Yamuna Pollution: 14 डीएसटीपी बनाकर नजफगढ़ नाले का गंदा पानी साफ करेगी दिल्ली सरकार
दिल्ली सरकार नजफगढ़ नाले को साफ करके यमुना नदी को स्वच्छ करने के लिए काम कर रही है। इस नाले से प्रतिदिन 2076 एमएलडी गंदा पानी यमुना में गिरता है। दिल्ली सरकार 14 डीएसटीपी बनाकर इस नाले के पानी को ट्रीट करेगी इनमें से 11 डीएसटीपी बनाने की प्रक्रिया शुरू।

जागरण संवाददाता, नई दिल्लीः साहिबी नदी जिसे नजफगढ़ नाला कहा जाता है, को साफ किए बिना यमुना को स्वच्छ व अविरल नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह नाला यमुना में 70 प्रतिशत प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है।
इसे ध्यान में रखकर दिल्ली सरकार ने इस नाले की सफाई का कार्य शुरू किया है। सीवेज उपचार संयंत्र (STP) और विकेंद्रीकृत सीवेज उपचार संयंत्र (DSTP) बनाकर इसके पानी को उपचारित किया जाएगा, जिससे कि यमुना में गिरने वाले गंदे पानी को रोका जा सके।
जल बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार 22 बड़े नालों से यमुना में प्रतिदिन लगभग 3400 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) पानी पहुंचता है। इसमें से सिर्फ नजफगढ़ नाले का 2076 एमएलडी पानी होता है। इसमें से बड़ी मात्रा में बिना ट्रीट किया पानी यमुना में गिर रहा है।
साहिबी रिवर मिशन से स्थिति सुधारने की योजना की तैयार
साहिबी रिवर मिशन से स्थिति सुधारने की योजना तैयार की गई है। इसके अंतर्गत नजफगढ़ नाले की सफाई और जल गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए कार्य किया जा रहा है।
पहले चरण में 57 किलोमीटर लंबे नाले के तिमारपुर से पंजाबी बाग तक के 11 किलोमीटर के हिस्से को साफ किया जा रहा है। इस हिस्से में 23 छोटे नाले का पानी नजफगढ़ नाले में गिरता है। एसटीपी और डीएसटीपी से इन छोटे नालों के पानी को ट्रीट किया जाएगा।
14 DSTP नजफगढ़ नाले के लिए होंगे, 11 बनने की प्रक्रिया शुरू
दिल्ली सरकार ने पिछले माह पहली व्यय वित्त समिति की बैठक में यमुना की सफाई के लिए 3,140 करोड़ रुपये की लागत से 27 डीएसटीपी बनाने व अन्य कार्य की घोषणा की थी।
इसमें से 14 डीएसटीपी नजफगढ़ नाले के लिए होंगे। 11 डीएसटीपी बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के छावला क्षेत्र में 49.5 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) क्षमता का एक एसटीपी भी बनाया जा रहा है।
इसके साथ ही जाफरपुर, गालिबपुर, खेड़ा डाबर, हसनपुर, काजीपुर, शिकारपुर, सारंगपुर, कैर, ककरोला, कांघेरी और डिचाऊं कलां में डीएसटीपी स्थापित किए जा रहे हैं। इन संयंत्रों का उद्देश्य यह है कि पानी को उसी स्थान पर उपचारित किया जाए जहां वह उत्पन्न होता है, जिससे वह गंदा जल नाले या यमुना तक पहुंच ही न सके।
एसटीपी और डीएसटीपी से बीओडी व टीएसएस को मानकों में लाएंगे
एसटीपी व डीएसटीपी से नाले के पानी में रसायन ऑक्सीजन मांग (बीओडी) और कुल निलंबित ठोस (टीएसएस) को मानक के अनुरूप लाना है।
बीओडी का तय मानक 30 मिलीग्राम/ प्रति लीटर है लेकिन नजफगढ़ नाले का लगभग 100 मिलीग्रीम/ प्रति लीटर है। इसी तरह से टीएसएस 100 मिलीग्रीम/ प्रति लीटर होना चाहिए, लेकिन इस नाले में यह इससे अधिक है।
इसके मानक के अनुरुप होने से से यमुना की जल गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार आने की उम्मीद है। उपचारित जल का उपयोग सिंचाई, बागवानी और जलाशयों के पुनर्जीवन में किया जाएगा।
यह भी पढ़ें: दिल्ली की ईवी नीति-2 का मसौदा तैयार करने के लिए 10 सदस्य समिति का गठन, अगस्त 2023 में खत्म हाे चुकी है पहली ईवी नीति
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।