Delhi News: टोल से मिलने वाले राजस्व का विकल्प तलाशे निगम, तभी मिलेगी राहत; पढ़ें पूरी रिपोर्ट
दिल्ली में टोल टैक्स खत्म होने के बाद दिल्ली नगर निगम (MCD) राजस्व बढ़ाने के लिए अन्य विकल्पों पर विचार कर रहा है। संपत्ति कर विज्ञापन पार्किंग और खाली संपत्तियों से आय बढ़ाने की योजना है। वर्तमान में संपत्ति कर से 2100 करोड़ रुपये आते हैं जिसे 4000 करोड़ रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।

निहाल सिंह, दिल्ली। दिल्ली में प्रवेश के दौरान एनसीआर के लोगों के लिए आफत बने दिल्ली नगर निगम के टोल को समाप्त किए जाने के बाद इसके राजस्व की पूर्ति दूसरे मदों से हो सकती है। इससे निगम पर बोझ भी नहीं पड़ेगा। अभी दिल्ली नगर निगम का 17 हजार करोड़ रुपये का बजट है, इसमें 2,100 करोड़ संपत्ति कर से आता। जबकि इसे करीब 4,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाया जा सकता है।
इसके अलावा पार्किंग के साथ ही विज्ञापन और दिल्ली नगर निगम की रिक्त संपत्तियों का उपयोग किराये पर देकर करके टोल खत्म होने से निगम के राजस्व को होने वाली हानि को दूर किया जा सकता है।
दिल्ली नगर निगम के आय के प्रमुख स्रोत संपत्ति कर, विज्ञापन, पार्किंग और लाइसेंस फीस हैं। इसमें टोल से भी करीब 800 करोड़ रुपये का राजस्व सालाना आता है। टोल के अतिरिक्त निगम के दूसरे विभाग आय के लक्ष्यों की पूर्ति बमुश्किल ही कर पाते हैं। संपत्ति कर विभाग हर बार 4,000 करोड़ रुपये का सालाना आय का लक्ष्य रखता है लेकिन राजस्व इसका 50 प्रतिशत ही आता है। जबकि राजधानी दिल्ली में संपत्ति कर से आने वाले राजस्व में बढ़ोतरी की अपार संभावनाएं हैं।
दिल्ली नगर निगम के अनुसार, वह 48 लाख संपत्तियों से कूड़ा संकलन करता है लेकिन वह संपत्ति कर 13-14 लाख संपत्तियों से ही ले पाता है। अगर, 25 लाख भी संपत्तियों से कर की वसूली पूरी हो जाए तो निगम का राजस्व दोगुना हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, संपत्ति कर विभाग के साथ ही विज्ञापन, फैक्ट्री लाइसेंस, पार्किंग, लाभकारी परियोजना विभाग रिक्त संपत्तियों को किराये पर चढ़ाकर अपनी आय बढ़ा सकता है।
वहीं, रिहायशी इलाकों में बहुमंजिला पार्किंग के विकल्प देकर राजस्व को बढ़ाया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि निगम को राजस्व संबंधी परियोजनाओं से सिर्फ 2.23 लाख रुपये का ही राजस्व आता है। इसी प्रकार पार्किंग से मात्र 180 करोड़ रुपये का ही राजस्व आता है।
अनधिकृत कॉलोनियों में जीपीए पर चल रहा है काम
दिल्ली नगर निगम के मामलों के जानकार और निगम की निर्माण समिति के चेयरमैन रहे जगदीश ममगांई कहते हैं कि दिल्ली नगर निगम के राजस्व बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं। अब तो राजधानी में नगर निगम से लेकर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार में भाजपा ही शासन है। ऐसे में अनधिकृत कालोनियों का नियमित करने का मुद्दा हल किया जा सकता है। अभी दिल्ली की 2,000 अनधिकृत कॉलोनियों में जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (जीपीए) पर संपत्तियों की खरीद फरोख्त होती है। इसमें लाखों करोड़ों रुपये की संपत्ति का विक्रय 100 या हजार रुपये के स्टांप पेपर किया जा रहा है।
इससे दिल्ली सरकार के राजस्व को हानि हो रही है। जब दिल्ली सरकार को नुकसान हो रहा तो इसका असर एमसीडी पर भी पड़ रहा है। क्योंकि निगम को भी संपत्तियों की खरीद फरोख्त से दिल्ली सरकार के राजस्व में से हिस्सा मिलता है। अभी सालाना 2,500 करोड़ रुपये ट्रांसफर ड्यूटी से आते हैं। अगर, रजिस्ट्री खुल जाए तो यह राजस्व तीन गुणा हो सकता है।
टोल से राजस्व बढ़ने के बजाय हो गया था कम
2016-17 में दिल्ली नगर निगम को टोल से राजस्व 1,206 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था लेकिन 2020 में टोल वसूली से कंपनी के विवाद के चलते निगम का यह राजस्व पिछले साल तक करीब 800 करोड़ था। इस वर्ष निगम ने 880 करोड़ का टेंडर जारी किया है।
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