उद्योगों की दशा बदलने के लिए दिल्ली सरकार ला रही नई औद्योगिक नीति, आम जनता से मांगे गए सुझाव
दिल्ली सरकार उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए नई औद्योगिक नीति 2025-35 ला रही है। इस नीति में तकनीकी सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए 400 करोड़ रुपये का उद्यम पूंजी कोष स्थापित करने का प्रस्ताव है। अनुसंधान नवाचार और आतिथ्य क्षेत्र पर भी ध्यान दिया जाएगा। नीति का लक्ष्य दिल्ली में प्रदूषण मुक्त औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है। आम जनता 30 जुलाई तक अपने सुझाव दे सकती है।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार उद्योगों की दशा बदलने के लिए जल्द नई औद्योगिक नीति लेकर आ रही है। सरकार ने इस औद्योगिक नीति 2025-35 का मसौदा तैयार कर लिया है। 10 साल के लिए लागू होने वाली इस नीति का मसौदा अग्रणी तकनीकी सेवा क्षेत्र पर केंद्रित है। जिसमें एआइ सहित अग्रणी तकनीकी सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए 400 करोड़ रुपये का उद्यम पूंजी कोष स्थापित करने का सुझाव है।
इसके साथ ही 50 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश प्रतिपूर्ति के लिए निर्धारित करने की बात कही गई है। मसौदे में अनुसंधान और नवाचार के साथ-साथ आतिथ्य क्षेत्र पर भी फोकस किया गया है। इसके अलावा दिल्ली में नीति और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन और अन्य कार्यक्रम आयोजित करने की सिफारिश की गई है।
रेखा गुप्ता सरकार का मानना है कि नई नीति शहर की औद्योगिक दशा बदल सकेगी। इसके लिए आम जनता व औद्योगिक संगठन आगामी 30 जुलाई तक अपने सुझाव दे सकते हैं।
इस नीति का दीर्घकालीन लक्ष्य नवाचार संचालित क्षेत्रों जैसे अग्रणी प्रौद्योगिकियां तथा अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहन देकर दिल्ली में भविष्य के लिए प्रदूषण मुक्त औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को तैयार करना भी है। यह मसौदा नीति रोजगार के अवसर पैदा करने के उद्देश्य से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डेटा, बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं और बीमा (बीएफएसआइ), गेमिंग, एनिमेशन, बायोटेक, आइटी और आइटी सक्षम सेवाओं सहित अग्रणी तकनीकी सेवाओं में निवेश पर केंद्रित है।
वित्तीय प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जैव प्रौद्योगिकी और अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) क्षेत्रों के लिए निवेशक-अनुकूल पहल शुरू करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है। जिससे अग्रणी वैश्विक कंपनियों को दिल्ली में मुख्यालय स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
मसौदे के अनुसार प्रमुख राजकोषीय प्रोत्साहनों में अग्रणी प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में व्यवसायों के लिए 5 वर्षों की अवधि तक 50 प्रतिशत निश्चित पूंजी निवेश प्रतिपूर्ति (भूमि सहित) शामिल है, जिसकी अधिकतम सीमा प्रति परियोजना 50 करोड़ रुपये तक है।
इसके अलावा पहले पांच वर्षों के लिए प्रति वर्ष 6 प्रतिशत ब्याज पर सब्सिडी, पांच वर्षों के लिए 100 प्रतिशत राज्य जीएसटी की प्रतिपूर्ति, 5 लाख रुपये तक के पेटेंट दाखिल करने पर प्रति पेटेंट 100 प्रतिशत प्रतिपूर्ति और अंतरराज्यीय बिजली खरीद पर व्हीलिंग शुल्क और ट्रांसमिशन शुल्क पर 50 प्रतिशत की छूट भी मिलेगी। मसौदा नीति में उद्योगों के लिए 400 करोड़ रुपये का जो उद्यम पूंजी कोष स्थापित करने का प्रस्ताव है। इसमें 'दिल्ली फ्रंटियर टेक सर्विसेज सेल' की स्थापना का भी सुझाव है।
इसमें सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से प्लग एंड प्ले आइटी पार्क विकसित किए जाएंगे। सरकार ने विकास के पहले चरण में बापरोला, रानीखेड़ा और कंझावला में औद्योगिक क्षेत्रों को चिह्नित किया है। मसौदा नीति अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) क्षेत्र में शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों तक पहुंच काे विस्तार देने की बात करती है। अनुसंधान एवं विकास के लिए 10 लाख रुपये तक की सहायता देने का भी प्रस्ताव है।
तकनीकी उन्नयन (अपग्रेडेशन) के लिए लघु अनुसंधान और नवाचार क्लस्टर स्थापित करने का भी प्रस्ताव है। इसके तहत सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने के साथ साथ नए विचारों का परस्पर आदान-प्रदान भी इसमें शामिल है। मसौदे के अनुसार उद्योग विभाग नीति को लागू करेगा और विभिन्न क्षेत्रों के लिए प्रोत्साहनों के वितरण के लिए समन्वय करेगा।
नीति के लिए एक अंतर-विभागीय समिति बनेगी जो विभिन्न क्षेत्रों में प्रोत्साहनों की मंजूरी के लिए कैबिनेट के लिए एक सिफारिशी निकाय के रूप में कार्य करेगी। इसके अलावा सभी नीति प्रविधानों के कार्यान्वयन और प्रगति की नियमित निगरानी के लिए एक उच्च स्तरीय 'समीक्षा और निगरानी समिति' का गठन किया जाएगा। यह समिति नीति से संबंधित विभिन्न विभागों द्वारा सक्षम सरकारी आदेशों का समय पर जारी होना सुनिश्चित करेगी।
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