कभी गंदगी का पर्याय माने जाने वाली नजफगढ़ ड्रेन बनेगी Delhi के परिवहन का नया मार्ग, 26 जनवरी से चलेगी नाव
दिल्ली में नजफगढ़ ड्रेन परिवहन का नया रास्ता होने वाली है। गंदगी और दुर्गंध का पर्याय माने जाने वाली इस ड्रेन में अब नाव चलने वाली है। इन नावों से सामान भी ढोया जा सकता है। इसका कितना किराया होगा यह अभी तय नहीं हुआ है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। यातायात जाम और वायु प्रदूषण से जूझती दिल्ली में नजफगढ़ ड्रेन परिवहन का नया रास्ता होगी। गंदगी व दुर्गंध का पर्याय मानी जाने वाली इस ड्रेन में नाव चलेंगी। इन नावों में सामान भी ढोया जाएगा और सवारियां भी सफर करेंगी। किराया कितना होगा, यह अभी तय किया जाना है।
12 किमी का होगा पायलट प्रोजेक्ट
इस ड्रेन में नाव चलने की शुरुआत 26 जनवरी से होगी। पहले चरण में नावें तिमारपुर से भारत नगर तक करीब 12 किमी के क्षेत्र में चलेंगी। शुरुआत में इन नावों में केवल सामान ढोया जाएगा। सवारी सेवा शुरू होने में थोड़ा समय लगेगा। सामान में दैनिक जरूरतों की सभी चीजें- कपड़े, दवाइयां, किरयाने की वस्तुएं, फल सब्जियां सभी कुछ शामिल रहेगा। सामान को चढ़ाने और उतारने के लिए माल रोड, मुखर्जी नगर, कमला नगर, मल्का गंज, रूप नगर, शक्ति नगर और अशोक विहार इत्यादि सभी प्रमुख क्षेत्रों में फेरीजेटी (स्टापेज) बनाए जाएंगे।
तिमारपुर से माल रोड ब्रिज का हिस्सा हुआ पूरा साफ
अधिकारियों के मुताबिक तिमारपुर से माल रोड ब्रिज तक नजफगढ़ ड्रेन के हिस्से को पूरी तरह साफ कर दिया गया है। माल रोड ब्रिज से भारत नगर तक के हिस्से की सफाई 15 जनवरी 2023 तक पूरी कर ली जाएगी और इसके बाद यहां यात्री एवं मालवाहक नाव का परीक्षण शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही 32 नालों के पानी को नजफगढ़ ड्रेन में गिरने से रोकने के बाद अन्य 18 नालों के पानी को भी रोकने का कार्य शुरू किया जाएगा। यह नाले भरत नागर से बसई दारापुर के बीच हैं।
नजफगढ़ ड्रेन से अभी तक करीब 25 मीट्रिक टन गाद हटाई जा चुकी है। एलजी वीके सक्सेना के निर्देश पर तिमारपुर एवं भारत नगर में डी-सिल्टिंग मानिटरिंग सेंटर स्थापित किए गए हैं। यहां पर डिस्प्ले बोर्ड भी रहेगा, जिससे आम जनता को यह पता लग सके कि रोजाना नजफगढ़ नाले से कितनी गाद निकाली जा रही है।\B
25 प्रतिशत गंदे पानी काे ड्रेन में गिरने से रोका जा सकेगा
57 किलोमीटर लंबी नजफगढ़ ड्रेन में 122 नाले-नालियों का गंदा पानी गिरता है, जो यमुना को भी प्रदूषित कर रहा है। अगर 32 नालों के गंदे पानी को गिरने से रोक दिया जाता है तो कुछ हद तक ड्रेन को साफ रखने में मदद मिलेगी। एक अनुमान के मुताबिक इन 32 नालों से 25 प्रतिशत दूषित पानी ड्रेन में गिरता है।
एलजी लगातार कर रहे दौरा, खट्टर से भी मांगा सहयोग
एलजी इस महत्वाकांक्षी परियोजना को अमली जामा पहनाने के लिए लगातार इसकी निगरानी, समीक्षा और दौरा भी कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने पिछले सप्ताह हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से फोन पर बात कर नजफगढ़ नाले में राज्य के कई स्रोतों से बहने वाले कचरे को रोकने में उनका सहयोग मांगा है। सक्सेना इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बहुत जल्द खट्टर के साथ बैठक के लिए चंडीगढ़ भी जाएंगे।
कभी साहिबी नदी होती थी नजफगढ़ ड्रेन
बहुत कम लोग जानते होंगे कि नजफगढ़ ड्रेन गुजरे जमाने में साहिबी नदी हुआ करता थी। साहिबी नदी का उद्गम राजस्थान के सीकर जिले के कस्बे अजीतगढ़ के पूर्व में दो किलोमीटर दूरी पर स्थित धारा जी के मंदिर के पास से होता है। राजस्थान से लेकर दिल्ली तक नदी की कुल लंबाई 300 किलोमीटर थी। यह पहले सीधे यमुना नदी में गिरती थी, लेकिन बाद में इसका बहाव कम हो गया।
नदी के लुप्त होने पर यह नाले के स्वरूप में आ गई। साथ ही इसे नजफगढ़ ड्रेन नाम से पहचान मिल गई। वर्तमान में इसमें दिल्ली के कई बड़े नालों का पानी गिरता है जो कि बाद में यमुना में जाकर मिल जाता है।
यह भी पढ़ें- नजफगढ़ ड्रेन का दंश: बंध बनाने के लिए चाहिए केवल 72 एकड़ जमीन