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    नए नोट छापने से पहले करें दिव्यांगों की समस्याओं का समाधान: हाई कोर्ट

    Updated: Fri, 03 Oct 2025 02:45 PM (IST)

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार और आरबीआई को नए नोट जारी करने से पहले दिव्यांगजनों की समस्याओं का समाधान करने का निर्देश दिया है। अदालत ने आरबीआई अधिनियम के तहत कमजोर नागरिकों की चिंताओं को दूर करने की बात कही। याचिकाकर्ता ने 50 रुपये से कम के नोटों को सुलभ बनाने की मांग की थी जिस पर अदालत ने कहा कि नए नोट जारी करने में काफी खर्च आएगा।

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    अदालत ने आरबीआई अधिनियम के तहत कमजोर नागरिकों की चिंताओं को दूर करने की बात कही। फाइल फोटो

    विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। दिव्यांगजनों को करेंसी नोटों की पहचान करने में आने वाली कठिनाइयों को देखते हुए, दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को नए नोट जारी करने या छापने से पहले इन चुनौतियों का समाधान करने का निर्देश दिया।

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    न्यायालय ने कहा कि आरबीआई अधिनियम के प्रावधान केंद्र सरकार द्वारा देश के सबसे कमजोर नागरिकों में से एक की चिंताओं को दूर करने और उन्हें कम करने के लिए लागू किए गए थे।

    न्यायालय द्वारा नियुक्त उच्चाधिकार प्राप्त समिति और आरबीआई की रिपोर्टों की जाँच के बाद, मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि दिव्यांगजनों के लिए डिजिटल पहुँच से संबंधित समस्याओं और चिंताओं का काफी हद तक समाधान कर लिया गया है।

    इसलिए, समिति की सिफारिशों के साथ-साथ विभिन्न बैंकों को जारी की गई अपनी सिफारिशों का भी ईमानदारी से कार्यान्वयन किया जाना चाहिए।

    न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए आरबीआई को विभिन्न बैंकों से छमाही रिपोर्ट प्राप्त करने का भी निर्देश दिया। इसमें अंतिम कार्यान्वयन या लक्ष्य प्राप्ति तक प्रत्येक बैंक द्वारा की गई प्रगति की रिपोर्ट शामिल होगी।

    न्यायालय ने विभिन्न याचिकाओं का निपटारा करते हुए उपरोक्त टिप्पणी की। याचिकाकर्ता और अधिवक्ता रोहित दंडरियाल ने 50 रुपये और उससे कम मूल्य के करेंसी नोटों और सिक्कों को दृष्टिबाधित व्यक्तियों द्वारा आसानी से पहचाने जाने योग्य बनाने के लिए निर्देश देने की मांग की थी।

    इस संबंध में, पीठ ने कहा कि आरबीआई द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट और समिति की सिफारिशों के आधार पर, नोट जारी करने में हजारों करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं, और प्रचलन में मौजूद मुद्रा को वापस लेने और नष्ट करने में भी काफी लागत और समय लगेगा।

    इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, यह निर्देश दिया जाता है कि जब भी भारत सरकार और आरबीआई नई मुद्रा छापने का निर्णय लें, तो उन्हें उच्चाधिकार प्राप्त समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखना चाहिए।