अल्पसंख्यक आयोग पहुंचा नजीब की गुमशुदगी का मामला, सियासत जारी
जेएनयू छात्रसंघ नजीब मसले पर गृह मंत्रालय का घेराव करने के बाद अब इसे राष्ट्रीय मुद्दा बनाने पर तुला हुआ है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में नजीब अहमद की गुमशुदगी जेएनयू प्रशासन के लिए सिरदर्द साबित हो रही है। एक तरफ जहां कैंपस में धरना प्रदर्शन का दौर जारी है वहीं इसमें शामिल होने वाले छात्र कक्षाओं का भी बहिष्कार कर रहे हैं।
हॉस्टल से लेकर मेस तक टेफ्लाज से लेकर गंगा ढाबा तक हर जगह चर्चा का दौर जारी है। वामपंथी संगठन इसे पूरी तरह हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला के मुद्दे की तरह तूल देना चाहते हैं। अब जेएनयू छात्रसंघ की तरफ से कुछ लोगों ने अल्पसंख्यक आयोग में भी इस मामले पर ज्ञापन दिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जेएनयू छात्रसंघ नजीब मसले पर गृह मंत्रालय का घेराव करने के बाद अब इसे राष्ट्रीय मुद्दा बनाने पर तुला हुआ है। इसके लिए कई वामपंथी छात्र देश के अन्य विश्वविद्यालयों में जाकर वहां पर छात्रों को एकजुट करने में लगे हैं और फिर से राजधानी में एक बडा मार्च करने की तैयारी में हैं।
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उधर जेएनयू प्रशासन नजीब की गुमशुदगी को लेकर चिंतित है और लगातार पुलिस के संपर्क में है। जेएनयू के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि हमारी प्राथमिकता नजीब का मिलना है। जेएनयू छात्र संघ नजीब की गुमशुदगी को एक राजनीतिक मुद्दा बनाकर जहां तूल देने पर अड़ा है वहीं एबीवीपी इसमें वामपंथी छात्र संगठनों और शिक्षकों की भूमिका पर सवाल उठा रही है। यही नहीं एबीवीपी के नेता इस पूरे मसले में जेएनयू छात्रसंघ मोहित पांडेय के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष मोहित पांडेय का कहना है कि इस मामले को लेकर जेएनयू छात्रसंघ गंभीर है। हम शुरू से ही नजीब को खोजने के लिए प्रशासन पर दबाव डाल रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर हम देश के अन्य विश्वविद्यालयों में भी जाएंगे। अभी हमारे प्रतिनिधि ने अल्पसंख्यक आयोग में इस बाबत एक ज्ञापन सौंपा है। जिस तरह से रोहित वेमुला के मुद्दे को लेकर राजनीति हुई और प्रशासनिक उदासीनता दिखाई गई नजीब के मामले में भी वैसा ही हो रहा है।
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इस प्रकरण पर जेएनयू छात्रसंघ में पूर्व संयुक्त सचिव और एबीवीपी के नेता सौरभ कुमार शर्मा ने जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष मोहित कुमार पांडेय के इस्तीफा की मांग की। सौरभ कुमार शर्मा का कहना है कि कैंपस इस तरह धर्म के नाम पर कभी नहीं बंटा है लेकिन नजीब प्रकरण में जिस तरह की भूमिका जेएनयू छात्रसंघ ने निभाई है वह दुर्भाग्यपूर्ण है।
नजीब को खोजने की बजाय कुलपति को बंधक बनाया गया। यहां सच बोलने वालों को जेएनयूएसयू से खतरा है। माही मांडवी हॉस्टल के अध्यक्ष को सच बोलने पर खतरा उठाना पड़ रहा है। उसने हिम्मत करके सच बोला और जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष पर सवाल उठाया लेकिन छात्रसंघ के लोग उसे ही झूठा बताने पर तुले हुए हैं।
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