क्या दिल्ली में रेहड़ी-पटरी वालों की समस्याओं का मजबूती से हो पाएगा समाधान? सरकार बना रही योजना
दिल्ली में रेहड़ी-पटरी वालों के लिए शिकायत निवारण प्रणाली को मजबूत करने की कवायद चल रही है। सरकार नगर निकायों की विवाद समाधान समितियों में सामाजिक कार्यकर्ताओं को शामिल करने की योजना बना रही है। इन कार्यकर्ताओं को सामाजिक कार्य का अनुभव होना चाहिए। राष्ट्रीय राजधानी में लाखों रेहड़ी-पटरी वाले हैं लेकिन पंजीकृत विक्रेताओं की संख्या काफी कम है।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली में 10 साल तक राज किया, लेकिन रेहड़ी-पटरी वालों के लिए एक मज़बूत शिकायत निवारण तंत्र स्थापित नहीं हो पाया। रेहड़ी-पटरी वालों को अपनी समस्याओं को लेकर भटकना पड़ा, यहां तक कि उनके स्टॉल लगाने के लिए अधिकृत स्थान भी तय नहीं हो पाए। अब, भाजपा सरकार सत्ता में आ गई है, लेकिन इन लोगों की स्थिति जस की तस बनी हुई है।
इन सबके बीच, दिल्ली सरकार के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि रेहड़ी-पटरी वालों के लिए शिकायत निवारण तंत्र को मज़बूत किया जाएगा। इसके लिए, नगर निकायों के पैनल में सामाजिक कार्य पृष्ठभूमि वाले पेशेवरों को शामिल किया जाएगा।
सरकार के शहरी विकास विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार दिल्ली नगर निगम (एमसीडी), नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) और दिल्ली छावनी बोर्ड की रेहड़ी-पटरी वालों के लिए विवाद समाधान समितियों में दो-दो सामाजिक कार्यकर्ताओं को शामिल करने की योजना बना रही है।
अधिकारियों ने बताया कि आवेदकों के पास सामाजिक कार्य या रेहड़ी-पटरी वालों के मुद्दों से निपटने का पर्याप्त ज्ञान या कम से कम 10 साल का अनुभव होना चाहिए।
उन्होंने बताया कि सामाजिक कार्यों और नागरिक मुद्दों के अनुभव वाले ये सदस्य समितियों के समक्ष रेहड़ी-पटरी वालों द्वारा दायर शिकायतों को निपटाने और बेहतर विवाद समाधान सुनिश्चित करने में मदद करेंगे।
उनका मानना है कि इससे रेहड़ी-पटरी वालों की समस्याओं का समाधान करने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में लाखों रेहड़ी-पटरी वाले हैं, लेकिन नगर निकायों में पंजीकृत विक्रेताओं की संख्या केवल लगभग 1.5 लाख है।
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