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    दिल्ली के हर्बल पार्क बदहाल, न औषधीय पौधे न हरियाली; बस दीवारों पर लिखे हैं नाम

    Updated: Fri, 13 Jun 2025 04:34 PM (IST)

    यमुनापार के हर्बल पार्कों की हालत खस्ता है जहां औषधीय पौधों का अभाव है। नियमित देखभाल न होने से पार्क उजड़े पड़े हैं। यमुना विहार और जीटीबी एन्क्लेव के पार्कों में पौधे सूख गए हैं। रानी गार्डन और न्यू कोंडली में हर्बल पार्क बनाने की योजना अधूरी है। निगम अधिकारियों ने पार्कों को दोबारा विकसित करने का आश्वासन दिया है।

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    हर्बल पार्कों को ‘देखभाल’ और ‘जड़ी-बूटी’ की जरूरत

    आशीष गुप्ता, पूर्वी दिल्ली। हर्बल पार्कों को ‘देखभाल’ और ‘जड़ी-बूटी’ की जरूरत है। यमुनापार में इस तरह के चुनिंदा पार्क हैं। लेकिन उनमें औषधीय पौधे ही नहीं है। पार्क उजड़े पड़े हैं।

    ऐसे में उनके नाम के आगे हर्बल लगाना बेमानी साबित हो रहा है। नियमित देखभाल न होने से इन पार्कों की बुरी हालत हो गई है। नगर निगम के उद्यान विभाग के अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार हैं।

    हर्बल पार्क के नाम से स्पष्ट है कि इनमें औषधीय पौधे लगाए जाते हैं। ताकि इनमें सैर करने वाले और खेलने के लिए आ रहे बच्चे आयुर्वेद से जुड़ें और औषधीय पौधों को पहचानें।

    16 साल पहले विकसित किया गया था पार्क

    यमुना विहार बी-एक में 16 वर्ष पहले हर्बल पार्क विकसित किया गया था। तीन हजार गज में फैले इस पार्क को पार्षद प्रमोद गुप्ता ने वर्ष 2017 में पुनर्विकसित कराकर इसमें नीम, आंवला, गिलोय, पथरचट्टा, चिरायता, लेमन ग्रास, आम आदि के करीब 100 से अधिक पौधे लगवाए गए थे।

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    एनजीटी के आदेशानुसार पार्कों से पानी की मोटर बंद करवा दी गई थी। फिर इन पौधों को पानी देने की उचित व्यवस्था नहीं बन पाई और नगर निगम ने कई सालों तक कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की।

    ऐसे में पौधे सूख गए। स्थानीय लोग बताते हैं कि पार्क को संवारने के लिए कई बार उद्यान विभाग के अधिकारियों के सामने मुद्दा उठाया, लेकिन किसी ने गौर नहीं किया।

    पहले पानी की व्यवस्था नहीं थी लेकिन अब...

    शाहदरा उत्तरी जोन के अधीन इस पार्क की देखरेख के लिए जिम्मेदारी उद्यान विभाग के सेक्शन ऑफिसर किशन पाल सिंह ने बताया कि पहले पानी की व्यवस्था नहीं थी, यह बात सही है। लेकिन अब ट्यूबवेल ठीक करा दिया गया है। जल्द ही इसमें औषधीय पौधे लगाकर पार्क को इसका स्वरूप लौटाया जाएगा।

    जीटीबी एन्क्लेव पाकेट-ई स्थित हर्बल पार्क वर्ष 2016 में दिल्ली पार्क एंड गार्डन सोसायटी के सहयोग से क्षेत्रीय आरडब्ल्यूए के प्रयास से विकसित किया गया था। जिसका उद्घाटन तत्कालीन पार्षद स्वाति गुप्ता ने किया था।

    यहां इलायची, तुलसी, नीम, जामुन, गिलोय, आंवला, पत्थरचट्टा, आम, नींबू, सहजन, आदि के 150 औषधीय पौधे लगाए गए थे। साथ में दीवारों पर पौधों के नाम भी लिखे गए थे।

    (जीटीबी एन्क्लेव ई-ब्लॉक स्थित हर्बल पार्क की बदहाल स्थिति। जागरण)

    वर्ष 2017 में इसका नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस पार्क रखा गया था, उस मौके पर तत्कालीन महापौर सत्या शर्मा मुख्य अतिथि थीं।

    दीवारों पर बाकी हैं सिर्फ नाम

    अब इस पार्क में दीवारों पर नाम तो बाकी हैं, लेकिन कोई औषधीय पौधा नहीं बचा है। पानी न मिलने के कारण यहां लगे अन्य पेड़ भी सूखने लगे हैं। जबकि पार्क के बगल में जल बोर्ड का कार्यालय है।

    बावजूद यहां पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। लोगों ने बताया कि पार्क की देखरेख की जिम्मेदारी निगम के उद्यान विभाग के सेक्शन ऑफिसर विशाल की है, उन्होंने बताया कि पानी की समस्या के चलते इस तरह के पार्कों को पुराने स्वरूप में रखना मुश्किल हो रहा है। शाहदरा दक्षिणी जोन के प्रीत विहार वार्ड में मधुबन के पास हर्बल पार्क भी बदहाल है।

    योजना बनी, हर्बल पार्क नहीं

    शाहदरा दक्षिणी जोन के गीता कालोनी वार्ड रानी गार्डन में आंबेडकर पार्क को 2.67 लाख रुपये की लागत से हर्बल पार्क के रूप में पुनर्विकसित किया जाना था। योजना को बने हुए डेढ़ वर्ष से अधिक हो गया, लेकिन वह धरातल पर नहीं उतरी है।

    इसी तरह न्यू कोंडली में दिल्ली पुलिस अपार्टमेंट के पास 50 लाख रुपये की लागत से सात एकड़ में हर्बल पार्क बनाना तय हुुआ था। इस पार्क का काफी काम हुआ है, लेकिन पूरा नहीं बना है। इस बनते हुए डेढ़ साल हो चुके हैं। इस जोन के निगम अधिकारियों का कहना है कि योजना को जल्द पूरा किया जाएगा।

    हर्बल पार्क जिस उद्देश्य से बनाए गए थे, उसकी पूर्ति के लिए हर प्रयास किया जाएगा। इन पार्कों को दोबारा विकसित किया जाएगा।

    -पुनीत शर्मा, चेयरमैन, शाहदरा उत्तरी जोन, दिल्ली नगर निगम