Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'शरीयत से मतभेद पैदा करता है सुप्रीम कोर्ट का फैसला', मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बैठक में कही ये बड़ी बातें

    Updated: Sun, 14 Jul 2024 10:04 PM (IST)

    Muslim Personal Law Board मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की वर्किंग कमेटी की बैठक में यूसीसी के विरोध सहित आठ प्रस्ताव पारित हुए। यूसीसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगा। बोर्ड ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला स्वीकार नहीं है और उसे वापस लेने के हर संभव रास्ते तलाशे जाएंगे।

    Hero Image
    मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक के बाद बैठक में पारित किए गए प्रस्तावों की जानकारी देते बोर्ड के सदस्य।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को भी गुजारा भत्ता देने के ऐतिहासिक निर्णय के विरूद्ध मोर्चा खोलते हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी, AIMPAB) ने कहा कि यह फैसला शरीयत से मतभेद पैदा करता है। यह संविधान प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता का भी हनन करता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बोर्ड ने दो टूक कहा कि गुजारा भत्ता मुस्लिम महिलाओं के लिए ''भीख'' है। उसे सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला स्वीकार नहीं है और उसे वापस लेने के हर संभव रास्ते तलाशे जाएंगे।

    मामले को वापस लेने के विपल्प तलाशेंगे

    बोर्ड की वर्किंग कमेटी की बैठक में इस मुद्दे को संगठन की कानूनी समिति को सौंपने का निर्णय करते हुए आगे कदम उठाने के लिए संगठन अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी को अधिकृत किया गया। समिति इस मामले की विवेचना करते हुए इसे वापस लेने के कानूनी, संवैधानिक और लोकतांत्रिक विकल्पों में उपायों को सुझाएगी।

    इसी तरह बोर्ड की बैठक में उत्तराखंड में लाए जा रहे समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लिया गया है।

    आठ मुद्दों पर पास किया प्रस्ताव

    बैठक में इन दोनों मुद्दों के साथ ही वक्फ कानून को खत्म करने के प्रयासों का विरोध व वक्फ संपत्तियों के अतिक्रमण से मुक्ति, पूजा स्थल अधिनियम को लागू करने व फलस्तीन मामले जैसे कुल आठ प्रस्ताव पारित किए गए। इसमें छह को सार्वजनिक किया गया, जबकि दो को संगठनात्मक मामला बताते हुए उल्लेख नहीं किया गया।

    सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था ऐतिहासिक फैसला

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में ऐतिहासिक निर्णय देते हुए कहा है कि तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को भी गुजारा भत्ते का अधिकार है। मुस्लिम महिला सीआरपीसी (क्रिमिनल प्रोसीजर कोड) की धारा 125 के तहत पति से गुजारा भत्ता मांग सकती हैं।

    शीर्ष अदालत ने कहा है कि सीआरपीसी की धारा 125 (गुजारा भत्ता प्राप्त करने के प्रविधान) सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होती है, जिसमें विवाहित मुस्लिम महिलाएं भी शामिल हैं।

    शाहबानो मामले में भी किया था विरोध

    ऐसा ही निर्णय सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में शाहबानो मामले में भी दिया था, तब भी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जबरदस्त विरोध किया था। तब तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने वर्ष 1986 में संसद से कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को पलट दिया था। कमोबेश वही स्थिति इस निर्णय से मुस्लिम संगठनों के सामने फिर पैदा हो गई है। इसलिए आनन-फानन यह बैठक हुई।

    कौन-कौन शामिल हुआ बैठक में

    आईटीओ स्थित मस्जिद जल प्याऊ में आयोजित एआईएमपीएलबी की बैठक में बोर्ड अध्यक्ष के साथ ही उपाध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी व मौलाना मोहम्मद अली नकवी, बोर्ड सचिव मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी (बिहार) व मौलाना मुहम्मद यासीन अली उस्मानी (बदायूं) के साथ ही कोषाध्यक्ष मुहम्मद रियाज उमर मौजूद रहे। जमीयत उलेमा- ए- हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद महमूद मदनी, जमीयत अहल हदीस के मौलाना असगर अली इमाम महदी सलाफी, वरिष्ठ वकील यूसुफ हातिम मछला, बोर्ड प्रवक्ता डा. एस क्यू आर इलियास, सांसद असदुद्दीन ओवैसी समेत महिला सदस्यों में अतिया सिद्दीकी, प्रोफेसर मुनीसा बुशरा आबिदी और डा. निकहत भी बैठक में विचार रखें। बैठक का संचालन बोर्ड के महासचिव मौलाना मुहम्मद फजलुर्रहीम मुज्जदीदी ने किया।

    पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि मुस्लिम तलाकशुदा महिलाओं के भरण-पोषण पर सर्वोच्च न्यायालय का हालिया फैसला इस्लामी कानून (शरीयत) के खिलाफ है। यह फैसला उन महिलाओं के लिए और समस्याएं पैदा करेगा जो बिगड़ चुके रिश्ते से बाहर आ गई हैं। इससे खराब हो चुके रिश्ते के बाद भी पति तलाक देने से बचेगा। इससे दोनों की जिंदगी बदतर हो जाएगी।

    बाद में पत्रकारों से बातचीत में बोर्ड सदस्य प्रो. मुनिसा बुशरा अबिदी ने गुजारा भत्ते को ''भीख'' बताते हुए कहा कि जब महिला अपने पति से सारे संबंध खत्म कर चुकी है तो उसके सामने भीख मांगने क्यों जाए। उसकी जगह अपने से कुछ काम-धंधे कर सकती है। पति-भाई भी उसका गुजारा उठा सकते हैं।

    बोर्ड के प्रवक्ता कासिम रसूल इलियास ने कहा कि अल्लाह की नजर में तलाक सबसे घृणित है, लेकिन जब संबंध एकदम खराब हो जाए तो तलाक विकल्प बचता है। ऐसे कई धर्मों में जिसमें तलाक का प्रविधान नहीं है, उसमें भी यह बाद में लागू किया गया। लेकिन जब पति को गुजारा भत्ता देना पड़ेगा तो वह तलाक देने से बचेगा।

    ये प्रस्ताव हुए पारित

    • सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता देने का मामला
    • समान नागरिक संहिता
    • वक्फ
    • भीड़ समूह द्वारा हत्या
    • पूजा स्थल अधिनियम
    • फलस्तीन मामला