DU ने किया इकबाल से संबंधित पाठ्यक्रम हटाने का एलान; विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर VC की घोषणा
दिल्ली विश्वविद्यालय में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि डीयू ने इकबाल से संबंधित पाठ्यक्रमों को हटाने का फैसला लिया है। पूर्व सांसद सरदार तरलोचन सिंह ने विभाजन पीड़ितों के साहस की सराहना की। प्रो. बलराम पाणी ने इसे मातृभूमि और संस्कृति का बंटवारा बताया। कार्यक्रम में विभाजन पीड़ितों का सम्मान किया गया।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के स्वतंत्रता एवं विभाजन अध्ययन केंद्र (सीआइपीएस) ने “विभाजन की कहानियां- आघात से गवाही तक” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन कर विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया।
इस दौरान कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने छात्र- छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि भले ही इकबाल ने “सारे जहां से अच्छा” गीत लिखा, लेकिन बाद में उसने भारत-विरोधी “तराना-ए-मिल्ली” रचा।
इस कारण डीयू ने इकबाल से संबंधित पाठ्यक्रमों को हटाने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि विभाजन में लाखों लोग मारे गए। इसके बावजूद किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया और इस विषय पर गंभीर फिल्में भी नहीं बनीं।
मुख्य वक्ता पूर्व सांसद एवं राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष सरदार तरलोचन सिंह ने कहा कि अगर पूरा पंजाब पाकिस्तान चला जाता तो बार्डर गुरूग्राम में होता। उन्होंने विभाजन पीड़ितों के साहस और संघर्ष की मिसाल देते हुए कहा कि वह बिना सरकारी मदद के आगे बढ़े और मनमोहन सिंह, इंद्र कुमार गुजराल जैसे प्रधानमंत्री दिया है।
वहीं, संगोष्ठी में मौजूद प्रो. बलराम पाणी ने विभाजन को मातृभूमि, समाज और संस्कृति का बंटवारा बताया, जिसे भुलाना आसान नहीं है। सीआइपीएस निदेशक प्रो. रविंदर कुमार ने कहा कि बंटवारे की गलती किसकी थी, यह बताने की कोशिश 75 साल तक नहीं हुई। कार्यक्रम में सीआईपीएस की वार्षिक रिपोर्ट का विमोचन और विभाजन पीड़ितों का सम्मान भी किया गया।
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