आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और तकनीकी शिक्षा में निजी स्कूलों से नहीं पिछड़ेंगे दिल्ली के सरकारी स्कूल: आशीष सूद
दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी में शिक्षा को तकनीक से जोड़ने जा रही है। सरकारी स्कूलों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) लैब और स्मार्ट क्लास बनाए जाएंगे। शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि सरकार अभावग्रस्त बच्चों को अत्याधुनिक शिक्षा देने के लिए सीएसआर से फंड जुटाएगी। एम्स के निदेशक ने अस्पतालों में रेफरल सिस्टम की जरूरत बताई। विश्वविद्यालय में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए अटल इन्क्यूबेशन शुरू किया गया है।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली: दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी की शिक्षा को तकनीक के साथ जोड़ेगी।सरकार स्कूल हाईटेक बनेंगे।आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) व तकनीकी शिक्षा में निजी स्कूलों से पिछड़ेंगे नहीं।
सरकारी स्कूलों में भी बच्चे अत्याधुनिक तकनीक का पाठ पढ़ सकेंगे। यह बातें जागरण विमर्श कार्यक्रम में ''शिक्षा व स्वास्थ्य में विश्वस्तरीय सुविधा'' विषय पर दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कही।
उन्होंने कहा कि दिल्ली की पिछली सरकार ने दस वर्षों में शिक्षा को वोट बटोरने का एक माध्यम बना दिया। स्कूलों में कुछ कमरे और कुछ स्वीमिंग पूल बना देना शिक्षा का मॉडल नहीं हो सकता है।
सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर निजी स्कूलों जैसा नहीं होने के कारण निजी स्कूल बढ़कर 1700 हो गए और सरकारी स्कूल एक हजार रह गए।
कॉलेज जाने से पहले स्मार्ट क्लास और एआई लैब का होगा पता
रेखा सरकार ऐसी शिक्षा देना चाहती हैं कि 12वीं के बाद काॅलेज जाने से पहले छात्र स्कूल में स्मार्ट क्लास, एकीकृत विज्ञान लैब व एआई आधारित लैब से परिचित हो चुके हों। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार छात्र कम से कम दो भाषा (देशी व विदेशी) में दक्ष हों।
75 सीएमश्री स्कूलों में एआई आधारित लैब, लैंग्वेज लैब, आईसीटी (सूचना एवं संचार तकनीक) लैब, लाइब्रेरी व 2400 स्मार्ट क्लास होंगे। मौजूदा सरकार के कार्यकाल में 21 हजार स्मार्ट क्लास बनाए जाएंगे। अभी स्कूलों के 37 हजार कमरों में से सिर्फ 700 स्मार्ट बोर्ड हैं।
उन्होंने कहा कि छात्रों को 20 हजार टैबलेट बांटे जाएंगे। पिछली सरकार के गलत वित्तीय प्रबंधन के कारण बजट का अभाव है।
अभाव ग्रस्त बच्चों को अत्याधुनिक शिक्षा की सुविधाएं देने के लिए सरकार सीएसआर से फंड जुटाएगी और एक वर्ष के भीतर अत्याधुनिक स्कूल शुरू किए जाएंगे।
दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) एक्ट को दिल्ली सरकार के मंत्रिमंडल से स्वीकृति के बाद राष्ट्रपति के पास भेजा गया है। स्वीकृति मिलते ही इसे मौजूदा शैक्षणिक सत्र से लागू किया जाएगा।
रेफरल सिस्टम बनाने की जरूरतः डाॅ. एम श्रीनिवास
एम्स के निदेशक डाॅ. एम श्रीनिवास ने कहा कि अस्पताल में जांच और इलाज में एआई तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। दिल्ली में अभी केंद्र, दिल्ली सरकार, नगर निगम व अन्य कई एजेंसियों के अस्पताल हैं।
इन सभी एजेंसियों के अस्पतालों के बीच एक रेफरल सिस्टम होना जरूरी है। इसके अलावा दिल्ली सरकार के अस्पतालों में कमियों का विश्लेषण करके एक रिपोर्ट एम्स ने दी है। किसी अस्पताल में वेंटिलेटर है तो एनेस्थीसिया के डाॅक्टर नहीं है।
यदि डाॅक्टर हैं तो आवश्यक चिकित्सा उपकरणों की कमी है। इस वजह से केंद्र के अस्पतालों में जहां 100 प्रतिशत या इससे ज्यादा बेड ऑक्यूपेंसी है। वहीं अन्य एजेंसियों के कई अस्पतालों में बेड ऑक्यूपेंसी कम है।
एम्स द्वारा सुझाए गए कमियों को दूर कर व रेफरल सिस्टम बनाकर स्वास्थ्य सेवाएं सुधारी जा सकती हैं। हमने मंगलसूत्र बेचकर इलाज कराने के लिए मजबूर मरीज देखें हैं।
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) से मरीजों को फायदा हुआ है। दिल्ली में लागू होने से यहां के लोगों को भी अब फायदा होगा।
स्टार्ट अप को बढ़ावा देगा आईपी विश्वविद्यालय: डाॅ. महेश वर्मा
गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. महेश वर्मा ने कहा कि स्टार्ट अप को बढ़ावा देने के लिए नीति आयोग के साथ मिलकर विश्वविद्यालय में अटल इन्क्यूबेशन शुरू किया है। ताकि छात्र अपना स्टार्टअप शुरू कर सकें।
अटल इन्क्यूबेशन के माध्यम से उन्हें तकनीकी मदद दी जाएगी। उन्होंने शोध को बढ़ावा देने की भी जरूरत बताई। महाराजा अग्रसेन तकनीकी शिक्षा समिति के संस्थापक अध्यक्ष एवं मुख्य सलाहकार नंदकिशोर गर्ग ने भी संबोधित किया।
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