दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में 10 महीने से एनएटी बंद, एलाइजा के भरोसे ब्लड बैंक
दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में पिछले 10 महीनों से एनएटी जांच बंद होने के कारण ब्लड बैंक एलाइजा टेस्ट पर निर्भर है। एनएटी एलाइजा से ज्यादा सटीक है और संक्रमण को पहले ही पकड़ लेता है। राष्ट्रीय रक्त आधान परिषद (एनबीटीसी) एनएटी की सिफारिश करती है लेकिन आरएमएल में तकनीकी कारणों से यह सेवा बंद है जिससे रक्त सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। ब्लड बैंकों में डोनेट होने वाले रक्त की प्रोसेसिंग से पहले न्यूक्लिक एसिड टेस्टिंग (एनएटी) की अनिवार्यता की वकालत राष्ट्रीय रक्त आधान परिषद (एनबीटीसी) करती है। इसे देखते हुए एम्स समेत आइएलबीएस और आरएमएल अस्पताल में इसे शुरू भी किया गया।
एम्स में जहां रक्त की प्रोसेसिंग से पहले वायरल मार्कर जांच अनिवार्य रूप से की जा रही है। वहीं दूसरी ओर आरएमएल में पिछले 10 महीने से न्यूक्लिक एसिड टेस्टिंग (एनएटी) ही नहीं हो पा रही है।
वायरस या बैक्टीरिया के प्रभावी होने से पहले ही पहचानने में सक्षम
ब्लड की प्रोसेसिंग से पहले केवल एलाइजा (एंजाइम लिंक्ड इम्यूनो सार्बेंट) टेस्ट ही किया जा रहा है। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक ब्लड प्रोसेसिंग से पहले अनिवार्य एलाइजा टेस्ट किया जा रहा है। एनएटी रैपिड टेस्ट है। तकनीकी दिक्कत दूर कर इसे भी जल्द शुरू किया जाएगा।
रक्त सुरक्षा के लिए सबसे विश्वसनीय मानक के रूप में राष्ट्रीय रक्त आधान परिषद (एनबीटीसी) एनएटी की अनुशंसा करती है। वर्ष 2012 में दिल्ली सरकार ने ब्लड बैंकों में यह जांच शुरू करने की योजना बनाई थी, पर जांच का खर्च अधिक होने के चलते इसे लागू नहीं किया जा सका।
एम्स, आइएलबीएस और आरएमएल को छोड़कर दिल्ली के बाकी सभी अस्पतालों में ब्लड की स्क्रीनिंग के लिए एलाइजा जांच ही की जाती है। एम्स के मुताबिक ब्लड की प्रोसेसिंग से पहले एचआइवी, हेपेटाइटिस बी व सी, मलेरिया आदि संक्रमण का पता लगाने के लिए वायरल मार्कर जांच कराई जाती है। रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही ब्लड की प्रोसेसिंग होती है।
एलाइजा से एडवांस है एनएटी
दरअसल, न्यूक्लिक एसिड टेस्ट (एनएटी) सीधे वायरस के जेनेटिक मटेरियल का पता लगाता है, जो संक्रमण का शुरुआती संकेत है। वहीं एलाइजा शरीर द्वारा वायरस की मौजूदगी में प्रतिक्रिया करते हुए बनाए गए एंटीबाडी या एंटीजन का पता लगाती है।
एनएटी एलिसा से अधिक संवेदनशील होता है और विंडो पीरियड (किसी व्यक्ति के संक्रमित होने के तुरंत बाद से वायरस के प्रभावी होने के बीच का समयांतराल) में संक्रमण का पता लगा सकता है, जबकि एलिसा वायरस के प्रभावी होने के बाद एंटीबाडी बनने पर ही परिणाम देता है।
वायरस -एलाइजा टेस्ट -एनएटी
एचआइवी -23 से 90 -8 से 11
हेपेटाइटिस-सी -7 से 14 -3 से 5
हेपेटाइटिस-बी -30 से 180 -15 से 20
(नोट-संक्रमण के बाद परिणाम के लिए प्रभावी समयांतराल)
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