्यों पर खर्च किए गए थे।
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