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    Delhi Pollution: साल में सिर्फ तीन फीसदी समय ही मिल रहा साफ हवा और सही तापमान, हालत चिंताजनक

    Updated: Tue, 17 Jun 2025 07:53 PM (IST)

    दिल्ली में वायु प्रदूषण और बढ़ते तापमान के कारण सुरक्षित जीवन के लिए अनुकूल समय तेजी से घट रहा है। एक अध्ययन में पाया गया कि साल में सिर्फ 3% समय ही ऐ ...और पढ़ें

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    दिल्ली में सुरक्षित जीवन के घंटे कम हुए। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में वायु प्रदूषण और बढ़ते तापमान का प्रभाव अब सुरक्षित एवं आरामदायक जीवन के लिए मिलने वाले समय को तेजी से कम कर रहा है। सीईपीटी विश्वविद्यालय और रेस्पिरर लिविंग साइंसेस का एक नया अध्ययन दर्शाता है कि दिल्ली में प्रति वर्ष लगभग 2,210 घंटे ऐसे होते हैं, जब बाहरी तापमान 18 से 31 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है।

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    जो थर्मल कंफर्ट (थर्मल आराम) की श्रेणी में आते हैं, लेकिन इन घंटों में से 1,951 घंटे (88 प्रतिशत) ऐसे होते हैं जब वायु गुणवत्ता खराब (एक्यूआइ 150 से अधिक) होती है।

    अध्ययन के अनुसार पूरे साल में केवल 259 घंटे या कुल वार्षिक समय का लगभग तीन प्रतिशत ऐसा वक्त है, जब साफ हवा और आरामदायक तापमान एक साथ उपलब्ध होता है। जो सुरक्षित और प्रभावी प्राकृतिक वेंटिलेशन के लिए भी आवश्यक है।

    यह अध्ययन आठ जून 2025 को इंटरनेशनल सोसायटी आफ इंडोर एयर क्वालिटी द्वारा आइसलैंड में हेल्दी बिल्डिंग कांफ्रेंस के दौरान प्रस्तुत किया गया था।

    अध्ययन में शामिल अन्य शहरों की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर रही। बेंगलुरु में 8,100 से अधिक घंटे ऐसे दर्ज किए गए जब वायु गुणवत्ता स्वीकार्य थी।

    अहमदाबाद भले ही अधिक गर्म रहा हो, लेकिन दिल्ली की तुलना में बेहतर स्थिति रही। वहीं चेन्नई की स्थिति दिल्ली जैसी रही, जहां 88 प्रतिशत आरामदायक घंटे भी वायु प्रदूषण से प्रभावित पाए गए।

    अध्ययन यह तर्क देता है कि हमें यह दोबारा सोचने की आवश्यकता है कि इंडोर वातावरण को कैसे डिजाइन और मैनेज किया जाए। मौजूदा इमारतें चाहे एयर-कंडीशंड हो या बिना फिल्टर वाली प्राकृतिक वेंटिलेशन पर आधारित, अब शहरी भारत की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।

    अध्ययन व्यक्तिगत पर्यावरण नियंत्रण प्रणाली (पीईसीएस) को एक समाधान के रूप में प्रस्तावित करता है, जो स्थानीय स्तर पर थर्मल कंफर्ट, फिल्टर की गई वेंटिलेशन पर स्तरीय नियंत्रण देती है।

    ये प्रणाली विशेष रूप से मिश्रित-मोड भवनों के लिए उपयुक्त है, जो समय, मौसम और बाहरी परिस्थितियों के अनुसार प्राकृतिक और यांत्रिक वेंटिलेशन के बीच स्विच करती हैं।

    भवन विज्ञान क्षेत्र के विशेषज्ञ प्रो. रावल कहते हैं, पीईसीएस (वेंटिलेशन) अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों तरह के स्वास्थ्य और ऊर्जा प्रदर्शन में योगदान देती है।

    शोध टीम द्वारा किए गए माडलिंग से यह भी पता चला कि पीईसीएस का उपयोग करने वाले भवन पारंपरिक एयर-कंडीशंड सिस्टम की तुलना में वेंटिलेशन से संबंधित ऊर्जा खपत में प्रमुख बचत कर सकते हैं। जो चेन्नई में 72 प्रतिशत, अहमदाबाद में 70 प्रतिशत और दिल्ली में 68 प्रतिशत तक।

    प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए, अध्ययन ने व्यक्तिगत वायु गुणवत्ता के अंतरराष्ट्रीय मानकों का उल्लेख किया और प्रति व्यक्ति 7.0 से 15.0 लीटर प्रति सेकंड की प्रभावी वेंटिलेशन दरों का माडलिंग किया।

    रेस्पिरर लिविंग साइंसेज के संस्थापक सीईओ रौनक सुतारिया कहते हैं, “हम केवल आराम को फिर से परिभाषित नहीं कर रहे। हम यह कल्पना कर रहे हैं कि कम-ऊर्जा, व्यक्ति-केंद्रित भवन प्रदूषित और गर्म होते शहरों में कैसे दिख सकते हैं।