एक साल में 20 ईमेल... 400 से ज्यादा संस्थान, स्कूल और कॉलेजों समेत इन्हें मिली बम से उड़ाने की धमकी
पिछले एक साल से दिल्ली के स्कूल कॉलेज और अस्पतालों को बम से उड़ाने की धमकी भरे ईमेल आ रहे हैं। पुलिस के अनुसार स्पेशल सेल ने जांच में पाया कि इन ईमेल के पीछे सवारिम नामक एक अरबी शब्द का इस्तेमाल किया गया था जो आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट से जुड़ा है। अधिकतर मामलों में ईमेल भेजने वाले नाबालिग छात्र निकले।

मोहम्मद साकिब, नई दिल्ली। पिछले एक वर्ष से अधिक समय से स्कूलों, कॉलेजों, अस्पतालों व हवाईअड्डों को बम से उड़ाने के धमकी भरे ईमेल पुलिस के लिए सिरदर्दी बने हुए हैं। बीते वर्ष मई माह में भेजे गए धमकी भरे ईमेल ने दिल्ली-एनसीआर के 200 स्कूलों में हड़कंप मचा दिया था।
"जहां भी वे मिलें, उन्हें मार डालो..." जैसे शब्दों से भरे इन ईमेल में स्कूल परिसरों में विस्फोटक होने का दावा किया गया था। एक साल में ऐसे लगभग 20 ईमेल 400 से अधिक प्रतिष्ठानों को भेजे गए, जिससे सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर आना पड़ा।
तत्काल जांच, स्कूल खाली कराना और बम डिस्पोजल दस्तों की तैनाती जैसे कदम उठाए गए, लेकिन अब तक सिर्फ कुछ मामलों में ही ठोस समाधान या ईमेल भेजने वालों को पकड़ा गया है। यह मामला आज भी जांच एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
पहले इन मामलों को आतंकवाद-रोधी इकाई, स्पेशल सेल की काउंटर इंटेलिजेंस यूनिट को जांच का जिम्मा सौंपा गया था, लेकिन अब पुलिस आयुक्त के आदेश के बाद इन मामलों की जांच दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक आपरेशंस (आइएफएसओ) को स्थानांतरित कर दिया गया है और यूनिट इन मामलों की जांच कर ईमेल भेजने वाले की तलाश में जुटी है।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक, स्पेशल सेल की काउंटर इंटेलिजेंस यूनिट की टीम ने जांच के दौरान धमकी भरे ईमेल की पहचान sawariim
यह संबंध देश को निशाना बनाकर की जा रही एक संभावित गहरी साजिश की ओर इशारा करता है। जांच के दौरान पता चला कि जिस सेवा प्रदाता (मेल.आरयू) का इस्तेमाल बम की झूठी धमकी भेजने के लिए किया गया था, उसका मुख्यालय मास्को, रूस में था।
इंटरपोल की मदद से, पुलिस ने मास्को स्थित राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो (एनसीबी) को पत्र लिखकर धमकी भरा ईमेल भेजने वाले व्यक्ति के बारे में जानकारी मांगी। हालांकि, जांच में रुकावट आई और मामला अभी भी अनसुलझा है।
पुलिस को पता चला कि भेजने वाले ने अपनी पहचान छिपाने के लिए वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) या प्राक्सी सर्वर (इंटरनेट पर एक एन्क्रिप्टेड कनेक्शन) का इस्तेमाल किया था।
कुछ मामले सुलझाए गए, पकड़े गए छात्र
पुलिस अब तक जितने भी मामले सुलझा पाई है, उनमें से अधिकतर मेल भेजने वाले नाबालिग हैं। पिछले साल दिसंबर में, दिल्ली पुलिस ने पश्चिम विहार में एक छात्र को अपने स्कूल में बम की धमकी वाला मेल भेजने के आरोप में पकड़ा था क्योंकि वह परीक्षा से बचना चाहता था।
छात्र ने यह मेल भेजने के लिए किसी वीपीएन और किसी सेवा प्रदाता द्वारा बनाई गई ईमेल आइडी का इस्तेमाल नहीं किया था, जिससे पुलिस के लिए उसे पकड़ना आसान हो गया। बच्चे की काउंसलिंग की गई और उसे छोड़ दिया गया, लेकिन इस मामले में जांच आगे नहीं बढ़ पाई।
दक्षिण जिले में भी एक मामले को सुलझाते हुए 16 वर्षीय लड़के को स्कूलों को ईमेल भेजने के आरोप में पकड़ा गया था। जांच में शामिल एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि लगभग आधा दर्जन मामलों में, छात्रों को जिम्मेदार पाया गया।
उन्होंने या तो शरारत के तौर पर या फिर अपने स्कूल बंद करने और परीक्षाओं से बचने के लिए ईमेल भेजे थे। लेकिन विदेश में बैठे शरारती तत्वों तक पुलिस नहीं पहुंच पा रही है।
क्यों नहीं पकड़े जाते आरोपित
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जब सर्वर विदेश में स्थित होते हैं, तो हम सर्वर की जानकारी प्राप्त करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों से भी सहायता लेते हैं। पिछले कुछ महीनों में अधिकतर मामलों में, ईमेल में इस्तेमाल किए गए डोमेन यूरोपीय देशों से जुड़े पाए गए।
हालांकि, आइपी एड्रेस या मेल भेजने वाले की अन्य जानकारी तक पहुंचना लगभग असंभव है, क्योंकि वे एन्क्रिप्टेड होते हैं और वीपीएस या प्रॉक्सी सर्वर का इस्तेमाल करके छिपाए जाते हैं।
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