दिल्ली में अब कहीं नहीं दिखेगा कूड़ा! शहर को साफ रखने के लिए सरकार ने उठाया ये बड़ा कदम
दिल्ली नगर निगम सार्वजनिक स्थानों से निर्माण कचरा हटाने के लिए संग्रहण स्थलों की संख्या 106 से बढ़ाकर 200 करेगा। दिल्ली सरकार ने कचरा इधर-उधर फेंकने से रोकने के लिए यह कदम उठाया है। पार्षदों ने कचरा समय पर न उठाने की शिकायत की जिसके बाद निगम ने यह फैसला लिया। वर्तमान में दिल्ली में प्रतिदिन 5000 टन अपशिष्ट निपटान की क्षमता है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम सार्वजनिक स्थानों पर निर्माण व तोड़फोड़ से निकले कचरे को डंप करने और फिर उसे टाइल्स व अन्य सामान बनाने के लिए प्लांट तक पहुंचाने के लिए कचरा संग्रहण स्थलों की संख्या बढ़ाएगा।
इसके लिए वर्तमान में चिह्नित 106 स्थानों की संख्या बढ़ाकर 200 करने की योजना है। निगम अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली सरकार ने इन स्थानों की संख्या बढ़ाने को कहा है। ताकि लोग इधर-उधर कचरा न फेंकें और शहर की सफाई व्यवस्था दुरुस्त रहे।
दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति की बैठक में पार्षदों ने कचरा सही तरीके से न उठाए जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर कचरा संग्रहण के लिए चिह्नित स्थानों से समय पर कचरा नहीं हटाया जा रहा है। कई बार तो कचरा हटाने में 15 दिन तक का समय लग जाता है।
सरस्वती विहार की पार्षद शिखा भारद्वाज ने कहा कि कचरा संग्रहण स्थल से 15-20 दिन तक कचरा नहीं हटाया जा रहा है। जिससे सफाई व्यवस्था में काफी परेशानी आ रही है।
इस पर निगम अधिकारियों ने कहा कि मलबा इकट्ठा करने के लिए जगह कम होने के कारण यह समस्या आ रही है। इसका मुख्य कारण एक ही स्थान पर अधिक मलबा आना है।
इसलिए हम इसके स्थानों की संख्या बढ़ाएंगे। दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव ने भी हमें एक पत्र लिखा है जिसमें स्थानों की संख्या बढ़ाने की बात कही गई है। जब स्थान अधिक होंगे, तो कई स्थानों पर मलबा डालकर मलबे की मात्रा को विभाजित किया जाएगा। इससे मलबा उठाने का काम तेज़ हो जाएगा।
गौरतलब है कि राजधानी दिल्ली में प्रतिदिन 5000 टन निर्माण एवं विध्वंस अपशिष्ट के निपटान की क्षमता है। ये संयंत्र बक्करवाला, बुराड़ी, रानीखेड़ा और शास्त्री पार्क में स्थापित हैं।
हालांकि, नागरिकों की शिकायत है कि इन संयंत्रों पर मलबे के ढेर जमा हो गए हैं क्योंकि पहले से ही निर्धारित क्षमता से अधिक मलबा आ रहा है। नियमों के अनुसार, यदि 300 टन से अधिक निर्माण एवं विध्वंस अपशिष्ट उत्पन्न होता है, तो उन्हें मलबे को सीधे सी एंड डी साइट पर भेजना होता है।
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