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    दिल्ली में शिक्षा कानून लागू, मगर घमासान अभी भी जारी; AAP ने उठाए कई गंभीर सवाल

    Updated: Tue, 19 Aug 2025 10:19 PM (IST)

    दिल्ली में शिक्षा कानून लागू हो गया है जिसे लेकर भाजपा और आप में मतभेद हैं। भाजपा इसे अभिभावकों के हित में बता रही है जबकि आप इसे शिक्षा माफिया को फायदा पहुंचाने वाला बता रही है। नए कानून में फीस निर्धारण के लिए समितियों का गठन किया गया है लेकिन आप का आरोप है कि इससे स्कूलों की मनमानी बढ़ेगी और अभिभावकों को शिकायत करना मुश्किल हो जाएगा।

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    दिल्ली में शिक्षा कानून पर घमासान जारी, किसका होगा फायदा?

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में शिक्षा कानून मंगलवार से लागू हो गया, मगर इस पर घमासान अभी भी जारी है, एक तरफ जहां दिल्ली की भाजपा सरकार ने आज से लागू करते हुए शिक्षा कानून को एक बड़ी उपलब्धि और अभिभावकों के हितों की रक्षा करने वाला कानून बताया है, वहीं आम आदमी पार्टी ने इसे शिक्षा माफिया को लाभ पहुंचाने वाला कानून बताया है।

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    दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) अधिनियम, 2025 को मंजूरी मिल गई है, उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने इसे अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है। जिसके बाद सरकार ने इसे अधिसूचित कर दिया है।

    यह कानून मंगलवार से दिल्ली में लागू हो गया है। दिल्ली सरकार का दावा है कि इस कानून ने स्कूलों में एक सुदृढ़ और पारदर्शी फीस प्रणाली स्थापित की है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा है कि यह विधेयक अभिभावक, शिक्षक, प्रबंधकों और सरकार के प्रतिनिधित्व वाली स्कूल स्तरीय फीस नियंत्रित समितियों को अनिवार्य बनाता है।

    अब किसी भी प्रकार की फीस बढ़ोतरी के लिए पूर्व अनुमति आवश्यक है। यह विधेयक बहु-स्तरीय शिकायत निवारण प्रदान करेगा और विवादित शुल्क के लिए छात्रों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाएगा। कहा कि स्वीकृत की गई निर्धारित फीस तीन वर्षों तक यथावत रहेगी, जिससे अभिभावकों पर आर्थिक बोझ का असर कम होगा।

    उधर आप ने कहा है कि इस कानून के लागू होने पर स्कूलों की शिकायत करना बेहद कठिन हो गया है। आप ने इस कानून के विरोध में मंगलवार से एक अभियान शुरू किया है। आप के प्रदेश स्तर के नेताओं ने मंगलवार को शेख सराय-1 स्थित एक नामी स्कूल के बाहर बच्चाें की छुट्टी के समय इस कानून के विरोध में पर्चे बांट कर अपने अभियान का शुभारंभ किया।

    बुधवार से आप छात्र विंग सभी स्कूलों के बाहर अभिभावकों में पर्चे बांटेगा। आप ने कहा है कि यह ऐसा कानून है, जिसमें अभिभावक मूकदर्शक बनकर रह जाएंगे और प्राइवेट स्कूल हर साल मनमानी फीस बढ़ा सकेंगे।

    अप्रैल में जिन प्राइवेट स्कूलों ने फीस बढ़ाई थी, उसे वापस करने का भी इस कानून में कोई प्रविधान नहीं है। वहीं आप के प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने कुछ दिन पहले एक कार्यक्रम में शिक्षा कानून पर शिक्षा मंत्री आशीष सूद से सवाल पूछे जाने पर अभिभावकाें को धमकाने का आराेप भी लगाया।

    शिक्षा कानून की मुख्य बातें

    • मनमानी फीस नहीं चलेगी
    • हर स्कूल में फीस समिति होगी
    • जिले में शिकायत निवारण समिति
    • राज्य स्तर पर उच्चस्तरीय पुनरीक्षण समिति
    • फीस की पूरी जानकारी सार्वजनिक होगी
    • एक बार तय हुई फीस तीन शैक्षणिक वर्षों तक यथावत रहेगी
    • उल्लंघन पर सख्त जुर्माना

    दिल्ली के परिवारों पर प्रभाव

    • निजी स्कूलों द्वारा मनमाने व अनियमित शुल्क वृद्धि पर रोक
    • अभिभावकों को स्कूल शुल्क निर्धारण में सशक्त भूमिका
    • शिक्षा में मुनाफाखोरी पर अंकुश

    पूर्व सरकारों ने इस मामले को कभी गंभीरता से नहीं लिया, जिसके चलते अभिभावकों को लगातार परेशानी का सामना करना पड़ा। पूर्व सरकार ने अपने शिक्षा मॉडल का झूठ फैलाया लेकिन न तो फीस सिस्टम को दुरुस्त किया और न ही शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए प्रयत्न किए। इसका परिणाम यह हुआ कि पूर्व सरकार के समय में फीस व अन्य मामलों में अभिभावकों और छात्रों को लगातार और गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा, स्कूलों ने बिना किसी कारण के फीस में भारी बढ़ोतरी की कुछ स्कूलों ने तो बेखौफ 30-45 प्रतिशत तक फीस बढ़ाई।

    रेखा गुप्ता, मुख्यमंत्री-दिल्ली