नहीं बेचनी पड़ती अपनी लैंड रोवर और मर्सिडीज अगर... Luxury Cars बेचने पर मजबूर होने वालों का झलका दर्द
दिल्ली में पुरानी गाड़ियों पर लगे प्रतिबंध के कारण कार प्रेमियों को भारी नुकसान हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने इस व्यवस्था पर रोक लगा दी है जिससे लोगों को अपनी गाड़ियां सस्ते में बेचने का अफसोस है। एक पीड़ित नितिन गोयल ने कहा कि सरकार को पहले सक्रिय होना चाहिए था। उन्होंने यातायात प्रबंधन की कमी को प्रदूषण का मुख्य कारण बताया। बीएस-4 मानक वाहनों पर भी सवाल उठाए गए।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। बीती एक जुलाई से उम्र पूरी कर चुके वाहनों को डीजल-पेट्रोल नहीं मिलने को लेकर मची अफरा-तफरी में तमाम कार प्रेमियों के दिल टूटे थे, जो कारें उनके सपने का हिस्सा थीं, मजबूरी में उन्हें सस्ते दामों पर बेचना पड़ा था।
अब जब सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की याचिका पर इस व्यवस्था पर अंतरिम रोक लगा दी तो उन्हें अपनी प्रिय गाड़ियों को औने-पौने दाम पर बेचने का अफसोस हो रहा है।
दैनिक जागरण से बातचीत में पटपड़गंज निवासी नितिन गोयल, जिन्होंने इस नीति के कारण अपनी सपनों की कार 2014 मॉडल लैंडरोवर, जिसे उन्होंने 65 लाख रुपये में खरीदा था, मात्र आठ लाख में बेच दिया था।
इसी तरह 10 साल पुरानी 40 लाख में खरीदी मर्सिडीज सी क्लास 220 सीडीआई स्पोर्ट्स (लिमिटेड एडिशन) को मात्र चार लाख में बेचा था, सुप्रीम कोर्ट के आदेश का तो स्वागत करते हैं।
इसके साथ ही नाराजगी भी जताते हैं कि अगर सरकार ने पहले ही यह सक्रियता दिखाई होती तो उन्हें अपनी पसंदीदा कारों को नहीं बेचना पड़ता।
उन्होंने आगे बताया कि इन दोनों कार को बड़े अरमानों से खरीदा था, दोनों ही उनके पूरे परिवार के दिल के करीब थी। तमाम यादें उससे जुड़ी हुई थीं, हर सैर की अलग एक कहानी थी। जिस प्रदूषण को लेकर यह सब किया जा रहा है, वह तो यातायात प्रबंधन की कमी का नतीजा है।
नितिन कहते हैं कि सरकारें उचित यातायात प्रबंधन की अपनी नाकामी का ठीकरा जनता के सिर फोड़ ही है, जबकि उसे उचित यातायात प्रबंधन और उपाय लागू कर इस समस्या पर प्रभावी नियंत्रण करना चाहिए।
उन्होंने प्रश्न किया कि बीएस-4 मानक वाहन बिक्री की 2020 तक अनुमति थी, तो 2013-14 में निर्मित ऐसे वाहन अचानक उपयोग के लिए अनुपयुक्त कैसे हो गए।
इसी तरह जब सारे वाहन सरकार की नीति के तहत प्रदूषण सर्टिफिकेट हासिल कर चल रहे हैं कि वह प्रदूषण नहीं फैला रहे तो प्रदूषण फैलाने की आशंका में उन्हें चलन से बाहर कैसे किया जा सकता है।
यातायात प्रबंधन की कमी के कारण दिल्ली में वाहन मालिकों को 15 से 20 मिनट के सफर को 50 से 60 मिनट में पूरा करना पड़ रहा है। वाहन जितनी देर सड़क पर खड़ा रहेगा, प्रदूषण उतना ही अधिक फैलेगा, फिर वह बीएस -4 हो या बीएस-6, क्या फर्क पड़ता है।
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