बाहरी अधिकारियों ने कब्जा रखे हैं बंगले, NDMC सदस्य को नहीं मिल रहा घर
एनडीएमसी सदस्य अनिल वाल्मिकी को टाइप 5 का बंगला खाली न होने के कारण आवास आवंटित नहीं हो पाया है। एनडीएमसी के कई पूर्व अधिकारियों ने भी आवास खाली नहीं किए हैं जिससे समस्या हो रही है। नियमों के अनुसार दूसरे विभागों को बंगला उपलब्ध कराना होता है लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। एनडीएमसी ने इस समस्या के समाधान के लिए नीति बनाने का निर्णय लिया है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राजनेता से लेकर अधिकारियों को लुटियंस दिल्ली में सरकारी घर मिल जाए तो उसे खाली कराना डेढ़ खीर बन जाता है।
ऐसी ही स्थिति एनडीएमसी के सामने आ खड़ी हुई है। जहां एनडीएमसी में प्रतिनियुक्ति पर या फिर दिल्ली सरकार के दूसरे विभागों में तैनात रहे अधिकारियों ने लुटियंस दिल्ली में एनडीएमसी से घर तो ले लिया लेकिन, एनडीएमसी से जाने के बाद कई साल बीत जाने के बाद भी घर खाली नहीं किए है।
जबकि नियमानुसार पूल पर लिए गए बंगले में उतने ही बड़े क्षेत्रफल के बंगले दूसरे विभाग को उपलब्ध कराने होते हैं।
दूसरे विभागों ने बंगले तो उपलब्ध नहीं कराए लेकिन एनडीएमसी के अधिकारियों और स्वयं एनडीएमसी के सदस्य अनिल वाल्मिकी के लिए आवास की व्यवस्था के टोटा हो रखा है।
एनडीएमसी बनाएगी नीति
एनडीएमसी के उपाध्यक्ष कुलजीत चहल का इस मामले में कहना है कि एनडीएमसी ने इसके लिए नीति बनाने का निर्णय लिया है। ताकि इस समस्या का समाधान हो सके।
उल्लेखनीय है कि एनडीएमसी सदस्य को टाइप 5 का आवास मिलना चाहिए लेकिन वह खाली न होने की स्थिति में चार में से तीन सदस्यों को आवास मिल गया है कि लेकिन अनिल वाल्मिकी को अभी तक आवास आवंटित नहीं हुआ है।
जबकि 5 नंवबर को वाल्मिकी एनडीएमसी के सदस्य नियुक्त हुए थे। वाल्मिकी को आवास न मिलने का मामला पिछली एनडीएमसी की काउंसिल की बैठक में भी उठा। जहां पर टाइप 5 के बंगले अधिकारियों को आवंटित करने को लेकर नीति बनाने की मांग की गई।
साथ ही जब तक किसी अन्य अधिकारी को बंगला न आवंटित करने के लिए रोक लगाने पर चर्चा हुई तब तक की एनडीएमसी सदस्य को आवास मिल नहीं जाता।
अधिकारी इसलिए नहीं कर पा रहे ठोस कार्रवाई
चूंकि, मामला एनडीएमसी और दिल्ली सरकार के बड़े आइएएस अधिकारियों से जुड़ा है इसलिए एनडीएमसी के अधिकारी भी इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रही है। साथ ही एनडीएमसी के अधिकारी भी इस पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक जिन अधिकारियों ने एनडीएमसी से घर ले रखा है उसमें दिल्ली के एक पूर्व मुख्य सचिव, एनडीएमसी के कई पूर्व सचिव और अन्य अधिकारी शामिल हैं।
इससे पूर्व भी करीब चार वर्ष पहले एनडीएमसी के तत्कालीन उपाध्यक्ष सतीश उपाध्याय को भी अपने आवास के लिए कोर्ट तक जाना पड़ा था। जहां कोर्ट के आदेश के बाद पूर्व वरिष्ठ नौकरशाह ने वह आवास खाली किया था।
नियम है कि एनडीएमसी में आए अधिकारी को जब तक वह एनडीएमसी में तैनात है तब तक ही आवास की सुविधा मिलेगी लेकिन ज्यादातर अधिकारी एनडीएमसी से आवास लेने के बाद उसे खाली नहीं करते हैं। भले ही उनका तबादला एनडीएमसी से क्यो न हो गया हो।
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