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    बच्चों की जिंदगी में उजाला ला रही शिक्षिका, कूड़ा बीनने और भीख मांगने वाले बच्चों के लिए करती हैं यह नेक काम

    By Pradeep ChauhanEdited By:
    Updated: Thu, 20 Jan 2022 02:20 PM (IST)

    ये रेड लाइट पर भीख मांगने वाले या फिर अपने बचपन को कूड़ा के इर्दगिर्द बिताने वाले बच्चों को देखकर काफी चिंतित रहती थी। कई बार गैर सरकारी संगठनों से इन बच्चों की शिक्षा के लिए अपील की लेकिन किसी ने इनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया।

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    इन्होंने इसका नाम दिया है अक्षर ज्ञान अभियान।

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कहा जाता है अशिक्षित को शिक्षा दो, अज्ञानी को ज्ञान, शिक्षा से ही बन सकता है, भारत देश महान। आज के परिवेश में हमें इन शब्दों पर बार-बार विचार करना चाहिए। ऐसा नहीं है कि लोग इस दिशा में सोचते नहीं, लेकिन बहुत कम ऐसे लोग होते हैं जो सोचने के बाद इसपर अमल करते हैं। इसपर अमल करने वालों की लिस्ट में ककरौला स्थित निगम स्कूल की शिक्षिका अंशु पाठक का भी नाम है।

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    ये रेड लाइट पर भीख मांगने वाले या फिर अपने बचपन को कूड़ा के इर्दगिर्द बिताने वाले बच्चों को देखकर काफी चिंतित रहती थी। कई बार गैर सरकारी संगठनों से इन बच्चों की शिक्षा के लिए अपील की, लेकिन किसी ने इनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया। अंत में वर्ष 2016 में खुद ही इनकी शिक्षा के लिए प्रयास करने लगीं और अभी तक तीन सौ से ज्यादा ऐसे बच्चों का ये स्कूल में दाखिला करा चुकी हैं। इन्होंने इसका नाम दिया है अक्षर ज्ञान अभियान।

    साथ मिलता गया कारवां बढ़ता गया: अंशु पाठक ने बताया, वर्ष 2016 में निगम की ओर से एक योजना आई, जिसमें इन बच्चों को स्कूल में दाखिला कराने की बात कही गई। इसके बाद मैं खुद इस कार्य में जुट गई। द्वारका एनएसयूटी के रेड लाइट पर कुछ बच्चे मिले, लेकिन पढ़ने की चर्चा होते ही वे भाग खड़े हुए। इसके बाद पता चला कि ये बच्चे सुलहकुल विहार में रहते हैं। वहां लगातार जाने लगी।

    पहले बच्चों के अभिभावक नहीं मानते थे, लेकिन लगातार चार महीने जाने के बाद चार बच्चे स्कूल में दाखिला कराने को राजी हुए। इन बच्चों का दाखिला कराने के बाद इन्हें अपनी गाड़ी से स्कूल ले जाती और छुट्टी के बाद घर वापस छोड़कर आती थी। इन बच्चों के देखादेखी सुलहकुल विहार के 33 अन्य बच्चों ने दाखिला कराया और पढ़ाई शुरू कर दी। इसमें एडवोकेट खगेश झा व अशोक अग्रवाल ने हमारी काफी मदद की। यहां के बच्चे स्कूल जाने लगे तो फिर मैंने सागरपुर रेड लाइट के आसपास भीख मांग रहे बच्चों को जागरूक करना शुरू कर दिया। यहां पर भी 33 बच्चों का दाखिला वशिष्ट पार्क के निगम स्कूल में कराया।

    लगातार जारी है सफर: अंशु ने बताया कि यह सफर लगातार जारी है। इसमें कई लोगों का साथ मिल रहा है। हमारा प्रयास है कि बच्चों को शिक्षा के महत्व से अवगत कराया जाए, जिससे कि वे कम से कम एक जिम्मेदार नागरिक बन सकें।

    विश्वास जीतने के लिए पहले खुद पढ़ाया

    अंशु ने बताया कि द्वारका सेक्टर पांच में एक जगह पर करीब 55 माली का परिवार रहता है। वर्ष 2020 में उन्होंने देखा कि इनके बच्चे भी पढ़ाई नहीं करते हैं। इसके बाद अंशु उनके पास पहुंचीं, लेकिन अभिभावकों ने तरह-तरह के बहाने बनाने शुरू कर दिए। लोगों ने कहा कि कोरोना के बाद बच्चों का स्कूल में दाखिला कराऊंगा। इसपर अंशु ने कहा कि जबतक कोरोना है तबतक मैं खुद आकर यहां पर बच्चों को पढाऊंगी। इसके बाद अभिभावक कुछ नहीं कह सके और वर्ष 2021 जनवरी में बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। कोरोना का खतरा कम होने के बाद यहां से 27 बच्चों का दाखिला स्कूल में कराया।

    डेढ़ सौ बच्चों का कराया दाखिला

    अंशु पाठक ने बताया कि हमें पता चला कि मटियाला कबाड़ बस्ती में सैकड़ों बच्चे कूड़ा बीनने में अपना जीवन बर्बाद कर रहे हैं। वहां पर निगम स्कूल में शिक्षक मनोज थे। उनके साथ मिलकर बच्चों के अभिभावकों को जागरूक करने का कार्य शुरू किया। करीब तीन महीने तक लगातार जागरूक करने के बाद यहां से 150 बच्चों का दाखिला मटियाला स्थित निगम स्कूल में कराया गया।