रिश्वतखोरी मामले में फंसा अलहमद, कोर्ट ने कहा आरोप गंभीर; जांच में सहयोग जरूरी
दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले में अहलमद मुकेश कुमार की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने आरोपों को गंभीर बताया और हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता जताई। अभियोजन पक्ष ने मुकेश कुमार को मुख्य साजिशकर्ता बताते हुए रिश्वत मांगने के आरोप लगाए और कहा कि अभी तक रिश्वत की रकम और मोबाइल बरामद नहीं हुए हैं।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। रिश्वतखोरी के एक मामले में फंसे एक अलहमद की अग्रिम जमानत याचिका अदालत ने सख्त टिप्पणियों के साथ खारिज कर दी।
याचिका में अहलमद मुकेश कुमार ने गिरफ्तारी से पहले संरक्षण की गुहार लगाई थी। राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश दीपाली शर्मा ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि आरोपित मुकेश कुमार पर लगे आरोप प्रथम दृष्टया गंभीर हैं और जांच एजेंसी को उनसे पूछताछ के लिए हिरासत की आवश्यकता है ताकि पूरे षड्यंत्र की गहराई से पड़ताल की जा सके।
अदालत ने कहा कि आरोपित पर लगे आरोप गंभीर है और सह-आरोपितों व साक्ष्यों से छेड़छाड़ की आशंका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
अदालत ने सुप्रीम कोर्ट का दिया हवाला
अदालत ने मामले में जांच अधिकारी को यह भी निर्देश दिया कि यदि अभियुक्त की गिरफ्तारी की जाती है, तो जांच अधिकारी को बीएनएसएस की धारा 35 (पुलिस को बिना वारंट के गिरफ्तारी करने का अधिकार देती है) के सभी प्रावधानों का कड़ाई से पालन करना होगा।
अदालत ने निर्णय देने से पहले नोट किया कि अभियुक्त की मोबाइल डिवाइस व रिश्वत की रकम अभी बरामद की जानी बाकी है और अन्य सह-आरोपितों की भूमिका स्पष्ट करने के लिए उसकी हिरासत आवश्यक है।
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित मापदंडों का हवाला देते हुए कहा कि गिरफ्तारी का निर्णय केवल आरोप के आधार पर नहीं होना चाहिए, बल्कि जांच अधिकारी की यह संतुष्टि भी होनी चाहिए कि गिरफ्तारी आवश्यक है।
आरोपी के वकील ने दी ये दलीलें
अभियुक्त की ओर से पेश अधिवक्ता आयुष जैन ने दलील दी उनका मुवक्किल निर्दोष है और उसे जानबूझकर फंसाया गया है।
उन्होंने बताया कि उनका मुवक्किल मुकेश कुमार 14 सितंबर 2023 से 21 मार्च 2025 तक राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश (पीसी एक्ट)(एसीबी-02) की अदालत में अहलमद के पद पर तैनात था, जहां एसीबी के अधिकांश मामले सूचीबद्ध रहते हैं।
अधिवक्ता ने दलील दी कि उनके मुवक्किल को एसीबी के कुछ अधिकारियों द्वारा धमकाया गया था, जिसके परेशान होकर उसने 25 जनवरी 2025 को स्थानांतरण के लिए आवेदन भी किया था।
यह भी बताया गया कि मुकेश कुमार ने अब तक नौ बार जांच में सहयोग किया है और उन्हें कभी गिरफ्तारी से बचने के लिए छिपना नहीं पड़ा।
याचिका ने की थी 29 मई तक अंतरिम राहत की मांग
अधिवक्ता ने अदालत को ये भी बताया कि उनके मुवक्किल ने मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में एक रिट याचिका भी दायर की है, जिसमें इस केस की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग की गई है।
हाईकोर्ट ने 20 मई 2025 को राज्य सरकार से स्टेटस रिपोर्ट तलब की है और अगली सुनवाई 29 मई को तय की है। याचिकाकर्ता ने तब तक के लिए अंतरिम राहत की मांग की थी।
अभियोजन पक्ष की दलीलें
विशेष लोक अभियोजक सुखबीर सिंह ने अभियुक्त मुकेश कुमार की अग्रिम जमानत याचिका का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि मुकेश कुमार इस मामले का मुख्य साजिशकर्ता हैं।
उन्होंने बताया कि अभियुक्त द्वारा कुछ नामजद आरोपितों से जमानत दिलाने के बदले रिश्वत मांगी गई थी। अधिवक्ता ने दलील दी कि मामले के शिकायतकर्ता प्रसून वशिष्ठ और विकेश बंसल ने सुबूत के तौर पर कुछ वीडियो साक्ष्य भी सौंपे हैं।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक जांच में यह भी सामने आया कि एक अन्य आरोपित विशाल को रिश्वत के माध्यम से जमानत दिलाई गई और उसने अन्य सह-आरोपितों को भी मुकेश कुमार के माध्यम से जमानत दिलवाई।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक विशाल को गिरफ्तार कर लिया गया है और उसने पूछताछ में सारा घटनाक्रम उजागर किया है। अभियोजन पक्ष ने यह भी कहा कि अभियुक्त द्वारा शिकायतकर्ता को हाथ से लिखी पर्ची दी गई थी, जो उसके संलिप्तता का सीधा प्रमाण है।
जांच अधिकारी ने अदालत को बताया कि मुकेश कुमार का मोबाइल फोन और रिश्वत की रकम अभी तक बरामद नहीं हुई है और बिना हिरासत पूछताछ के साजिश का पूरा पता नहीं चल सकेगा।
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