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    दिल्ली में सात साल से बड़े वाहनों के लिए बंद है नत्थू काॅलोनी फ्लाईओवर, Rekha Gupta सरकार ने तलब की रिपोर्ट

    Updated: Sat, 09 Aug 2025 09:22 PM (IST)

    दिल्ली के नत्थू कॉलोनी में फ्लाईओवर पर सात साल से बसों का प्रतिबंध है जिससे जनता परेशान है। 125 करोड़ के फ्लाईओवर के निर्माण में अनियमितताओं के चलते दिल्ली सरकार ने पीडब्ल्यूडी से रिपोर्ट मांगी है। फ्लाईओवर का निर्माण 2010 में शुरू हुआ था लेकिन स्लैब गिरने के कारण बड़े वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। भाजपा विधायक ने मामला उठाया है और कार्रवाई की मांग की है।

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    नत्थू काॅलोनी चौक फ्लाईओवर पर लगा हाइट बैरियर व साइड से निकलता ट्रक। जागरण

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। नत्थू काॅलोनी में बने फ्लाईओवर पर सात साल से बसों सहित सभी बड़े वाहनाें के लिए प्रतिबंध लगा हुआ है। इससे खासकर स्कूली बच्चों और बसों में यात्रा करने वालों को भारी परेशानी हो रही है।

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    वहीं, 125 करोड़ से बने इस फ्लाईओवर के निर्माण काे लेकर इसे बनाने वाली कंपनी और अधिकारियों पर कार्रवाई न हाेने को लेकर भी सवाल उठ रहा है। मामला प्रकाश में आने पर रेखा गुप्ता सरकार ने लोक निर्माण विभाग से पूरी रिपोर्ट मांगी है।

    सरकार ने इसे चालू किए जाने को लेकर अभी तक की गई कवायद के बारे में पूरी जानकारी मांगी गई है। उम्मीद की जा रही है इस फ्लाईओवर पर बसों का संचालन आने वाले दिनों में शुरू हो सकता है। इससे इलाके की जनता ही नहीं उत्तर पूर्वी दिल्ली के लाखों लोगाें को जल्द राहत मिल सकती है।

    यहां बता दें कि उत्तर पूर्वी जिला में नंद नगरी की ओर से बाबरपुर आने जाने के लिए नत्थू काॅलोनी के पास लालबत्ती और रेलवे लाइन को कवर करते हुए इस फ्लाईओवर का निर्माण राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियाें की परियोजना के तहत 2010 में कांग्रेस की शीला सरकार ने निर्धारित किया था।

    परियोजना पर समय से काम शुरू नहीं हो सका, यह काम 2010 की जगह 2014-15 में पूरा हुआ और इसे जनता के लिए शुरू कर दिया गया। मगर शुरू होने के कुछ साल बाद ही इस फ्लाईओवर के स्लैब गिरने शुरू हो गए।

    जिन्हें फिर से लगाकर फ्लाईओवर की मरम्मत करा दी गई और इसे चालू कर दिया गया। इसे दिल्ली पर्यटन एवं परिवहन विकास निगम (डीटीटीडीसी) ने सरकार के निर्देश पर बनाया था। चूंकि इसमें पैसा पीडब्यूडी के फंड से खर्च हुआ तो 2017 में इसका रखरखाव भी पीडब्यूडी को सौंप दिया गया।

    पीडब्यूडी ने इसे बड़े वाहनों के लिए चलने के उपयुक्त नहीं माना और इसकी तकनीकी जांच कराने का फैसला लिया। विभाग ने 2018 में इसके बाद इसके दोनों ओर के चढ़ने वाली लेन पर ऊंचे बैरियर लगा दिए और तभी से इसके ऊवर से ऊंचे वाहन नहीं गुजर पा रहे हैं।

    सूत्रों की मानें तो दो अलग-अलग कंपनियों से इसकी तकनीकी जांच कराई जा चुकी है। फ्लाईओवर के पूरी तरह से न शुरू किए जाने के मुद्दे को इलाके के भाजपा विधायक जितेंद्र महाजन दिल्ली हाई कोर्ट में ले गए हैं। गत वर्ष नवंबर में काेर्ट ने सीबीआई से जांच कराने पर विचार करने को दिल्ली सरकार से कहा था।

    जिसके बाद गत दिसंबर में उस समय की मुख्यमंत्री आतिशी ने मुख्य सचिव को निविदा तैयार करने, कार्य अनुबंध देने और फ्लाईओवर पर काम के निष्पादन की निगरानी करने वाले सभी अधिकारियों के खिलाफ जांच करने का निर्देश दिया था।

    मगर यह कार्रवाई कहां तक पहुंंची, यह जानकारी किसी के पास नहीं है। डीटीटीडीसी ने अब स्वयं गत अप्रैल से मई में नेताजी सुभाष प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की तकनीकी टीम से सीमेंट-कंक्रीट के ब्लाॅक रखकर फ्लाईओवर की लोड टेस्टिंग कराई है।

    इसकी रिपोर्ट इस कार्य के लिए लगाई गई सलाहकार कंपनी के पास भेजी जाएगी, उसकी राय पर ही फैसला लिया जाएगा। इलाके के भाजपा विधायक जितेंद्र महाजन ने गत दिनों फिर इस मामले काे विधानसभा सदन में उठाया है। कहा कि बसों पर प्रतिबंध से जनता परेशान है।

    वह कहते हैं कि यह बहुत ही हैरानी की बात है कि इस फ्लाईओवर का घटिया काम करने वाले एक भी अधिकारी या इसे बनाने वाली कंपनी के खिलाफ आज तक कार्रवाई नहीं हुई है।

    उनके अनुसार इसे बनाने वाली गैमन इंडिया का भी अधिकतर भुगतान हो चुका है। जबकि फ्लाईओवर के नीचे दोनों ओर की सड़कों का काम अभी भी पूरा नहीं है।

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