सालों से बंद पड़े दिल्ली के कई ऐतिहासिक स्थल खुलेंगे, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के लिए कितना चुनौतीपूर्ण?
दिल्ली के ऐतिहासिक द्वार और पुल जैसे त्रिपोलिया गेट और शेरशाह सूरी गेट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के लिए चुनौती बने हुए हैं। जीर्ण-शीर्ण हालत के कारण इन स्मारकों के संरक्षण की जिम्मेदारी बढ़ गई है। शेरशाह सूरी गेट पिछले 13 सालों से बंद है जिसे पर्यटकों के लिए खोलने की योजना है। मंगी ब्रिज को बचाने के लिए हाइट बैरियर लगाने पर विचार किया जा रहा है।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली के ऐतिहासिक द्वार और पुल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के लिए चुनौती बनते जा रहे हैं। पुराने होने के कारण राष्ट्रीय महत्व के ये स्मारक जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं। ऐसे में इनके संरक्षण की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है।
इनमें मुख्य रूप से दो द्वार और एक पुल शामिल हैं। इनमें उत्तरी दिल्ली का ऐतिहासिक त्रिपोलिया गेट, मंगी ब्रिज और शेरशाह गेट शामिल हैं। एएसआइ इन्हें बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है।
अगर दिल्ली के बचे हुए ऐतिहासिक दरवाज़ों की बात करें तो हमारा ध्यान शाहजहानाबाद के बचे हुए दरवाज़ों की ओर जाता है। इनमें दिल्ली गेट, अजमेरी गेट, तुर्कमान गेट, लाहौरी गेट (अब सिर्फ़ नाम का दरवाज़ा) शामिल हैं। इनके अलावा खूनी दरवाज़ा, शेरशाह गेट, कश्मीरी गेट के साथ-साथ त्रिपोलिया गेट भी इस समय दिल्ली के दरवाज़ों के अस्तित्व को बचाए हुए हैं।
इनमें शेरशाह सूरी गेट सबसे ज्यादा जर्जर हालत में है। शेरशाह सूरी द्वारा बनवाया गया गेट स्मारक पिछले 13 सालों से बंद है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने मथुरा रोड स्थित राष्ट्रीय महत्व के स्मारक शेरशाह सूरी गेट पर वर्ष 2012 से ताला लगा रखा है। यह पर्यटकों के लिए बंद है। इस गेट का निर्माण शेरशाह सूरी ने वर्ष 1540 में करवाया था। यह दिल्ली के प्रवेश द्वारों में से एक है।
इसकी ऊंचाई 15.5 मीटर है। यह पुराना किला के सामने स्थित है। यह दिल्ली के प्रसिद्ध 13 द्वारों में से एक है। इसके बंद होने का कारण स्मारक की जर्जर हालत है। 13 साल पहले भारी बारिश के दौरान ऐतिहासिक गेट की एक दीवार गिर गई थी। गेट भी गिरने की स्थिति में था। उस समय एएसआई ने आनन-फानन में इस गेट के आधे हिस्से पर ईंट की दीवार बनवाकर गेट को बचा लिया था
एएसआई के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि एएसआई 13 साल से बंद शेरशाह सूरी गेट को पर्यटकों के लिए खोलने पर विचार कर रहा है। सूत्रों की मानें तो इस स्मारक का ताला खोलने से पहले गेट की मजबूती का तकनीकी निरीक्षण किया जाएगा, उसके बाद इसे आम लोगों के लिए खोला जा सकता है।
निरीक्षण के बाद एक निश्चित दूरी तक बैरिकेडिंग लगाकर इसे आम लोगों के लिए खोला जा सकता है। उन्होंने कहा कि गेट की सुरक्षा के लिए बनाई गई ईंट की दीवार को हटाने की फिलहाल कोई योजना नहीं है। उनकी मानें तो गेट काफी पुराना हो चुका है और कई बार आंधी-तूफान से इसे नुकसान पहुंच चुका है, इसलिए इसकी सुरक्षा के लिए दीवार का रखरखाव जरूरी है।
मंगी ब्रिज को बचाने के लिए लगेंगे हाइट बैरियर
त्रिपोलिया गेट और मांगी ब्रिज ऐसे स्मारक हैं, जिनके नीचे से भारी ट्रैफिक गुजरता है। इससे इन्हें ज्यादा खतरा रहता है। हालांकि, एएसआइ इन्हें बचाने को लेकर गंभीर है और बीते सालों में इन्हें बचाने के लिए संरक्षण कार्य भी किया गया है।
एएसआइ चाहता है कि इनके नीचे से ट्रैफिक न गुजरे, लेकिन ये गेट मुख्य मार्गों पर स्थित होने के कारण ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है। मांगी ब्रिज और त्रिपोलिया गेट के क्षतिग्रस्त हिस्से के संरक्षण के बाद इसे बचाने के लिए पुल के पास हाइट बैरियर लगाने पर विचार चल रहा है।
त्रिपोलिया गेट जीटी करनाल रोड पर स्थित है। इसका निर्माण मुहम्मद शाह के कार्यकाल में उनके मंत्री नजीर महलदार खां ने 1728-29 में कराया था। लाल किले के पीछे स्थित इस पुल का निर्माण 150 साल पहले हुआ था। इसका इस्तेमाल लाल किले से सलीमगढ़ किले तक जाने के लिए होता था।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।