दिल्ली में लैंडफिल खत्म होने के बाद खाली जमीन पर क्या हो काम, नगर निगम ने मांगे प्रस्ताव
दिल्ली में लैंडफिल साइटों को हटाने के बाद खाली जमीन के इस्तेमाल पर अभी तक कोई फैसला नहीं हो पाया है। एमसीडी ने सुझाव मांगे हैं कि इस जमीन का सबसे अच्छा उपयोग कैसे किया जाए जिसमें एक तिहाई भूमि पर जंगल विकसित करना और कुछ भाग का उपयोग कचरा प्रबंधन के लिए करना शामिल है। निगम पर्यटन या मनोरंजन स्थलों के विकास के लिए भी विचार कर रहा है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली में लैंडफिल साइटों को खत्म करने के बाद इस खाली भूमि पर कभी स्कूल बनाने की बात होती है तो कभी पार्क या फिर पर्यटन स्थल बनाने की बात होती है लेकिन अभी तक कोई परियोजना अंतिम रूप नहीं ले पाई है। फिलहाल यहां पर कूड़े से बिजली के संयंत्र लगाने की योजनाओ पर काम हो रहा है लेकिन वह तो मात्र 15 से 20 एकड़ भूमि पर ही लग पाएगी।
शेष भूमि का क्या उपयोग होना चाहिए इसके लिए दिल्ली नगर निगम ने निविदा आंमंत्रित कर स्वयंसेवी संस्थाओं, पर्यावरणविदो, सरकारी संस्थाओं और विशेषज्ञों को सुझावों के लिए आमंत्रित किया है। निगम ने इसके लिए प्रस्ताव के लिए आवेदन मांगते हुए इसके लिए आमंत्रित किया है।
एमसीडी के अनुसार एमसीडी की तीन लैंडफिल साइट हैं। इसमें 62 एकड में फैली ओखला लैंडफिल है जिसे जुलाई 2026 तक पूरी तरह कूड़ा मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है, 70 एकड़ में फैली भलस्वा लैंडफिल को दिसंबर 2026 तक खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है।
इसी तरह गाजीपुर लैंडफिल को जो 70 एकड़ में फैली है इसे दिसंबर 2027 तक खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है। एमसीडी के निविदा के तहत लैंडफिल खत्म होने के बाद खाली भूमि में से कम से कम एक तिहाई भूमि को घने जंगल में विकसित किया जाना है। जबकि एक तिहाई ही भूमि को कूड़ा निस्तारण के लिए उपयोग किया जाना है। शेष जो भूमि बचेगी उसका क्या उपयोग किया जाना है इसके लिए ही सुझाव और प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं।
इसमें प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप माडल पर क्या किया जा सकता है जो उपयोगी हो इसके लिए प्रस्ताव मांगे है। इसमें पर्यटन स्थल हो या फिर अन्य मंनोरंजन के स्थल को कैसे विकसित किया जाए इसके बारे में सुझाव दिए जा सकते। निगम को उपयोगी लगेगा तो इसको लागू करने के लिए प्रस्तावित एजेंसी, निकाय या स्वयंसेवी संगठन को इसमें वह शामिल करेगा।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 1994 से दिल्ली में यह लैंडफिल चल रही है। पहले इन स्थानों के आस-पास खाली भूमि हुआ करती थी। दिल्ली विकास प्राधिकरण ने एमसीडी को इस भूमि को दिया था। समय के साथ आस-पास लोगों ने मकान बना लिए है। बड़ी संख्या में अनधिकृत कालोनियां बसी हुई हैं। इन लैंडफिल की वजह से यहां रहने वाली आबादी को लैंडफिल के कारण श्वास और त्वचा रोग जैसी बीमारियां हो रही है।
ओखला लैंडफिल
- क्षेत्रफल : 62 एकड़
- कब शुरु हुई:1996
- कब तक साफ करना है कूड़ा: दिसंबर 2028
- पहले कितना कूड़ा था:60 लाख मीट्रिक टन
- अब कितना कूड़ा है:29.2 लाख मीट्रिक टन
- प्रतिदिन कितना कूड़ा निस्तारित हो रहा है:5500 मीट्रिक टन
- कितनी भूमि खाली कराई जा चुकी हैः 10 एकड़
- प्रतिदिन कितना नया कू़ड़ा डलता है: कुछ नहीं
गाजीपुर लैंडफिल साइट
- क्षेत्रफल : 70 एकड़
- कब शुरु हुई:1984
- कब तक साफ करना है कूड़ा: दिसंबर 2028
- पहले कितना कूड़ा था:140 लाख मीट्रिक टन
- अब कितना कूड़ा है:83.7 लाख मीट्रिक टन
- प्रतिदिन कितना कूड़ा निस्तारित हो रहा है:8200
- कितनी भूमि खाली कराई जा चुकी हैः कुछ नहीं
- प्रतिदिन कितना नया कू़ड़ा डलता है:2000 मीट्रिक टन
भलस्वा लैंडफिल
- क्षेत्रफल : 70 एकड़
- कब शुरु हुई:1994
- कब तक साफ करना है कूड़ा: दिसंबर 2028
- पहले कितना कूड़ा था: 80 लाख मीट्रिक टन
- अब कितना कूड़ा है: 47 लाख मीट्रिक टन
- प्रतिदिन कितना कूड़ा निस्तारित हो रहा है:8300 मीट्रिक टन
- कितनी भूमि खाली कराई जा चुकी हैः पांच एकड़
- प्रतिदिन कितना नया कू़ड़ा डलता है: 2000 मीट्रिक टन
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